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Vastu Tips: घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए आजमाएं ये अचूक वास्तु उपाय

Vastu Tips: घर के मुख्य द्वार के लिए उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह सौभाग्य और नई संभावनाएं लेकर आती है. उत्तर और पूर्व दिशा को भी शुभ विकल्प माना गया है. उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर से जुड़ी है, और इस दिशा में मुख्य द्वार होने से वित्तीय लाभ, समृद्धि और करियर में वृद्धि होती है.


Vastu Tips: आजकल हर कोई अपने घर में सुख, शांति और समृद्धि की तलाश में है। जीवन की भागदौड़ और बढ़ते तनाव के बीच, घर ही वह जगह है जहाँ हम सुकून पाते हैं। लेकिन अगर घर का माहौल ही नकारात्मक हो जाए, तो परेशानियां बढ़ जाती हैं। ऐसे में, वास्तु शास्त्र के प्राचीन और अचूक उपाय आपके लिए संजीवनी साबित हो सकते हैं। ये सरल तरीके आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं, जिससे परिवार में खुशहाली और आर्थिक समृद्धि आती है। जानिए कैसे कुछ आसान बदलाव आपके घर को स्वर्ग बना सकते हैं और जीवन की दिशा बदल सकते हैं।

वास्तु शास्त्र का महत्व

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय ज्ञान है जो भवन निर्माण के सिद्धांतों और दर्शन को बताता है. यह कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का एक मिलाजुला रूप है. वास्तु का शाब्दिक अर्थ निवास स्थान होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के वास्तु का प्रभाव उसमें रहने वाले सभी लोगों के जीवन पर पड़ता है. इसका उद्देश्य जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ाना है. यह आसपास की ऊर्जा को संतुलित करने और उसे हमारे अनुकूल बनाने में मदद करता है. प्रकृति में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश जैसे विभिन्न बल मौजूद हैं और इनके बीच की परस्पर क्रिया को वास्तु कहते हैं. इन पांच तत्वों के बीच होने वाली परस्पर क्रिया का प्रभाव हमारे कार्य, स्वभाव, भाग्य और जीवन के अन्य पहलुओं पर पड़ता है. वास्तु शास्त्र हमें नकारात्मक तत्वों से दूर एक सुरक्षित वातावरण में रहने में मदद करता है.

मुख्य द्वार और सकारात्मक ऊर्जा

घर का मुख्य द्वार सिर्फ आने-जाने का रास्ता नहीं होता, बल्कि यह ऊर्जा का प्रवेश द्वार भी होता है. यह वह स्थान है जहाँ से सुख और सौभाग्य घर में प्रवेश करते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य द्वार पर स्वास्तिक लगाना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बाहर रखता है और सकारात्मकता को अंदर आने देता है. कुमकुम, हल्दी या रंगोली से मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक बनाना घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है.

  • सही दिशा: घर के मुख्य द्वार के लिए उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह सौभाग्य और नई संभावनाएं लेकर आती है. उत्तर और पूर्व दिशा को भी शुभ विकल्प माना गया है. उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर से जुड़ी है, और इस दिशा में मुख्य द्वार होने से वित्तीय लाभ, समृद्धि और करियर में वृद्धि होती है.
  • खिड़की और दरवाजे: उत्तर दिशा में घर का मुख्य द्वार होना शुभ होता है. घर में ज़्यादा खिड़की और दरवाजे बनाना सकारात्मकता, समृद्धि और खुशहाली लाता है.
  • बचने वाली दिशाएं: वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार के लिए दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण दिशाएं नकारात्मक मानी जाती हैं, क्योंकि वे बर्बादी और हानि का कारण बन सकती हैं. दक्षिण-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार को भी वास्तु दोष माना जाता है, क्योंकि यह अग्नि देवता का क्षेत्र है और इससे परिवार की महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं, साथ ही रिश्तों में अनबन भी बढ़ सकती है. हालांकि, अगर दक्षिण मुखी घर है, तो दक्षिण-पूर्व दिशा का चुनाव किया जा सकता है.
  • साफ-सफाई: प्रवेश द्वार को हमेशा साफ रखना चाहिए. यदि संभव हो, तो प्रवेश द्वार पर लकड़ी की थोड़ी ऊंची दहलीज बनवानी चाहिए.
  • अन्य उपाय: प्रवेश द्वार पर गणेशजी की मूर्ति, तस्वीर या स्टीकर लगाए जा सकते हैं. प्रवेश द्वार के सामने फूलों की सुंदर तस्वीर लगाना भी शुभ होता है. घर के बाहर नेमप्लेट लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव घर के मालिक के जीवन पर पड़ता है और उसे अच्छे अवसर मिलते हैं. नेमप्लेट जितनी साफ और चमकदार होगी, नकारात्मक ऊर्जा उतनी दूर रहेगी. फिटकरी का एक टुकड़ा छोटे कपड़े में बांधकर मुख्य द्वार के ऊपर लटकाने से नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करतीं. इसे हर 15 दिन में बदलना चाहिए और पुरानी फिटकरी को बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए.

