रांची: स्वास्थ्य व ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह ने प्रभात खबर में छप रही खबरों को अपने व अपने परिवार के चरित्र हनन का प्रयास बताया है. गुरुवार को अपने आवास पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मंत्री ने कहा कि रिम्स में निदेशक बदलने के मामले को दो सौ करोड़ के ठेके से जोड़ना गलत है.
मंत्री पुत्र चला रहे हैं सरकार के कई विभाग
स्वास्थ्य व ऊर्जा विभाग में मंत्री पुत्र व इससे संबंधित खबरों पर उन्होंने कहा कि रिम्स के वर्तमान निदेशक डॉ चौधरी प्रभारी हैं. यह अस्थायी व्यवस्था है. स्थायी निदेशक की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला जायेगा. चयन समिति के माध्यम से यह काम होना है. उन्होंने आरोप लगाया कि उषा मार्टिन का काम देखनेवाले समीर लोहिया जमशेदपुर के पावर फैक्टर सरचार्ज का 48 करोड़ रुपया माफ करवाना चाहते हैं. ऐसा नहीं करने के कारण ही उनके दबाव पर प्रभात खबर में रिपोर्ट छप रही है. मंत्री ने आरोप लगाया कि पूर्व में भी दबाव बनाने का प्रयास किया गया था.
झारखंडः 200 करोड़ के ठेके पर मंत्री पुत्र की नजर!
उन्होंने कहा कि मंत्री पुत्र-मंत्री पुत्र कह कर सारी बातें लिखी जा रही हैं. नाम नहीं लिया जा रहा है. लिखा गया कि मंत्री केवल हस्ताक्षर करते हैं, सारा काम उनका बेटा करता है. लगता है कि प्रभात खबर के लोग मेरे घर में कैमरा लगाये हुए हैं, जासूसी कर रहे हैं. अनूप सिंह (उनका बेटा) को कोई यदि कभी भी नेपाल हाउस या प्रोजेक्ट बिल्डिंग में देखा हो, तो वह त्याग पत्र दे देंगे. उन्होंने कहा कि अनूप सिंह ने प्रभात खबर के धनबाद संपादक के खिलाफ 50 लाख की मानहानि का केस किया है. केस अभी चल रहा है. इसी का बदला लिया जा रहा है.
संवाददाता सम्मेलन के बाहर राजेंद्र सिंह के पुत्र अनूप सिंह ने कहा कि जो कुछ भी छप रहा है, उसका कोई प्रमाण हो, तो सामने लाएं. उन्होंने कहा कि मेरी पर्सनल एजेंसी है. मेरा उसमें काम चलता है. मैं 2004 से आय कर दे रहा हूं. चार साल पहले मैंने प्रभात खबर पर मानहानि का केस किया था. हर रोज प्रभात खबर के दो-तीन लोग मेरे पास आते हैं कि वह मामला खत्म कर दिया जाये. ऐसा नहीं करने पर ही यह सब हो रहा है.
न बात की, न मिला : लोहिया
रांची: मंत्री राजेंद्र सिंह के आरोपों पर समीर लोहिया ने अपना पक्ष भेजा है. उन्होंने कहा है : मंत्री द्वारा कंपनी पर लगाये गये आरोपों को सुन कर मैं स्तब्ध हूं. सारे आरोप आधारहीन हैं. मंत्री बनने के बाद न तो मैं कभी राजेंद्र सिंह से और न ही इनके पुत्र या रिश्तेदार से मिला हूं. मंत्री बनने के बाद मेरी तो उनसे आज तक कभी फोन पर भी बात नहीं हुई है. मैं मंत्री या उनके परिजनों में से किसी के पास कभी भी कंपनी के किसी काम के लिए नहीं गया हूं. मंत्री द्वारा लगाये गये आरोप हास्यास्पद, दुर्भावना और पूर्वाग्रह से ग्रसित प्रतीत होते हैं. यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि प्रभात खबर के संपादकीय कामकाज में कभी भी मेरा दखल नहीं होता.
प्रभात खबर का पक्ष
मंत्रीजी ! इन तथ्यों की जांच कराइए
रांची: माननीय मंत्री राजेंद्र सिंह ने संवाददाता सम्मेलन कर प्रभात खबर में छपी खबरों पर अपना पक्ष रखा. प्रभात खबर में छपी खबरों पर उन्होंने एक का भी ब्योरावार और तार्किक उत्तर नहीं दिया, बल्कि कई आधारहीन आरोप लगाये. प्रभात खबर मंत्री द्वारा लगाये गये एक-एक आरोप का उत्तर दे रहा है. साथ ही कुछ ऐसे सवाल भी उठा रहा है, जिस पर मंत्री को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
1. समीर लोहिया न तो प्रभात खबर में संपादकीय का काम देखते हैं और न ही इसमें कोई हस्तक्षेप करते हैं. इसलिए उनके कहने पर मंत्री की खबर लिखने का आरोप बिल्कुल बेबुनियाद है.
