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पाकिस्तान की हरकतें नहीं रोकी गईं तो आतंकवाद की आग में जल जाएगी पूरी दुनिया : सुषमा स्‍वराज

संयुक्त राष्ट्र : भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को हिंदी संबोधित किया और दुनिया के सबसे बड़े मंच से पाकिस्‍तान पर सीधा हमला किया. अपने संबोधन में सुषमा स्‍वराज ने इंडोनेशिया में आई प्राकृतिक आपदा पर मदद का आश्वासन दिया और संवेदना जाहिर की. सुषमा स्‍वराज ने सबसे बड़े […]

संयुक्त राष्ट्र : भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को हिंदी संबोधित किया और दुनिया के सबसे बड़े मंच से पाकिस्‍तान पर सीधा हमला किया. अपने संबोधन में सुषमा स्‍वराज ने इंडोनेशिया में आई प्राकृतिक आपदा पर मदद का आश्वासन दिया और संवेदना जाहिर की.

सुषमा स्‍वराज ने सबसे बड़े मंच से पाकिस्‍तान को लताड़ लगायी. उन्‍होंने कहा, आज आतंकवाद का राक्षस कहीं धीमी गति से तो कहीं तेज गति से हर जगह पहुंच चुका है. ओसामा बिन लादेन को पूरी दुनिया में खोजा जा रहा था लेकिन किसी को नहीं पता था कि खुद को अमेरिका का दोस्त बताने वाले पाकिस्तान ने ही उसे छिपा रखा था.

9/11 का दोषी तो मारा गया लेकिन 26/11 का दोषी आज तक जिंदा है और पाकिस्‍तान में खुला घुम रहा है. भारत-पाक वार्ता पर सुषमा स्‍वराज ने कहा, पाकिस्‍तान के कारण ही आज वार्ता रूकी है. आंतकवाद के वातावरण के बीच बातचीत मुमकिन नहीं. पाकिस्तान का चेहरा पूरी दुनिया ने पहचान लिया है, हर बार पाकिस्तान की वजह से ही दोनों देशों के बीच वार्ता में दिक्कत आई है, आतंकी हाफिज सईद आज भी पाकिस्तान में खुला घूम रहा है.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वार्ता प्रक्रिया को बाधित करने के पाकिस्तान के आरोप को पूरी तरह से झूठ बताते हुए शनिवार को विश्व के नेताओं से सवाल किया कि हत्यारों को महिमामंडित करने वाले देश के साथ आतंकी रक्तपात के बीच कैसे वार्ता की जा सकती है.

पाकिस्तान को दिए तीखे जवाब में सुषमा ने कहा कि इस्लामाबाद से बातचीत के लिए भारत ने कई प्रयास किये हैं और इसे रोके जाने का एकमात्र कारण पाकिस्तान का व्यवहार है. उन्होंने कहा, हम पर वार्ता प्रक्रिया को रोकने का आरोप हैं. यह पूरी तरह से झूठ है.

हमारा मानना है कि बातचीत सबसे जटिल विवादों को हल करने का एकमात्र तर्कसंगत माध्यम है. पाकिस्तान के साथ बातचीत कई बार शुरू हुयी. अगर वे रुक गयीं तो इसका एकमात्र कारण सिर्फ पाकिस्तान का आचरण था. सुषमा यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73 वें सत्र को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री इमरान खान के सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा और महासभा से इतर देशों के विदेशमंत्रियों के बीच बैठक का सुझाव दिया.

भारत ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया लेकिन उसकी स्वीकृति के कुछ घंटों के भीतर ही खबरें आयीं कि आतंकवादियों ने तीन भारतीय जवानों की हत्या कर दी है. सुषमा ने सवाल किया, क्या यह वार्ता की इच्छा का संकेत देता है.