रसोई घर और वास्तु

रसोई घर सिर्फ खाना बनाने की जगह नहीं होती, बल्कि यह पूरे घर की ऊर्जा का केंद्र मानी जाती है. अगर रसोई सही दिशा में हो और उसमें संतुलन बना रहे, तो यह परिवार की सेहत, धन और आपसी रिश्तों को बेहतर बनाती है. वहीं, गलत दिशा में रसोई होने से तनाव, बीमारियां और आर्थिक समस्याएं आ सकती हैं.

  • सही दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई घर के लिए दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) दिशा सबसे उपयुक्त और शुभ मानी जाती है, क्योंकि यह अग्नि तत्व से जुड़ी है. इस दिशा में रसोई होने से ऊर्जा का सकारात्मक प्रवाह बना रहता है और मानसिक तनाव कम होता है.
  • बचने वाली दिशाएं: घर का उत्तर या उत्तर-पूर्व क्षेत्र रसोई घर के लिए अशुभ स्थान माना जाता है. उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर का स्थान माना गया है, इसलिए इस दिशा में रसोई होना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे धन और जमीन-जायदाद की हानि हो सकती है. रसोई का मुख्य द्वार घर के मुख्य द्वार के सामने नहीं होना चाहिए.
  • चूल्हे की दिशा: गैस स्टोव रखने के लिए रसोई घर का दक्षिण-पूर्व कोना सबसे अच्छा स्थान है. खाना बनाते समय व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए, जिससे घर की ऊर्जा सकारात्मक बनी रहती है.
  • अन्य उपकरण: माइक्रोवेव, मिक्सर या अन्य धातु उपकरण दक्षिण-पूर्व में रखें. रेफ्रिजरेटर या फ्रीज उत्तर-पश्चिम में रख सकते हैं.
  • खिड़कियां: रसोई में मुख्य खिड़की पूर्व की ओर होनी चाहिए ताकि सुबह सूरज की किरणें सबसे पहले रसोई में आएं. छोटी खिड़कियां दक्षिण दिशा में रखी जा सकती हैं.
  • रंग: रसोई के फर्श और दीवारों का रंग पीला, नारंगी या गेरुआं रखें. नीले या आसमानी रंग के प्रयोग से बचना चाहिए. रसोई में हरा, मेहरून या फिर सफेद रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • कूड़ेदान: कूड़ेदान को हमेशा रसोई घर के दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए.
  • सामान: रसोई घर में झाडू, पोछा या सफाई का कोई सामान रखना है तो नैऋत्य कोण में रख सकते हैं. डस्टबिन को रसोई घर से बाहर ही रखें. रसोई में टूटे फूटे बर्तन या अटाला नहीं रखना चाहिए.

पूजा घर का वास्तु

पूजा स्थल घर का वह हिस्सा होता है जहाँ से सबसे ज़्यादा सकारात्मक ऊर्जा निकलती है. देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा घर के वास्तु नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है.

  • दिशा: वास्तु के अनुसार, ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में पूजा घर बनवाना चाहिए, क्योंकि इस दिशा में ऊर्जा का भंडार होता है और इसे देव दिशा के रूप में भी जाना जाता है. यदि यहां बनाना संभव न हो, तो उत्तर या पूर्व में बना सकते हैं.
  • रंग: सफेद, पीला, हल्का नीला और नारंगी रंग पूजा घर के लिए सर्वोत्तम हैं. यहां सफेद रंग की लाइटें लगाई जा सकती हैं. पूजा घर में काला, भूरा या किसी भी गहरे रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
  • ऊंचाई: पूजा स्थान जमीन पर नहीं होना चाहिए. यह जमीन से कम से कम चौरंगा की ऊंचाई का होना चाहिए, और अधिकतम खड़े व्यक्ति की छाती की ऊंचाई से अधिक नहीं होना चाहिए.
  • क्या न करें: पूजा घर को स्टोर रूम नहीं बनाना चाहिए और न ही वहां राशन, किताबें, कपड़े या अन्य चीजें रखनी चाहिए. पूजा घर में पितरों का चित्र नहीं लगाना चाहिए.
  • देवताओं की दिशा: गणेशजी के लिए उत्तर दिशा, मां दुर्गा और हनुमानजी की पूजा के लिए दक्षिण दिशा, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर के लिए उत्तर-पूर्व दिशा, सूर्य उपासना, भगवान राम और भगवान विष्णु के लिए पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है.
  • मूर्ति: घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश या दो शालिग्राम नहीं रखने चाहिए.

