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चीनी मीडिया की भारत को धमकी – पीछे हटे भारत, नहीं तो 1962 से भी गंभीर नुकसान झेलना पड़ेगा

बीजिंग : चीन की आधिकारिक मीडिया ने आज भारत पर हमला और तेज कर दिया और अपने-अपने संपादकीय में स्थिति को ‘ ‘चिंता का विषय ‘ ‘ बताते हुए ‘ ‘भारतीय सैनिकों को सम्मान के साथ सिक्किम सेक्टर के दोका ला इलाके से बाहर चले जाने ‘ ‘ को कहा. चीन के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स […]

बीजिंग : चीन की आधिकारिक मीडिया ने आज भारत पर हमला और तेज कर दिया और अपने-अपने संपादकीय में स्थिति को ‘ ‘चिंता का विषय ‘ ‘ बताते हुए ‘ ‘भारतीय सैनिकों को सम्मान के साथ सिक्किम सेक्टर के दोका ला इलाके से बाहर चले जाने ‘ ‘ को कहा.

चीन के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स ‘ ने कहा कि भारत को ‘ ‘कड़ा सबक ‘ ‘ सिखाना चाहिए. एक अन्य सरकारी अखबार ‘चाइना डेली ‘ ने लिखा कि भारत को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए.

‘ग्लोबल टाइम्स ‘ ने अपने संपादकीय में लिखा कि भारत अगर चीन के साथ अपने सीमा विवादों को ‘ ‘और हवा देता ‘ ‘ है तो उसे 1962 से भी ‘ ‘गंभीर नुकसान ‘ ‘ झेलना पड़ेगा.

अखबार ने लिखा कि डोका ला इलाका में तीसरे सप्ताह भी गतिरोध जारी है और भारत को ‘ ‘कड़ा सबक ‘ ‘ सिखाना चाहिए. उसने यह भी दावा किया कि चीनी लोग भारत के ‘ ‘उकसावे ‘ ‘ से आहत हैं.

इसने लिखा, ‘ ‘हमारा मानना है कि चीनी सरजमीन से भारतीय सैनिकों को निकाल बाहर करने केलिए चीन की जनमुक्ति सेना :पीएलए: पर्याप्तरूप से सक्षम है. भारतीय सेना पूरे सम्मान के साथ अपने क्षेत्र में लौटने का चयन कर सकती है या फिर चीनी सैनिक उन्हें उस इलाके से निकाल बाहर करेंगे. ‘ ‘ इसमें लिखा है, ‘ ‘इस मुद्दे से निपटने केलिए राजनयिक और सैन्य अधिकारियों को हमें पूरा अधिकार देने की आवश्यकता है. हमलोग चीनी समाज से इस मुद्दे पर उच्च स्तरीय एकता बनाये रखने का आह्वान करते हैं. अगर पेशेवरों को भारत के खिलाफ लड़ना हो और हमारे हितों की रक्षा करनीपड़ी तो चीनी लोग जितने एकजुट रहेंगे, भारत के खिलाफ लड़ाई में उन्हें उतने बेहतर हालात मिलेंगे. इस वक्त निश्चितरूप से हमें भारत कोकड़ा सबक सिखाना चाहिए.’ ‘

पढ़ें : अगर भारत नहीं सुनता है तो चीन को सैन्य रास्ता अपनाना पड़ेगा : चीनी मीडिया

संपादकीय में कहा गया कि उसका यह ‘ ‘दृढ़ ‘ ‘ मत है कि इस टकराव का खात्मा दोंगलांग से भारतीय सैनिकों के ‘ ‘पीछे हटने ‘ ‘ से होगा. चीन इस क्षेत्र को दोंगलांग कहता है.

इसमें कहा गया, ‘ ‘अगर भारत यह मानता है कि उसकी सेना दोंगलांग इलाका :दोक ला: में फायदा उठा सकती है और वह ढाई मोर्चों पर युद्ध केलिए तैयार है तो हमें भारत को यह कहनापड़ेगा कि चीन उनकी सैन्य ताकत को तुच्छ समझता है. ‘ ‘ अखबार ने भारतीय सेना के प्रमुख बिपिन रावत की उस टिप्पणी का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ‘ ‘ढाई मोर्चों पर युद्ध केलिए तैयार है. ‘ ‘ इसने लिखा, ‘ ‘रक्षा मंत्री अरुण जेटली सही हैं कि भारत की वर्ष 2017 की स्थिति वर्ष 1962 से अलग है – इसलिए अगर भारत संघर्षों को उकसाता है तो उसे वर्ष 1962 की तुलना में कहीं अधिक नुकसान झेलनापड़ेगा. ‘ ‘ चीन ने भारतीय सेना को ‘ ‘ऐतिहासिक सबक ‘ ‘ से सीखने को कहा था जिसके जवाब में जेटली ने 30 जून को कहा था कि वर्ष 2017 और वर्ष 1962 के भारत में फर्क है.


