वाशिंगटनः तिब्बती नेताओं और प्रमुख विशेषज्ञों ने ट्रंप प्रशासन से तिब्बती बौद्ध धर्म के दमन का मुद्दा प्राथमिकता के आधार पर चीन के सामने उठाने की अपील की है. अमेरिकन कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) के आयुक्त तेन्जिंग दोरजी ने कहा कि चीन सरकार तिब्बती बौद्ध धर्म और तिब्बतियों के शांतिपूर्ण धार्मिक गतिविधियों पर अनगिनत रोकटोक लगाती है, जिनसे एक बेहद दमनकारी माहौल पैदा हुआ है.
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दोरजी ने कहा कि चीन सरकार ने तिब्बती बौद्ध धर्म के दमन से जुड़े अपने प्रयास तेज कर दिये हैं और हाल में मठ शिक्षा प्रणाली के नियंत्रण के लिए काम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों को नियुक्त किया है. उन्होंने कहा कि चीन सरकार तिब्बती धार्मिक और शिक्षा संस्थानों पर हमला कर तिब्बती बौद्ध धर्म की आत्मा को निशाना बनाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने तिब्बत की अवतार प्रणाली को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर विषय है.
दोरजी ने अमेरिकी कांग्रेस से रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट पारित करने की अपील की, जिससे तिब्बती क्षेत्रों की यात्रा करने के इच्छुक अमेरिकी अधिकारियों, पत्रकारों, स्वतंत्र पर्यवेक्षकों और पयर्टकों पर प्रतिबंध लगाने वाले चीनी अधिकारियों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लग जायेगी.
इंटरनेशनल कैंपेन फाॅर तिब्बत के उपाध्यक्ष भुचुंग के सेरिंग ने कहा कि ट्रंप प्रशासन को चीन को यह संदेश देने के लिए 2002 का तिब्बत नीति अधिनियम लागू करना चाहिए कि अमेरिका चीनी नेतृत्व एवं दलाई लामा के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत के जरिये तिब्बती मुद्दे का हल चाहता है.
अंतरराष्ट्रीय निगरानी संगठन फ्रीडम हाउस की वरिष्ठ अनुसंधान विश्लेषक सारा कुक ने ट्रंप प्रशासन से चीन को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के तहत खास चिंता वाला देश करार देना जारी रखने तथा कानून के तहत उपलब्ध अतिरिक्त दंड लागू करने की अपील की.