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सुषमा से मुलाकात के बाद भूटान के विदेश मंत्री ने कहा-डोकलाम पर झूठ बोल रहा है चीन

भारत ने सिक्किम और अरुणाचल में चीन की सीमा के पास तैनात अपने सैनिकों की संख्या बढ़ायी काठमांडू/नयीदिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवारको अपने भूटानी समकक्ष दामचो दोरजी से मुलाकात की. बैठक में दोरजी ने उम्मीद जतायी कि सिक्किम सेक्टर के डोलाम में भारत और चीनी सैनिकों के बीच जारी गतिरोध ‘शांतिपूर्ण और […]

भारत ने सिक्किम और अरुणाचल में चीन की सीमा के पास तैनात अपने सैनिकों की संख्या बढ़ायी

काठमांडू/नयीदिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवारको अपने भूटानी समकक्ष दामचो दोरजी से मुलाकात की. बैठक में दोरजी ने उम्मीद जतायी कि सिक्किम सेक्टर के डोलाम में भारत और चीनी सैनिकों के बीच जारी गतिरोध ‘शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण’ तरीके से हल हो जायेगा. बिम्सटेक के विदेशमंत्रियों की यहां आयोजित बैठक के इतर सुषमा से मुलाकात के बाद दोरजी का यह बयान आया है. दोरजी ने संवाददाताओं से कहा, ड्रैगन द्वारा यह दावा किये जाने के बाद कि भूटान यह मानता है कि डोकलाम चीन का हिस्सा है, यह भूटान की तरफ से आयी पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया है. चीन ने हालांकि अपने दावे के पक्ष में कोई साक्ष्य नहीं दिये थे. स्वराज और दोरजी दोनों ही यहां दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के समूह बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (बिम्सटेक) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं. भारत की तरह से हालांकि इस बैठक में हुई चर्चा को लेकर कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गयी.

दोनों नेताओं के बीच यह डोकलाम में मौजूदा गतिरोध की पृष्ठभूमि में हुई. भारत और चीन सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में 16 जून से ही आमने-सामने हैं. भारतीय सैनिकों द्वारा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को इलाके में सडक बनाने से रोके जाने के बाद यह गतिरोध खड़ा हुआ था. सुषमा ने श्रीलंका के विदेश राज्यमंत्री वसंत सेनानायके से भी मुलाकात की.

इस बीच, सामरिक तौर पर अहम कदम उठाते हुए भारत ने सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से लगी चीन की सीमा के आसपास के समूचे इलाके में और ज्यादा सैनिकों की तैनाती की है. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. अधिकारियों ने कि सैनिकों के ‘चौकसी के स्तर’ को भी बढ़ा दिया गया है. उन्होंने बताया कि डोकलाम पर भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक अंदाज के मद्देनजर और गहन विश्लेषण के बाद सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत-चीन की करीब 1,400 किलोमीटर लंबी सीमा के पास के इलाकों में सैनिकों की तैनाती बढ़ाने का फैसला किया गया.

संवेदनशील प्रकृति की सूचना होने के कारण अधिकारियों ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर यह बताया. भारतीय थलसेना के सुकना स्थित 33 कोर के साथ-साथ अरुणाचल और असम स्थित 3 और 4 कोर को पूर्वी क्षेत्र में भारत-चीन की संवेदनशील सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी दी गयी है. अधिकारियों ने तैनात किये गये सैनिकों का कोई आंकड़ा या तैनाती में हुई बढ़ोतरी का प्रतिशत बताने से इनकार करते हुए कहा कि वे ‘ऑपरेशन से जुड़े ब्योरे’ का खुलासा नहीं कर सकते. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, स्थानीय मौसम से तालमेल बिठाने की प्रक्रिया पूरी कर चुके जवानों सहित करीब 45,000 जवानों को हर वक्त सीमा पर तैयार रखा जाता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि उन्हें तैनात किया ही जाये. समुद्र तल से 9,000 फुट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर तैनात सैनिकों को मौसम से तालमेल बिठाने की 14 दिन लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

बहरहाल, अधिकारियों ने कहा कि डोकलाम में भारत-चीन-भूटान ट्राई-जंक्शन पर सैनिकों की संख्या नहीं बढ़ायी गयी है. डोकलाम में करीब आठ हफ्ते से लगभग 350 जवान तैनात हैं. यह तैनाती उस वक्त से है जब भारतीय सैनिकों ने 16 जून को चीनी सेना को वहां एक सड़क बनाने से रोक दिया था. डोकलाम पर भूटान और चीन के अपने-अपने दावे हैं और वे मसले को हल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. चीन पिछले कुछ हफ्तों से भारत के खिलाफ आक्रामक बयानबाजी कर रहा है. उसकी मांग है कि भारत डोकलाम से अपनी सेना हटाये. खासकर चीन की मीडिया ने डोकलाम मुद्दे पर कई आलेख लिखकर भारत की तीखी आलोचना की है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में बयान दिया था कि दोनों पक्षों को पहले अपनी-अपनी सेना हटानी चाहिए, तभी कोई बातचीत हो सकेगी. उन्होंने सीमा पर गतिरोध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने की वकालत की थी. भारत ने चीन सरकार को भी बता दिया है कि सडक निर्माण से यथास्थिति में बडा बदलाव आ जाएगा और भारत की सुरक्षा गंभीर रूप से प्रभावित होगी.

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