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लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम में 4 दिनों तक लगेगा आम के 1000 किस्‍मों का ‘मेला’, सीएम योगी कल करेंगे शुरुआत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चार जुलाई की शाम चार बजे आम महोत्सव का उद्घाटन करेंगे. यूपी मैंगो बुक भी लांच की जाएगी. महोत्सव में आम के तरह-तरह के व्यंजन के भी स्टाल लगेंगे. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 4 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में विशेषज्ञों के माध्यम से किसानों को लाभान्वित किया जाएगा.

Lucknow News: प्रदेश की योगी आद‍ित्‍यनाथ सरकार ने सोमवार 4 जुलाई से सात जुलाई तक अवध शिल्प ग्राम में आम महोत्सव का आयोजन करने की घोषणा की है. इस महोत्सव में आम की एक हजार किस्म प्रदर्शित की जाएंगी। इसमें प्रदेशभर के आम किसानों का हुजूम उमड़ेगा. साथ ही, उन्‍हें विशेषज्ञों की सलाह पाने का भी अवसर मुहैया कराया जाएगा.

लखनऊ में 4 दिनों तक चलेगा महोत्सव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चार जुलाई की शाम चार बजे आम महोत्सव का उद्घाटन करेंगे. इस मौके पर यूपी मैंगो बुक भी लांच की जाएगी. महोत्सव में आम के तरह-तरह के व्यंजन के भी स्टाल लगेंगे. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 4 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में विशेषज्ञों के माध्यम से किसानों को लाभान्वित किया जाएगा. इसके माध्यम से कृषक आम की पैदावार व उसकी सुरक्षा के नई-नई जानकारी हासिल करेंगे. महोत्सव में आम की खीर, आम कबाब, आम कुल्फी व आम लस्सी सहित आम से बनें तरह-तरह के व्यंजनों का लोग लुफ्त उठा सकेंगे.

यूपी में 45 लाख टन आम का उत्पादन

इस दौरान कई प्रतियोगिताएं होंगी और आम के उत्पादन को बढ़ाने व किसानों को ज्यादा लाभ दिलाने के लिए विशेषज्ञ चर्चा करेंगे. किसान, किसान उत्पादक संगठन, पैक हाउस, स्वयं सहायता समूहए निर्यातक व व्यापारी आदि सभी एक मंच पर होंगे. निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण आरके तोमर ने मीड‍िया को बताया कि यूपी में 45 लाख टन आम का उत्पादन होता है. लखनऊ का दशहरी आम काफी प्रस‍िद्ध है. यहां एक हजार तरह की आम की किस्में पैदा की जाती हैं. राज्य सरकार ने 13 जिलों में आम फलपट्टी कलस्टर बनाकर आम का उत्पादन और बढ़ाने पर जोर दिया है. दशहरी और रतौल को जीआई टैग किया गया है.

क्‍या होता है जीआई टैग?

स्थानीय उत्‍पादों के प्रचार-प्रसार में जीआई टैग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आत्मनिर्भर भारत और वोकल पॉर लोकल की वजह से जीआई टैग को काफी बढ़ावा मिल रहा है. स्थानीय प्रोडक्ट को देश के साथ ही अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में विशेष पहचान दिलाने के लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है. जीआई टैग यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग ये एक प्रकार का लेबल होता है. इसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है. ऐसा उत्पाद जिसकी विशेषता या फिर नाम खाकर प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है. भारत में कर्नाटक में सबसे अधिक 47 जीआई टैग हैं. इसके बाद तमिलनाडु (39) दूसरे पायदान पर है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जर्मनी में जीआई की सबसे बड़ी संख्या (9,499) है. इसके बाद चीन (7,566), यूरोपीय संघ (4,914), मोल्दोवा गणराज्य (3442) और बोस्निया और हजेर्गोविना (3,147) हैं.

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