अध्ययन कक्ष का वास्तु

पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन केवल व्यक्ति पर नहीं, बल्कि उसके आसपास मौजूद ऊर्जा पर भी निर्भर करता है. यदि यह ऊर्जा नकारात्मक है, तो यह ध्यान और एकाग्रता दोनों को प्रभावित करती है. अध्ययन कक्ष का माहौल शांत, सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर और सुकून भरा होना चाहिए.

  • दिशा: अध्ययन कक्ष के लिए घर की पश्चिमी नैऋत्य (WSW) दिशा उत्तम होती है. घर की पश्चिम दिशा में भी अध्ययन कक्ष बनाना बेहतर परिणाम देता है. इसके अलावा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) या पूर्व दिशा में भी अध्ययन कक्ष बना सकते हैं.
  • पढ़ने की दिशा: स्टडी रूम में उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके पढ़ाई करनी चाहिए, इससे स्मरण शक्ति बढ़ती है. पश्चिम या दक्षिण दिशा या दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके पढ़ाई करना अच्छा नहीं होता है.
  • रंग: सफेद रंग पढ़ाई के दौरान एकाग्रता बढ़ाने में मदद कर सकता है, क्योंकि यह शांति का प्रतीक है. यह बच्चों और वयस्कों दोनों के स्टडी रूम के लिए अच्छा माना जाता है. हल्के नीले रंग का भी उपयोग किया जा सकता है.
  • किताबों की अलमारी: पढ़ने के लिए कमरे में पुस्तकों की रैक या अलमारी की सही दिशा पूर्व या उत्तर मानी जाती है. वायव्य कोण में बुक शेल्फ बिल्कुल नहीं रखना चाहिए.
  • स्टडी टेबल: स्टडी टेबल के ऊपर कोई बीम या भारी निर्माण नहीं होना चाहिए. स्टडी टेबल के ऊपर किताबें रखने के लिए कोई अलमारी (बुक शेल्फ) नहीं होनी चाहिए. दीवार और टेबल के बीच थोड़ी दूरी रखनी चाहिए. कांच से बनी स्टडी टेबल नहीं चुननी चाहिए.
  • अन्य उपाय: अध्ययन कक्ष में सकारात्मकता और सौभाग्य लाने के लिए कमरे की उत्तर-पूर्व दिशा में भगवान गणेश और देवी सरस्वती की तस्वीर लगानी चाहिए. पढ़ाई करते समय बच्चे को खाली दीवार का सामना नहीं करना चाहिए, बल्कि कमरे को कुछ आकर्षक चित्रों से सजाना चाहिए.

सोने की सही दिशा

सोने की सही स्थिति और दिशा जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है.

  • उत्तम दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोना उत्तम माना गया है. इस दिशा में सिर रखकर सोने से मानसिक शांति मिलती है, अच्छी नींद आती है, व्यक्ति दीर्घायु होता है और धन व सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. कुछ मान्यताओं के अनुसार, उत्तर दिशा में सिर करके सोना भी शुभ माना गया है, क्योंकि इससे चुंबकीय ऊर्जा का प्रवाह होता है और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
  • विद्यार्थियों के लिए: विद्यार्थियों के लिए सोने की सर्वोत्तम दिशा पूर्व दिशा है.
  • जोड़ों के लिए: उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम दिशा जोड़ों के लिए सोने के लिए आदर्श दिशा है. जोड़ों को अपना सिर दक्षिण दिशा की ओर और पैर उत्तर दिशा की ओर करके सोना चाहिए.
  • मास्टर बेडरूम: मास्टर बेडरूम घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए. बिस्तर का हेडबोर्ड दक्षिण या पश्चिम की ओर हो, ताकि सोते समय पैर उत्तर या पूर्व की ओर हों.

सकारात्मक ऊर्जा और घर की साफ-सफाई

घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने और नकारात्मकता को दूर करने के लिए साफ-सफाई और कुछ वास्तु उपाय बहुत महत्वपूर्ण हैं.

