वाशिंगटन : भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (क्षेत्र) क्षेत्र के प्रोफेशनल्स आैर प्रतिभाआें को अब बेहतर रोजगार पाने के लिए अमेरिका जाना संभवतः आसान नहीं रहेगा. इसका कारण यह है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन एच -1 बी वीजा प्रक्रियाओं को तर्कसंगत बनाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है. यह वीजा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स में काफी लोकप्रिय है. संघीय एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि बेहतरीन और सर्वश्रेष्ठ विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है.
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अमेरिका के नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं (यूएससीआईएस) के निदेशक फ्रांसिस सिसना ने सीनेटक चक ग्रासले को लिखे पत्र में कहा है कि इस प्रस्तावित नियमन का मकसद एच-1 बी वीजा धोखाधड़ी पर लगाम लगाना है. एच-1 बी गैर-आव्रजक वीजा होता है, जिसमें अमेरिकी कंपनियों को तकनीकी विशेषज्ञता वाले पदों पर फाॅरेन प्रोफेशनल्स को नियुक्त करने की अनुमति होती है. यूएससीआईएस एच -1 बी वीजा कार्यक्रम में सुधार के लिए दो प्रस्तावित नियमनों पर काम कर रहा है.
पहला नियमन प्रस्ताव आवेदनों के इलेक्ट्राॅनिक पंजीकरण से संबंधित है. दूसरा नियमन विशेष पद की परिभाषा में संशोधन करने से संबंधित है. सिसना ने कहा कि इससे सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभावान फाॅरेन प्रोफेशनल्स की नियुक्ति पर ध्यान दिया जा सकेगा. इसके अलावा रोजगार और नियोक्ता – कर्मचारी संबंध को भी नए सिरे से परिभाषित करने की योजना है, ताकि अमेरिकी कर्मचारियों तथा उनके वेतन को बेहतर तरीके से सुरक्षा दी जा सके. इसके अलावा गृह सुरक्षा विभाग ने एक अतिरिक्त आवश्कता का भी प्रस्ताव किया है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि नियोक्ता एच-1 बी वीजाधारकों को उचित वेतन प्रदान करें.