2. यह सही है कि तेनुघाट न्यायालय में प्रभात खबर के खिलाफ राजेंद्र सिंह के पुत्र जयमंगल सिंह (इन्हीं का नाम अनूप सिंह भी है) ने 50 लाख रुपये की मानहानि का मामला दायर किया है. प्रभात खबर इस मामले में अपना पक्ष कोर्ट में दाखिल कर चुका है. उल्लेखनीय है कि कोयला चोरी पर एक पाठक का पत्र प्रभात खबर में छपा था. इस पत्र में कहीं भी राजेंद्र सिंह, अनूप सिंह या जयमंगल सिंह या किसी का नाम नहीं था. पाठक ने एक मंत्री, मंत्री पुत्र का उल्लेख जरूर किया था, जिसे प्रभात खबर ने छापा था. इसी छपे पत्र पर जयमंगल सिंह ने प्रभात खबर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया है. प्रभात खबर इस मुकदमे को लड़ने को बहुत उत्सुक और तत्पर है. मंत्री राजेंद्र सिंह यह बतायें कि प्रभात खबर का कौन सा आदमी मुकदमा वापसी के लिए उनसे कब मिला?
3. मंत्री ने प्रभात खबर पर कई और आरोप लगाये हैं. आप यह जानते ही हैं कि पशुपालन घोटाले से लेकर जब भी राज्य में गड़बड़ी की गयी, प्रभात खबर ने ही उन मुद्दों का खुलासा किया. और जिनके खुलासे हुए, वे भी पहले इसी तरह के आरोप लगाते रहे, पर जांच हुई, तो वे सभी दोषी पाये गये. अगर राजेंद्र सिंह और उनके परिवार के लोगों पर लगे आरोपों की जांच हो जाये, तो तथ्य जनता के सामने आ जायेगा.
यही नहीं, राज्य में अगर बड़े पैमाने पर कोयला चोरी हो रही है (जिसे मुख्यमंत्री ने भी माना है और कड़े कदम उठाने के लिए कहा है), तो प्रभात खबर ने इसे मुद्दा बनाया. जब ठेके में कहीं भी गड़बड़ी की सूचना मिली, प्रभात खबर ने छापा, जब तबादले में गड़बड़ी की गयी, तो उसे भी मुद्दा बनाया गया. अगर आपको लगता है कि किसी के निर्देश पर प्रभात खबर यह सब कर रहा है, तो आपकी सूचना गलत है. अगर आप में नैतिक साहस है, तो आप पूरे मामले की ( जिसमें राज्य में बड़े पैमाने पर कोयला चोरी का मामला हो, तबादले का हो, ठेका देने या रद्द करने का मामला हो आदि) स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी से जांच करायें. राज्य में आपकी सरकार है, ऐसी पहल का प्रभात खबर स्वागत करेगा. राज्य में हाल में कुछ अच्छे राजनीतिज्ञों और ईमानदार अफसरों के प्रयास से कोयला चोरी पर अंकुश लगा है. इससे इस धंधे में शामिल लोग असंयमित हो गये हैं. अगर स्वतंत्र जांच हो, तो सारा कुछ साफ हो जायेगा. प्रभात खबर भी यही चाहता है.
4. क्या आप बतायेंगे कि कोयले के धंधे से जुड़े संतोष सिंह से आपके नजदीकी के संबंध हैं या नहीं?
5. जिस बिल्डर राजेश श्रीवास्तव को कुछ वर्ष पूर्व सूचना आयुक्त बनाने की अनुशंसा आपने की थी, वह आपके पुत्र अनूप सिंह का व्यावसायिक पार्टनर है या नहीं?
6. क्या मंत्रीजी इस बात का खुलासा करेंगे कि कीर्तिमान सिंह कौन हैं?
7. क्या आप इस बात की जांच करायेंगे कि हेमंत टोप्पो को जब बोकारो का एसपी बनाया गया, तो किसके विरोध के कारण उनका तबादला रद्द करना पड़ा?
