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सुषमा बोलीं-आतंकवाद के खिलाफ साथ मिलकर लड़ेंगे भारत-बांग्लादेश, रोहिंग्या पर म्यांमार को दी नसीहत

ढाका: भारत और बांग्लादेश ने आतंकवाद की साझी चुनौती पर रविवारको चर्चा की तथा इस बुराई से लड़ने का निश्चय किया. साथ ही भारत ने विकास में बांग्लादेश का भरोसेमंद सहयोगी होने की होने की प्रतिबद्धता दोहरायी. चौथे संयुक्त सलाहकार आयोग के तहत बांग्लादेशी पक्ष के साथ वार्ता के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने […]

ढाका: भारत और बांग्लादेश ने आतंकवाद की साझी चुनौती पर रविवारको चर्चा की तथा इस बुराई से लड़ने का निश्चय किया. साथ ही भारत ने विकास में बांग्लादेश का भरोसेमंद सहयोगी होने की होने की प्रतिबद्धता दोहरायी. चौथे संयुक्त सलाहकार आयोग के तहत बांग्लादेशी पक्ष के साथ वार्ता के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, सभी स्तरों पर हिंसक चरमपंथ और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में (इसे) बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति और समग्र पहल अपनाकर घृणा, हिंसा और आतंक की विचारधारा से अपने अपने समाजों की रक्षा के लिए हम दोनों कटिबद्ध हैं.

विदेश मंत्री ने गहराते रोहिंग्या संकट के बीच कहा कि भारत म्यांमार के रखाइन प्रांत में बेतहाशा हिंसा पर भारत बहुत चिंतित है और म्यांमार में विस्थापित लोगों की वापसी से ही सामान्य स्थिति बहाल हो सकती है. बीते अगस्त महीने में म्यांमार के रखाइन में हिंसा भड़कने के बाद करीब 6,00,000 लाख रोहिंग्या मुसलमान भाग कर बांग्लादेश पहुंचे. म्यांमांर रोहिंग्या लोगों को एक जातीय समूह के तौर पर मान्यता नहीं देता. उसका कहना है कि रोहिंग्या बांग्लादेश से आये प्रवासी हैं जो उसके यहां अवैध रूप से रह रहे हैं. बांग्लादेश ने इस मामले के समाधान के लिए भारत से म्यांमार पर दबाव बनाने की मांग की है.

सुषमा ने कहा, म्यांमार के रखाइन प्रांत में बेतहाशा हिंसा को लेकर भारत बहुत चिंतित है. बहरहाल, उन्होंने रोहिंग्या शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन यह कहा, हमने आग्रह किया है कि लोगों की भलाई को ध्यान में रखते हुए हालात से संयम के साथ निपटा जाये. सुषमा ने कहा, यह स्पष्ट है कि विस्थापित लोगों के रखाइन प्रांत में लौटने के साथ ही सामान्य स्थिति बहाल होगी. उन्होंने कहा, रखाइन प्रांत में स्थिति का दीर्घकालीन समाधान यह है कि वहां सामाजिक-आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे का विकास हो. इसका प्रांत में रहनेवाले सभी समुदायों पर सकारात्मक असर होगा.

उन्होंने कहा, हमने उन साझी चुनौतियों पर चर्चा की जो आज हमारे समक्ष मौजूद हैं. एक ऐसी चुनौती आतंकवाद, चरमपंथ और कट्टरपंथ की है तथा हम समान विचारवाले देशों के साथ मिलकर इस बुराई के खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे. दो दिन की यात्रा पर यहां पहुंचीं सुषमा स्वराज ने कहा, भारत बांग्लादेश का स्थायी एवं भरोसेमंद विकास साझेदार रहा है. उन्होंने कहा, अबतक भारत ने कुल आठ अरब डाॅलर की तीन ऋण सहायता बांग्लादेश को उपलब्ध करायी है. यह अबतक की सबसे बड़ी विकास सहायता है जो भारत ने दुनियाभर में किसी भी देश को उपलब्ध करायी है.

स्वराज ने कहा कि भारत बांग्लादेश में छोटी सामाजिक आर्थिक परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता देता रहा है. अकेले पिछले तीन सालों में 24 ऐसी परियोजनाएं पूरी की गयी है जिनमें छात्रावास, ट्यूबवेल, सांस्कृतिक केंद्रों और अनाथालयों आदि का निर्माण शामिल है. फिलहाल राजशाही, खुलना और सिलहट में शहर विकास परियोजनाएं समेत 58 परियोजनाएं चल रही हैं. सुषमा स्वराज ने कहा, भारत बांग्लादेश के लोगों को उनके लिए अत्यंत आवश्यक 660 मेगावाट ऊर्जा की आपूर्ति कर रहा है और भविष्य में यह तिगुना नहीं, तो दोगुना अवश्य होगी. हम अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के संस्थापक सदस्यों के तौर पर मिलकर काम करेंगे जिसके लिए बांग्लादेश ने अपने शामिल होने की पुष्टि की है. इस गठबंधन द्वारा सौर ऊर्जा को सस्ता बनाने की संभावना है. दोनों देश पहले ही पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन के निर्माण पर सहमत हो गये हैं. यह पाइपलाइन सिलीगुड़ी को पार्बतीपुर से जोड़ेगी जिससे उत्तरी पश्चिम बांग्लादेश के लोग लाभान्वित होंगे.

सुषमा स्वराज ने कहा कि बांग्लादेश में एलएनजी टर्मिनल की स्थापना, पाइपलाइन द्वारा प्राकृतिक गैस की आपूर्ति और अपस्टरीम सेक्टर में निवेश विचाराधीन है. उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच कनेक्टविटी बढ़ाने के लिए 1965 से पहले के सड़क, रेल, पानी और तटीय नौवहन संपकों को बहाल करने की योजना बन रही है. उन्होंने इसके लिए ढाका मैत्री एक्सप्रेस के फेरे बढ़ने का हवाला दिया.

सुषमा ने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच आपस में संपर्क बढ़ाने के लिए बांग्लादेश में भारतीय मिशन और अन्य संबंधित इकाइयों ने 2016 में 9.76 लाख वीजा जारी किये और यह इस साल बढ़ कर 14 लाख तक पहुंच जाने की संभावना है. भारत बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पांच साल में कई बार प्रवेश संबंधी वीजा पेश करेगा और वह भारत में उनके इलाज की भी एक योजना बना रहा है. सुषमा स्वराज बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीन को 1971 के मुक्ति संग्राम के कुछ स्मृतिचिह्न भी भेंट करेंगी जो संग्रहालयों में प्रदर्शित किये जायेंगे. सुषमा स्वराज की यह दूसरी बांग्लादेश यात्रा है. उनसे पहले हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली बांग्लादेश आये थे. उस दौरान भारत ने बिजली, रेलवे, सड़क और नौवहन समेत अहम क्षेत्र की विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन के वास्ते 4.5 अरब डाॅलर की ऋण सहायता जारी की थी. अप्रैल में हसीना की भारत यात्रा के दोरान इस ऋण सहायता की घोषणा की गयी थी. इस घटनाक्रम को बांग्लादेश में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के भारत के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. चीन बांग्लादेश में बुनियादी ढांचा उपक्रमों में कदम बढ़ाने की कोशिश में जुटा है.

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