मिरिक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में स्थित एक मनोरम हिल स्टेशन है. हिमालय की वादियों में बसा छोटा सा पहाड़ी कस्बा मिरिक पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है. इसके पीछे कई कारण हैं. एक तो यह कि पश्चिम बंगाल में यह सबसे ज्यादा आसानी से पहुंचनेवाला स्थान है, दूसरा यहां रूटीन हिल स्टेशन जैसी भीड़-भाड़ नहीं है.
इस जगह के बारे में अभी बहुत लोग नहीं जानते हैं, इसलिए भी यहां की प्राकृतिक सुंदरता बरकरार है. इस जगह को आकर्षक बनाने में इसकी भौगोलिक स्थिति का बड़ा हाथ है. मिरिक समुद्र तल से 4,905 फुट की ऊंचाई पर स्थित है, और चाय के ढालदार पहाड़ियों से घिरा हुआ है. मिरिक के जंगली फूल, सुंदर झीलें और क्रिप्टोमेरिया जापानिका के पेड़ आदि मिरिक को एक उष्ण कटिबंधी स्वर्ग बनाते हैं. छोटा सा मिरिक अपने में समेटे है, बोकर गोम्पा, सुमेंदू लेक, सिंघा देवी मंदिर, हनुमान, शिव और माता काली मंदिर.
यह जगह जितनी खूबसूरत है, उससे भी ज्यादा खूबसूरत है यहां तक पहुंचने का रास्ता. चाय के बागानों से होता हुआ नदियों-झरनों को लांघता हुआ और झुक आये बादलों को चूमता हुआ. दिल को अंदर तक तर कर देनेवाली खुशी जैसा.
यहां का बेहद शांत माहौल लोगों को सुकून देता है. मिरिक शहर के बीचो-बीच एक मानवनिर्मित झील है, जिसे सुमेंदू लेक कहते हैं. जिसके बीचो-बीच एक फ्लोटिंग फाउंटेन है. यह झील लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी है, जिसके किनारे देवदार के ऊंचे वृक्ष लगे हुए हैं. यहां बोटिंग भी की जा सकती है. झील के आसपास कई छोटे-छोटे रस्टोरेंट हैं, जहां बैठकर गर्मा-गर्म चाय और नेपाली खाने का आनंद लिया जा सकता है. इस झील में फिशिंग भी की जाती है. लोग यहां मछलियों को खाना खिलाते हैं.
मिरिक बाजार से थोड़ा दूर ऊंचाई पर एक मॉनेस्ट्री है. यह बहुत ही सुंदर मॉनेस्ट्री है. यहां से हिमालय पर्वत शृंखला में कंचनजंघा के अद्भुत दृश्य भी दिखायी देते हैं. यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का बहुत सुंदर नजारा देखने को मिलता है. यहां पर मिलनेवाले प्राकृतिक नजारे बहुत हद तक दार्जिलिंग से मिलते-जुलते हैं. शायद इसीलिए लोग इसे मिनी दार्जिलिंग भी कहते हैं.
मिरिक में फलों के बागान भी हैं. पश्चिम बंगाल में संतरा सबसे ज्यादा यहीं पैदा होता है. मिरिक में ठहरने के लिए कई होटल भी हैं.
जंगली फूल, सुंदर झीलें और क्रिप्टोमेरिया जापानिका के पेड़ आदि मिरिक को एक उष्ण कटिबंधी स्वर्ग बनाते हैं. हिमालय की वादियों में बसा छोटा-सा पहाड़ी कस्बा मिरिक पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है.
कब जाएं :
बरसात के मौसम को छोड़कर वर्ष में कभी भी जाया जा सकता है.,लेकिन कंचनजंघा का नजारा गर्मियों में ज्यादा अच्छा दिखता है. ऊंचाई पर होने के कारण यहां सर्दियों में अधिक ठंड पड़ती है.
कैसे जाएं:
वायु मार्ग- मिरिक से बगडोगरा का एयरपोर्ट सबसे नजदीक है. यहां से इसकी दूरी 55 किलोमीटर है.
रेलमार्ग- मिरिक से सबसे नजदीक न्यू जलपाईगुड़ी का स्टेशन पड़ता है.
सड़क मार्ग- सिलीगुड़ी से दो घंटे में मिरिक पहुंच सकते हैं.
डॉ कायनात काजी
सोलो ट्रेवेलर