वाशिंगटन : अमेरिका ने भारतीय आइटी पेशेवरों और कामगारों को तगड़ा झटका दिया है. एच-1बी वीजा की प्रीमियम प्रोसेसिंग पर अस्थायी रोक और बढ़ा दी गयी है. प्रीमियम प्रोसेसिंग में वीजा पर कामकाज तेजी से किया जाता है. भारतीय आइटी पेशेवरों में यह काफी लोकप्रिय है. पिछले लंबित मामलों को निबटाने के लिए अमेरिका ने यह कदम उठाया है.
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प्रीमियम प्रोसेसिंग के तहत एच-1बी वीजा आवेदन से संबंधित छानबीन का कामकाज औसतन छह महीने से घटकर 15 दिन रह जाता है. इसके लिए 1,225 डॉलर (86,181 रुपये) का शुल्क लिया जाता है. इससे कई कंपनियों को काफी फायदा होता है.
अमेरिका के नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआइएस) विभाग ने मंगलवारको इस रोक की अवधि आगे और बढ़ाने की घोषणा की. समझा जाता है कि यह रोक अगले साल 19 फरवरी तक जारी रहेगी. प्रीमियम प्रोसेसिंग के तहत यूएससीआइएस को एच-1बी वीजा आवेदन पर 15 दिन में अपनी प्रतिक्रिया देनी होती है.
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मार्च में USCIS ने अस्थायी रूप से प्रीमियम प्रोसेसिंग पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी. इस रोक की अवधि 10 सितंबर, 2018 को समाप्त हो रही थी, लेकिन इसे 19 फरवरी, 2019 तक बढ़ा दिया गया है.
ज्ञात हो कि अमेरिकी कांग्रेस ने साल में अधिकतम 65,000 लोगों को एच1बी वीजा देने का कैप लगा रखा है. इसमें प्रथम 20,000 आवेदन अमेरिका में मास्टर की डिग्री लेने वाले या इससे ऊंची शिक्षा हासिल करने वाले लोगों को इस कैप से बाहर रखा गया है. अमेरिका की किसी उच्च शिक्षण संस्थान में कार्यरत लोगों या गैर-लाभकारी संगठनों और शोध संस्थानों या सरकारी शोध संस्थान से जुड़े लोगों को भी इस सीमा से बाहर रखा गया है.
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USCIS केमुताबिक,वर्ष2007से2017केबीचसबसेज्यादा22लाखकुशल भारतीय कामगारों ने एच1बीवीजाकेलिएआवेदनकिया.इसी समयावधि में भारतकेबाद चीन के सबसे ज्यादा 3.01 लाख लोगों ने इस वीजा के लिए आवेदन किया.