उन्होंने कहा कि भारत की विभिन्न सरकारों ने वर्षों से शांति की कोशिश की है. प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षेस देशों के प्रमुखों को अपने शपथग्रहण समारोह में आमंत्रित कर अपने पहले दिन से ही संवाद के लिए प्रयास शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा कि वह खुद भी दिसंबर 2016 में इस्लामाबाद गयीं और व्यापक द्विपक्षीय वार्ता की पेशकश की.

उन्होंने कहा, लेकिन जल्द ही, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने दो जनवरी को पठानकोट में हमारे वायु सेना अड्डे पर हमला किया. कृपया मुझे बताएं कि आतंकवादी रक्तपात के बीच हम कैसे वार्ता कर सकते हैं. पाकिस्तान द्वारा भारत पर बार बार मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाए जाने पर सुषमा ने कहा कि आतंकवादियों से ज्यादा मानव अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कौन हो सकता है? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हत्यारों का महिमामंडन करता है और उसे निर्दोषों का खून नहीं दिखता.

एक और प्रभावशाली जवाब में सुषमा ने कहा कि पाकिस्तान की यह आदत हो गयी है कि वह अपने दोषों को ढंकने के लिए भारत के खिलाफ छल का आरोप लगाता है. उन्होंने जिक्र किया कि संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल पाकिस्तान की धोखाधड़ी को देखा था जब उसके प्रतिनिधि ने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कुछ तस्वीरों को भारत के कथित मानवाधिकार उल्लंघन के सबूत के तौर पर प्रदर्शित किया था. उन्होंने कहा कि लेकिन वे तस्वीरें दूसरे देश की निकलीं और पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर शर्मिंदगी उठानी पड़ी.

* संरा अगर अप्रभावी रहा तो बहुपक्षवाद का सिद्धांत पूरी तरह ढह जाएगा

सुषमा स्‍वराज ने चेतावनी दी कि मूलभूत सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र के अप्रासंगिक हो जाने का खतरा है और कहा कि अगर यह विश्व निकाय अप्रभावी रहा तो बहुपक्षवाद खत्म हो जाएगा.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, मैं संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट और सकारात्मक भूमिका को रेखांकित करते हुए अपनी बात शुरू करती हूं लेकिन मुझे यह अवश्य कहना होगा कि कदम दर कदम इस संस्था के महत्व, प्रभाव, सम्मान और मूल्यों में अवनति शुरू हो रही है.

स्वराज ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र को यह अनिवार्य रूप से स्वीकार करना चाहिए कि उसे मूलभूत सुधार की जरूरत है. उन्होंने कहा, सुधार सिर्फ दिखावे के लिये नहीं होना चाहिए. हमें संस्थान के दिलो-दिमाग में बदलाव करने की जरूरत है जिससे यह समसामयिक वास्तविकता के अनुकूल हो जाए.

स्वराज ने विश्व निकाय में सुधार में देरी के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि सुधार आज से ही शुरू होने चाहिए क्योंकि कल बहुत देर हो सकती है. उन्होंने कहा, अगर संयुक्त राष्ट्र अप्रभावी है तो बहुपक्षवाद का पूरा सिद्धांत ध्वस्त हो जाएगा. ऐसे समय जब बहुपक्षवाद को लेकर व्यापक बहस हो रही है, जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने कहा था कि वह सबसे ज्यादा निशाने पर है जब उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, स्वराज ने कहा कि भारत कभी भी बहुपक्षवाद के तंत्र को कमजोर नहीं होने देगा.

उन्होंने कहा, भारत वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास रखता है और इसका सबसे अच्छा तरीका साझा बातचीत है….संयुक्त राष्ट्र को परिवार के सिद्धांतों के आधार पर काम करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र ‘मैं’ से नहीं चल सकता और यह सिर्फ ‘हम’ से चल सकता है. स्वराज ने कहा कि भारत इस बात में विश्वास नहीं रखता कि संयुक्त राष्ट्र कई लोगों की कीमत पर महज कुछ लोगों की सुविधा का साधन बने.

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