संघ में स्वागत है. इस शीर्षक से शुरू होता है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का वेब पेज.
शीर्षक के नीचे लिखा है, "भारत के बीसवीं सदी के इतिहास में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का जन्म और उसकी निरंतर प्रगति एक अभूतपूर्व घटना है. किसी हीरे की चमक की तरह संघ का प्रभाव क्षेत्र दूर-दूर तक फैल रहा है. संघ-प्रेरित संस्थान और आंदोलन राष्ट्रीयता के हर क्षेत्र में सशक्त रूप से मौजूद हैं."
इसके नीचे आरएसएस में शामिल होने के लिए एक लिंक है. सदस्यता सभी देशों के लोगों के लिए है.
ध्यान देने योग्य बात यह है हिंदी को प्रोत्साहन देने वाले आरएसएस की यह वेबसाइट अंग्रेज़ी में है.
यह वेबसाइट ‘तीन-चार साल’ पहले शुरू हुई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद इसके ज़रिए आरएसएस जुड़ने वालों की संख्या से संघ के पदाधिकारी काफ़ी ख़ुश हैं.
पिछले एक माह के दौरान लखनऊ में 20 लोग इस वेबसाइट के ज़रिए आरएसएस से जुड़े हैं.
जीत में योगदान
लखनऊ स्थित विश्व संवाद केंद्र के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा के मुताबिक़ इस वेबसाइट के माध्यम से पूरे देश में 200 से 250 लोग रोज़ाना आरएसएस से जुड़ रहे हैं.
वैसे तो 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश में अप्रत्याशित सफलता का श्रेय अमित शाह को दिया जा रहा है लेकिन आरएसएस की मदद के बिना शायद पार्टी को 73 सीट मिलना मुश्किल होता.
सिन्हा ने बताया कि लोकसभा चुनावों में प्रदेश की आबादी के लगभग पांच प्रतिशत लोगों ने आरएसएस की विचारधारा को बढ़ाते हुए यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक मतदाता से संपर्क हो और अधिक से अधिक मत पड़ें.
सिन्हा ने कहा, "हमारा संदेश था कि वोट ज़रूर दें और देश के बारे में सोच कर वोट दें. नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व से बाक़ी काम आसान हो गया."
सिन्हा के अनुसार जागरूक मतदाता मंच के सदस्य हर घर यही संदेश लेकर गए और हाफ़ पैंट में गए.
मुसलमानों का सवाल
आरएसएस ने संगठन के लिहाज़ से उत्तर प्रदेश को छह प्रांतों में विभाजित किया है. ये प्रांत हैं- गोरक्ष प्रांत (इसमें गोरखपुर के अलावा नेपाल भी आता है), काशी प्रांत, कानपुर प्रांत, अवध प्रांत (लखनऊ), ब्रज प्रांत (मथुरा) और मेरठ प्रांत.
सिन्हा ने बताया कि इस समय लखनऊ में सौ से अधिक शाखाएं लग रही हैं.
मुसलमानों के आरएसएस से दूर रहने की बात पर सिन्हा कहते हैं कि मुसलमानों और हिंदुओं का डीएनए एक ही है.
उन्होंने कहा, "हम उन्हें आमंत्रित करते हैं, वे आते भी हैं लेकिन ‘नमस्ते सदा वात्सल्य मातृभूमि’ सुनकर चले जाते हैं, क्योंकि मुसलमान अल्लाह के अलावा किसी को नमन नहीं कर सकते. हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है, उनके लिए धर्म."
लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के अलावा असम में भी भाजपा को अभूतपूर्व सफलता मिली है.
आरएसएस के लिए असम कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव के तुरंत बाद अवध प्रांत के संघ संचालक प्रभु नारायण श्रीवास्तव वहां के लिए रवाना हो गए.
उत्तर प्रदेश में अगर आरएसएस मज़बूत होता है तो ये भाजपा के लिए अच्छा संकेत है, क्योंकि यहां 2017 में विधान सभा चुनाव होने हैं.
लेकिन आरएसएस का वर्चस्व समाज में आपसी भाई-चारे और शांति के लिए कैसी भूमिका निभाएगा कहना मुश्किल है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)