  • साफ-सफाई का महत्व: जिस घर में गंदगी रहती है और ठीक से साफ-सफाई नहीं की जाती, वहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता. साफ घर में ही सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है.
  • सफाई की दिशा: वास्तु नियमों के अनुसार घर की उत्तर दिशा, ईशान कोण और वायव्य कोण को साफ रखना बेहद जरूरी माना जाता है, क्योंकि इन दिशाओं में कुबेर देवता का वास होता है. इन दिशाओं को सबसे पहले साफ करना चाहिए.
  • नमक का उपयोग: घर के कोनों में चार कटोरियों में नमक भरकर रखने से नमक सभी नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है और घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का वास रहता है. फर्श को साफ करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी में एक चुटकी समुद्री नमक मिला सकते हैं.
  • कपूर: घर में दो कपूर के गोले या क्यूब्स रखने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. जब वे सूख जाएं तो उन्हें बदल देना चाहिए. कपूर और फिटकरी का संयोजन नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है और परिवार में प्रेम व सद्भाव बढ़ाता है.
  • हल्दी: हल्दी का पेस्ट घर की दहलीज पर इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह समृद्धि को बढ़ाता है. घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए मेन गेट पर कुमकुम और हल्दी का स्वास्तिक बनाना शुभ होता है, जिससे नकारात्मकता दूर होती है.
  • फिटकरी: फिटकरी नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने और सकारात्मकता को बढ़ाने की क्षमता रखती है. एक कटोरी में पानी और फिटकरी का छोटा टुकड़ा डालकर फर्श की पोंछा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा अवशोषित होती है. बाथरूम के किसी कोने में कांच के कटोरे में फिटकरी का टुकड़ा रखने से नकारात्मक ऊर्जा सोख ली जाती है.
  • पौधे और एक्वेरियम: कुछ दोषों को ठीक करने का एक अच्छा तरीका है अपने घर में गमले में पौधे लगाना. यह अच्छा माहौल देता है और वास्तु समस्याओं के कारण होने वाले नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में मदद करता है. एक्वेरियम लगाना भी नकारात्मक ऊर्जा विकिरण को काटने में मदद करता है.
  • क्या न करें: झाड़ू-पोछे की आदतें अगर सही न हों, तो वह पूरे घर की समृद्धि को धीरे-धीरे खत्म कर सकती हैं. पोछा लगाए हुए पानी को कभी भी घर की दहलीज पर नहीं डालना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है और मां लक्ष्मी इससे नाराज हो सकती हैं. गुरुवार के दिन साफ-सफाई का काम नहीं करना चाहिए.

रंगों का महत्व

रंगों का हमारे स्वास्थ्य, करियर और निजी जीवन पर काफी असर पड़ता है. वास्तु में रंगों के महत्व और जिस प्रकार की ऊर्जा वे घर में ला रहे हैं, उस पर विशेष ध्यान दिया जाता है. सही रंगों का सही जगह उपयोग करना ज़रूरी है ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा ज़्यादा रहे.

  • पीला रंग: पीला रंग सुकून व रोशनी देने वाला रंग होता है. यह शुद्धता, सकारात्मक विचार, रोशनी, एकाग्रता और खुशी का प्रतीक है. घर के उत्तर-पूर्व हिस्से में पीले रंग और उसके अलग-अलग शेड्स का उपयोग करना चाहिए. इसे पूजा घर में भी उपयोग किया जाना अच्छा रहता है.
  • हरा रंग: हरा रंग उपचार, प्रकृति, सद्भाव, विकास, प्रजनन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है. यह बच्चों के कमरे और उनके पढ़ाई वाले कमरे के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. उत्तरी दिशा की वाले कमरों के लिए हरा रंग सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.
  • आसमानी/नीला रंग: आसमानी रंग जल तत्व को इंगित करता है. नीला रंग शांति, तनाव रहित होने और आराम का प्रतीक है. जिन कमरों का मुख पूर्व दिशा की तरफ हो, उनमें इस रंग का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. यह बेडरूम के लिए श्रेष्ठ माना जाता है, विशेष रूप से अतिथियों के कमरों के लिए. उत्तर दिशा में हल्के नीले रंग के पर्दों का प्रयोग करने से धन आगमन की गति बढ़ती है.
  • सफेद रंग: सफेद रंग शुद्धता, सफाई, खुलेपन, भोलेपन, सादगी और विलासिता को दर्शाता है. यह प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है और किसी भी जगह की चमक को बढ़ाता है. पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा मुखी वाले बेडरूम के लिए सफेद रंग सबसे अच्छा होता है. घर की छत सफेद रंग की होनी चाहिए.
  • लाल/गुलाबी रंग: घर की दक्षिण-पूर्व दिशा की दीवार पर नारंगी, गुलाबी, पीला जैसे रंग कराना शुभ होता है क्योंकि यह दिशा अग्नि से संबंधित होती है. दक्षिण दिशा में लाल रंग और गुलाबी रंग के पर्दों का प्रयोग करना चाहिए. पर्याप्त सफलता और शांति के लिए घर की दक्षिण दिशा में लाल बत्ती या लाल लैंप लगाना चाहिए. बेडरूम में गुलाबी और आसमानी जैसे हल्के रंगों का उपयोग शुभ माना जाता है.
Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए [email protected] पर

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