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UP Chunav 2022: मायावती का साथ देते रहे हैं दलित मतदाता, इस बार किसकी बनाएंगे ‘सरकार’?

UP Vidhan Sabha Chunav 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी से ज्यादा दलित मतदाता हैं. ये किसी भी पार्टी की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. अगर पिछले चुनावों के नतीजों को देखें तो यह बात साफ हो जाती है कि जिसके साथ दलित मतदाता गया, उसकी जीत जरूर हुई है.

UP Vidhan Sabha chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का बिगुल बज चुका है. पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को है. यूपी की सत्ता तक पहुंचने के लिए राजनीतिक दल जातिगत समीकरणों को साधने की पूरी कोशिश करते हैं. इसमें से दलित मतदाता भी एक हैं, जिनके वोट बैंक पर सभी दलों की निगाहें हैं. माना जाता है कि बहुजन समाज पार्टी के गठन के बाद से दलित मतदाता उसी के साथ हैं. हालांकि 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था.

पश्चिमी यूपी में निर्णायक भूमिका में दलित मतदाता

कहा जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी से ज्यादा दलित मतदाता हैं. ये किसी भी पार्टी की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. अगर पिछले चुनावों के नतीजों को देखें तो यह बात साफ हो जाती है कि जिसके साथ दलित मतदाता गया, उसकी जीत जरूर हुई है.

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1993 और 1996 में 67 सीटों पर बसपा को मिली जीत

माना जाता है कि जब से बहुजन समाज पार्टी का गठन हुआ है, तब से दलित मतदाता उसके साथ हैं. 1993 में बसपा को 11.12 फीसदी वोट मिला था, जिससे वह 67 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही. वहीं, 1996 में बसपा को 19.64 फीसदी वोट मिले. इस बार भी उसे 67 सीटों पर जीत दर्ज मिली थी.

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यूपी विधानसभा चुनाव 2002 और 2007

अगर बात करें 2002 के विधानसभा चुनाव की तो बसपा को 23.06 प्रतिशत वोट मिले थे. उसे 98 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, जब 2007 में बसपा की सरकार बनी तो उस समय उसे 30.43 फीसदी मत मिले. पार्टी 206 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही. इस चुनाव में बसपा के साथ काफी संख्या में ब्राह्मण मतदाताओं का भी साथ मिला. 2007 में कुल आरक्षित सीट 89 थी. इसमें बसपा को 61 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि सपा को 13, बीजेपी को 7, कांग्रेस को 5, रालोद को 1, आरएसपी और निर्दलीय को एक-एक सीट मिली थी.

2012 के चुनाव में बसपा को मिली 80 सीटें

2012 के चुनाव में बसपा को 25.95 फीसदी वोट मिले और उसे 80 सीटों पर जीत मिली. इस चुनाव में आरक्षित सीटें 85 थी. इसमें से सपा को 59, बसपा को 14, कांग्रेस को चार, बीजेपी और रालोद को तीन, जबकि निर्दलीय को एक सीट मिली थी.

पिछले चुनाव का परिणाम

बहुजन समाज पार्टी को 2017 के चुनाव में 22.24 प्रतिशत मिले और 19 सीटों पर जीत मिली. हालांकि उसका वोट प्रतिशत सपा के 21.8 फीसदी से ज्यादा था. विधानसभा चुनाव 2017 में आरक्षित सीटें 84 थी. इसमें बीजेपी को 71, अपना दल (एस) 01, एसबीएसपी 03, सपा 06, बसपा और निर्दलीय को एक-एक सीट पर जीत मिली थी.

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2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को नहीं मिली एक भी सीट

लोकसभा चुनाव 2014 के चुनाव में मायावती की पार्टी बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. वहीं, बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 73 सीटों पर जीत मिली थी. माना जा रहा है कि दलित वोटबैंक का एक हिस्सा बीजेपी के साथ हो गया है. कहा जाने लगा कि दलित मतदाता अब बसपा के साथ नहीं रहे. हालांकि मायावती इसे स्वीकार नहीं करतीं. उनका कहना है कि उनके साथ दलित मतदाता पहले भी थे, अब भी हैं.

2007 के फॉर्मूले पर चल रहीं मायावती

इस बार बसपा प्रमुख मायावती की कोशिश 2007 के फॉर्मूले पर चलकर जीत हासिल करने की है. बसपा दलितों के साथ ब्राह्मण वोटरों को भी रिझाने की कोशिश कर रही है. मायावती ने भी रैलियां करनी शुरू कर दी है. इस बार दलित मतदाताओं का झुकाव किस तरफ होता है, यह 10 मार्च के बाद पता चलेगा.

Posted By: Achyut Kumar

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