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टाना भगत, जो आज भी जीते हैं महात्‍मा गांधी के आदर्शों पर

अरविंद मिश्रा रांची : पूरी दुनिया में आज राष्ट्रपिता महात्‍मा गांधी की 150 जयंती मनायी जा रही है. इस मौके पर जगह-जगह पर सभाएं और कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. जिसके माध्‍यम से लोग गांधी के आदर्शों पर चलने का संकल्‍प ले रहे हैं. लेकिन गांधी जयंती की समाप्ति के साथ ही लोग गांधी […]

अरविंद मिश्रा

रांची : पूरी दुनिया में आज राष्ट्रपिता महात्‍मा गांधी की 150 जयंती मनायी जा रही है. इस मौके पर जगह-जगह पर सभाएं और कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. जिसके माध्‍यम से लोग गांधी के आदर्शों पर चलने का संकल्‍प ले रहे हैं. लेकिन गांधी जयंती की समाप्ति के साथ ही लोग गांधी के आदर्शों पर चलने का जो संकल्‍प लिया है उसे अगले दिन ही भूल जाएंगे. लेकिन इसी बीच एक ऐसा समुदाय है तो आज भी महात्‍मा गांधी के आदर्शों को न केवल अक्षरश: अपने जीवन में पालन करते हैं, बल्कि उसे जीते भी हैं.

जी, हां आपने सही समझा मैं यहां टाना भगत की बात कर रहा हूं. टाना भगत समुदाय जो झारखंड के छोटानागपुर इलाके में विशेष रूप से रहते हैं, गांधी जी के प्रिय रहे हैं. आजादी के 71 साल बाद भी टाना भगत में गांधी जी का प्रभाव कायम है. इनका जीवन महात्‍मा गांधी का जिता-जागता दर्शन है. गांधी को अगर आज ढूंढना है, राष्‍ट्रपिता का साक्षात दर्शन करना है तो आप टाना भगत के बीच चले जाइये.

सुबह की शुरुआत होती है तिरंगे की पूजा से
टाना भगत रोजाना तिरंगे की पूजा करते हैं. बल्कि यूं कह लें, उनकी सुबह की शुरुआत तिरंगे की पूजा के साथ ही होती है. उनके आंगन में पूरे वर्षभर तिरंगा फहरता रहता है. तिरंगा को ही टाना भगत अपना देवता मानते हैं और गांधी को अपना आदर्श मानते हैं.
गांधी टोपी है टाना भगत की पहचान
महात्‍मा गांधी हमेशा कहा करते थे कि असली भारत गांव में बसता है. गांव का विकास देश का विकास है. टाना भगत गांधी के आदर्शों को अक्षरश: पालन करते हुए आज भी गांधी टोपी और बदन पर कपड़े के नाम पर जनैउ और धोती ही धारण करते हैं और यही उनकी पहचान है. टाना भगत समुदाय ने महात्‍मा गांधी के चरखे और खादी को भी जीवित रखा है.
टाना भगत आंदोलन और गांधी से संपर्क
झारखंड के गुमला जिला के बिशुनपुर प्रखंड के रहने वाले जतरा भगत ने सांमती व्‍यवस्‍था, साहूकारों और अंग्रजी हुकूमत के खिलाफ 1914 में विद्रोह की शुरुआत की. आगे चलकर जतरा का आंदोलन टाना भगत आंदोलन का रूप ले लिया. जतरा भगत की अगुआई में आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया और बाद में घबराकर अंग्रेजों ने जतरा भगत को गिरफ्तार कर लिया. जतरा की गिरफ्तारी के बाद टाना भगत आंदोलन ने रफ्तार पकड़ा और आगे चलकर स्‍वतंत्रता आंदोलन का रूप ले लिया. इसके बाद ही गांधी के साथ टाना भगत का संपर्क हुआ. महात्‍मा गांधी की अगुवाई में 1922 में हुए कांग्रेस अधिवेशन और 1923 के नागपुर सत्‍याग्रह आंदोलन में बड़ी संख्‍या में टाना भगत शामिल हुए.

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