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रखें लिवर का ध्यान जीएं लंबा जीवन

एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल दो लाख लोगों की मौत लिवर से जुड़ी बीमारियों की वजह से होती है. लिवर ही वह अंग है, जो अपने अंदर आयरन और जरूरी विटामिन्स व मिनरल्स स्टोर करने का काम करता है. साथ ही नये प्रोटींस का निर्माण कर शरीर को सारे काम करने की […]

एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल दो लाख लोगों की मौत लिवर से जुड़ी बीमारियों की वजह से होती है. लिवर ही वह अंग है, जो अपने अंदर आयरन और जरूरी विटामिन्स व मिनरल्स स्टोर करने का काम करता है. साथ ही नये प्रोटींस का निर्माण कर शरीर को सारे काम करने की ताकत देता है. शरीर के अंदर प्रवेश करनेवाले जहरीले पदार्थो से शरीर को मुक्त करता है. अगर यह खराब हुआ तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है. हम आसानी से किसी भी संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. इतने महत्वपूर्ण अंग के प्रति हम गंभीर रहें, इसलिए हर साल 19 अप्रैल को ‘वर्ल्ड लिवर डे’ मनाया जाता है. प्रतिष्ठित डॉक्टर दे रहे हैं विस्तृत जानकारी.

लिवर भोजन के पाचन में, पोषक तत्वों के अवशोषण में तथा विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में सहायक होता है. वर्तमान में दूषित भोजन और पानी एवं रहन-सहन के गलत तरीकों को अपनाने के कारण लोग लिवर को नुकसान पहुंचा रहे हैं और कई बीमारियों जैसे- हेपेटाइटिस, लिवर सिरॉसिस, लिवर कैंसर आदि का शिकार हो रहे हैं.

हेपेटाइटिस बी
यदि लिवर में सूजन रहती है तो उस अवस्था को ही हेपेटाइटिस कहते हैं. यह बीमारी अत्याधिक खतरनाक होती है. लिवर में सूजन हेपेटाइटिस बी वायरस की वजह से होती है. इस वायरस से खुद को बचाने के लिए काफी सावधानी बरतने की जरूरत है. वैसे यदि आपका खान-पान सही है और आपके शरीर में बी वायरस मौजूद है तो भी आपके लिवर को यह कम प्रभावित करता है. गलत जीवनशैली के कारण यह वायरस लिवर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. बाजार में हेपेटाइटिस बी के टीके भी मौजूद हैं, आप टीका लगवाकर भी इस वायरस से बच सकते हैं. यदि आपके शरीर में वायरस प्रवेश कर चुका है तो आपको चिकित्सक से सलाह-मशवरा कर अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा, तभी आपका लिवर इस वायरस से बच सकेगा.

लक्षण : शुरुआती समय में इसके लक्षण नाममात्र को ही दिखायी पड़ते हैं. आमतौर पर शरीर में वायरस पंहुचने के लगभग 6 माह बाद तक भी लक्षण दिखायी नहीं देते हैं. वैसे हेपेटाइटिस बी के शुरुआती लक्षणों में शरीर में कमजोरी, भूख कम लगना, मांशपेशियों में दर्द, पेशाब का रंग बदल जाना, बुखार रहना आदि देखने को मिलते हैं. यदि आप लिवर के प्रति सावधान हैं, तो वायरस शरीर में रहने के बावजूद भी ये लक्षण धीरे-धीरे खत्म किये जा सकते हैं.

ऐसे फैलता है यह वायरस
यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैलता है. इस वायरस के फैलने के कुछ प्रमुख वजह निम्न हैं :
असुरक्षित यौन संबंध से
संक्रमित खून लेने से
लंबे समय तक किडनी डायलिसिस से
संक्रमित सिरींज से
टैटू बनवाने से.

कैसे बचें हेपेटाइटिस बी से
इस वायरस से बचने के लिए टीका जरूर लगवाएं. यदि शरीर में इस वायरस का संक्रमण हो चुका है तो चिकित्सक से सलाह लें. इसके अलावा कभी भी संक्रमित सुई का इस्तेमाल न करें. ट्रीटमेंट से चिकित्सक आपके शरीर के अंदर गोलियों के माध्यम से इस वायरस के अटैक की रोकथाम कर सकते हैं.

घातक है लिवर सिरॉसिस
लिवर चर्बी जमा हो जाने पर आप फैटी लिवर के शिकार हो सकते है, जो बाद में जानलेवा रोग लिवर सिरॉसिस बन जाता है. लिवर सिरोसिस, लिवर से संबंधित कई बिमारियों की आखिरी स्टेज भी है. लिवर में खुद को रिपेयर करने का अनोखा गुण तो होता ही है साथ ही उस पर अनेक तरह के खतरे भी मंडराते रहते हैं. सिर्फ जंक फूड ही नहीं शूगर, हेपेटाइटिस बी या सी के संक्रमण, थायराइड भी फैटी लिवर की वजह बनते है. इसलिए दुबले-पतले व्यक्ति को भी फैटी लिवर हो सकता है.

फैटी लिवर से बचने के उपाय :

शराब का सेवन बंद करें

तली-भुनी चीजों से परहेज रखें

ज्यादा जंक फूड न खाएं वजन को कम रखें

फल व जूस का सेवन करें

पानी ज्यादा पीएं

ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें

प्रतिदिन व्यायाम करें

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