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काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद 126 शिवलिंगों की पुकार- आखिर हमें कब मुक्ति मिलेगी?

काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के बाद भी शहर के लंका थाना अंतर्गत 126 शिवलिंग जब्ती के तौर पर रखे गए हैं. उनके मुक्ति का अभी तक कोई आसार नजर नहीं आता. तीन साल बीत जाने के बाद भी थाने के परिसर में कैद शिवलिंगों को आज भी रिहाई का इंतजार है.

Varanasi News: दिसम्बर 2018 में लंका थाने के रोहित नगर में एक ज़मीन पर मलबे के ढेर में सैकड़ों शिवलिंग मिले थे. तीन साल बीत जाने के बावजूद थाने के परिसर में कैद शिवलिंगों को आज भी रिहाई का इंतजार है.

दरअसल, 19 दिसम्बर 2018 को लंका थाने के रोहित नगर में खाली प्लाट में गिरे मलबे के ढेर में सैकड़ों की संख्या में शिवलिंग पड़े हुए थे. उसमें कुछ खंडित भी थे. मलबे में सैकड़ों शिवलिंग टूटे-फूटे अवस्था में गिरे पड़े थे. उस दौरान काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए जमीनों का अधिग्रहण कर मकानों को ध्वस्त करने का कार्य चल रहा था. इसी दौरान कई मंत्रियों और मूर्तियों के खंडित होने की चर्चा भी बड़ी आम थी.

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मलबे में पड़े शिवलिंग की तस्वीर को ट्विटर के माध्यम से जब प्रशासन को अवगत कराया गया तो सूचना पर तत्काल प्रशासन एक्टिव हुआ और मौके पर पहुंचे. खबर जंगल में आग की तरह फैली और खबर सुनते ही विद्यामठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और कांग्रेस के नेता अजय राय धरने पर बैठ गए थे.

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और अजय राय ने कॉरिडोर निर्माण के दौरान मूर्तियों और विग्रहों को खंडित करने का सनसनीखेज आरोप भी लगाया. हालांकि उस समय के तत्कालीन एसडीएम विनोद सिंह ने इन आरोपों का खंडन कर दिया था और बताया कि कॉरिडोर का सारा मलबा मीरघाट में डंप किया जा रहा है.

दिसम्बर 2018 में पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता अजय राय की ओर से धारा 295,155B और 427 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया गया था. लंका थाने की पुलिस ने जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट न्यायालय में लगा दी है. रोहित नगर में खाली प्लॉट से मलबे के ढेर में से 126 शिवलिंग जब्त किये गए थे. इन शिवलिंगों की विद्यामठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अनुरोध पर उनके बटुकों द्वारा रोजाना पूजन भी होता है. न्यायालय की ओर से जैसे ही फैसला आ जाएगा, यह शिवलिंग मुकदमा दर्ज कराने वाले व्यक्ति को सौंप दिया जाएगा.

मलबे के ढेर में मिले इन शिवलिंगों को लेकर मुकदमा दर्ज कराने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक और दिग्गज नेता अजय राय ने बताया कि शिवलिंग चाहे कॉरिडोर के हिस्से से निकले हो या ना निकले हो, न्यायालय में अगर फाइनल रिपोर्ट आ गई है तो फैसला आते ही शिवलिंग को उसी धाम में स्थापित किया जाना चाहिए, वहां पर भरपूर जगह भी है. शिवलिंग अपने सही स्थान पर पूरे सम्मान के साथ स्थापित हो, यही उनकी मंशा भी है.

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सरकार पर निशाना साधते हुए अजय राय ने कहा कि हम लोग शुरू से कह रहे हैं कि कॉरिडोर निर्माण के दौरान कई मंदिरों और मूर्तियों का विखंडन हुआ है, लेकिन लंका थाने में कैद इन शिवलिंग को तीन साल बीतने के बाद भी उचित सम्मान अब तक नहीं मिला.

रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी

Prabhat Khabar News Desk
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