…इसलिए वे युद्ध की जुबान बोलते हैं

‘चाइना डेली ‘ के संपादकीय के अनुसार, वर्ष 1962 में भारत की हार से संभवत: भारतीय सेना में कुछ लोग अपमानित महसूस कर रहे हैं इसलिए इस वक्त वे ‘ ‘युद्ध ‘ ‘ की जबान बोल रहे हैं.

पीएलए के भारतीय सेना के बंकर ध्वस्त करने के बाद वहां छह जून से गतिरोध जारी है. चीन का दावा है कि यह क्षेत्र चीन से संबद्ध है. चीनी मीडिया ने सीमा पर बढते तनाव के खिलाफ भारत को कई बार चेतावनी जारी की है.

‘चाइना डेली ‘ ने लिखा, ‘ ‘भारत को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. वह गैरकानूनी सीमा उल्लंघन के साक्ष्य को झूठलाने के काबिल नहीं है और इस आरोप को मढने केलिए वह अपने छोटे पड़ोसी भूटान पर दबाव बनाता है. ‘ ‘ ‘ग्लोबल टाइम्स ‘ ने यह भी कहा कि चीन घरेलू स्थिरता को काफी महत्व देता है और वह भारत के साथ उलझना नहीं चाहता है.

इसने लिखा, ‘ ‘भारत का यह सोचना उसकी नासमझी होगी कि चीन उसकी हर गैर वाजिब मांगों को मान लेगा. ‘ ‘

भारत दोंगलांग को विवादस्पद बनाना चाहता है:चीनी मीडिया

संपादकीय में लिखा है, ‘ ‘भारत का वास्तविक मकसद चीन के दोंगलांग क्षेत्र को विवादास्पद क्षेत्र बनाना है और वहां चीन के सड़क निर्माण को बाधित करना है. ‘ ‘ इसके अनुसार, ‘ ‘शीत युद्ध से आसक्त भारत को यह संदेह है ‘ ‘ कि चीन इस सड़क का निर्माण सिलीगुड़ी गलियारे को बंद करने केलिए कर रहा है. भारतीयों के अधिकार वाला यह क्षेत्र अशांत पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारत के नियंत्रण केलिए सामरिकरूप से अहम है.

चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर अपनी चिंता के तहत 16 जून को दोका ला इलाका में चीनी सेना को सामरिक सड़क निर्माण से रोकने के भारत के कदम को जोड़ते हुए ‘चाइना डेली’ ने कहा कि भारत को सीमा समझौते का सम्मान करना चाहिए और अपने सैनिकों को वापस बुला लेना चाहिए. बीआरआई में 50 अरब डॉलर की लागत वाला चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा :सीपीईसी: भी शामिल है.

पढ़ें : चीन की धमकी पर भारत ने दी चेतावनी, यह 2017 का भारत, 1962 जैसा कमजोर नहीं

इसने कहा, ‘ ‘भारत संभवत: इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है. उसने कथितरूप से यह चिंता जतायी है कि चीन का सड़क निर्माण भारत केलिए गंभीर सुरक्षा निहितार्थ के साथ यथास्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है. ‘ ‘ अखबार ने कहा कि इस तरह की चिंताओं को पहले से मौजूद उन तंत्रों का इस्तेमाल करते हुए संवाद तथा विमर्श से दूर किया जा सकता है, जिन्होंने ‘ ‘वर्ष 1962 में सीमा युद्ध के तुरंत बाद से क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाये रखने में दोनों पक्षों की मदद की है. ‘ ‘ संपादकीय में लिखा है कि डोका ला में हालात ‘ ‘चिंताजनक बने हुए हैं और दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव अब भी जारी है. ‘ ‘ चीन और भारत के बीच 3,500 किलोमीटर सीमा के अन्य हिस्सों में हुई पूर्ववर्ती घटनाओं के विपरीत हालिया घटना उस खंड में हुई है जिसे काफी पहले 1890 ऐतिहासिक सम्मेलन द्वारा सीमांकित किया गया गया है और तब से चीन एवं भारत की सरकारों के बीच दस्तावेजों के आदान प्रदान में इसकी पुष्टि की गयी है.

दोनों अखबारों ने भारत, चीन और भूटान की सीमा के त्रिकोणीय जंक्शन में संकरे ‘चिकन नेक एरिया ‘ के करीब डोका ला में सड़क निर्माण को लेकर भारत की चिंताओं का उल्लेख किया है क्योंकि इससे भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ अहम संपर्क टूट सकता है.

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