8. गिरिडीह के एसडीपीओ अवधेश कुमार सिंह को सिर्फ सात माह में ही क्यों सीआइडी में भेज दिया गया, जबकि उनके रिटायरमेंट का समय करीब था. वे हाइकोर्ट गये, जहां से उन्हें राहत मिली. उनके तबादले के पीछे का राज क्या है?
9. मेदांता अस्पताल की गिनती दुनिया के मशहूर अस्पतालों में होती है. डॉ त्रेहन इसके संचालक हैं. झारखंड में यह आता, तो यहां का करोड़ों रुपया जो इलाज के नाम पर बाहर चला जाता है, नहीं जाता. लोगों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलती. पर जब रांची में 500 बेड के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (सदर अस्पताल) को पीपीपी मोड पर चलाने के लिए उसने टेंडर भरा, तो इसे रद्द कर दिया गया. इसके असली कारण क्या हैं?
10. रिम्स के निदेशक पद से तुलसी महतो को इस कारण हटाया गया, क्योंकि उनकी उम्र अधिक थी. पर तुलसी महतो से अधिक उम्र के डॉ एसके चौधरी को किस परिस्थिति में और कैसे रिम्स का प्रभारी निदेशक बना दिया गया ?
11. कुछ माह पहले बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य व अन्य विभागों में ट्रांसफर-पोस्टिंग हुए थे. क्या आप यह बतायेंगे कि किस परिस्थिति में सरकार द्वारा तय मापदंडों का उल्लंघन कर तबादले हुए?
12. स्वास्थ्य विभाग में माह भर में (दिनांक 23 नवंबर, 30 नवंबर व 31 दिसंबर) सिविल सजर्नों सहित 441 चिकित्सकों का तबादला किया गया. इसके मूल कारण क्या थे?
13. क्या यह आरोप सही है कि अभ्यावेदन (आवेदन) के आधार पर ही विभाग में ताबड़तोड़ मनमाफिक पोस्टिंग हुई? 30 नवंबर को अधिसूचना में कुल 300 लोगों के नाम थे. इनमें से 107 तबादले आवेदन व निजी कारणों के आधार पर किये गये. ऐसा क्यों?
14. क्या यह सही है कि रामगढ़ (दुमका) में चिकित्सा प्रभारी डॉ एलबीपी सिंह को आवेदन के आधार पर ही न सिर्फ जमशेदपुर भेजा गया, बल्कि उन्हें वहां का सिविल सजर्न बना दिया गया.
15. डॉ आरके सिंह को 30 नवंबर को कांके से रातू पीएचसी भेजा गया था. फिर 31 दिसंबर को उन्हें रातू से नामकुम पीएचसी भेजा गया है.
16. पूर्व सचिव विद्यासागर ने ट्रांसफर-पोस्टिंग संबंधी एक नियमावली बनायी थी, उसे कैबिनेट में क्यों नहीं लाया गया?
17. एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रभारी अपर परियोजना निदेशक डॉ राजमोहन को जब सिविल सजर्न, गढ़वा बनाया गया, तो वह जा नहीं रहे थे. उनके लिए मंत्री को पीत पत्र लिखना पड़ा था. गढ़वा में भी उनका प्रदर्शन खराब रहा. इन्हें खराब प्रदर्शन के आधार पर 23 नवंबर को मुख्यालय बुलाया गया. फिर 31 दिसंबर की अधिसूचना में उन्हें राज्य अंधापन नियंत्रण पदाधिकारी बना दिया गया. उन्हें यह पुरस्कार किस कारण मिला?
18. गढ़वा का ट्रॉमा सेंटर बंद था, फिर भी वहां तीन चिकित्सकों डॉ अनुज कुमार चौधरी, डॉ शैलेंद्र कुमार वर्मा (30 नवंबर को) और डॉ सुभाष प्रसाद (31 दिसंबर को) को क्यों पदस्थापित किया गया? डॉ शशिभूषण प्रसाद सिंह पर वित्तीय अनियमितता के मामले में प्रपत्र-क भी गठित हो चुका है. फिर इन्हें बोकारो का सिविल सजर्न कैसे बनाया गया था?
इसी तरह बिजली और स्वास्थ्य विभाग के अनेक सवाल और अनियमितताएं हैं, जिनके उत्तर जनता मंत्री से जानना चाहती है. प्रभात खबर आप (राजेंद्र सिंह) से अपेक्षा करता है कि पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी (अगर सीबीआइ हो तो बेहतर) से जांच करायी जाये, ताकि झारखंड की जनता सत्य जान सके.
स्थानीय संपादक रांची