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Sawan Somvar 2020, Vrat, Puja Vidhi, Muhurat : भगवान शिव की अराधना के लिये खास दिन होता है सावन का सोमवार, इन सामग्री से करें महादेव की पूजा

Sawan Somvar 2020, Vrat, Puja Vidhi, Muhurat, Katha, Niyam, Puja Time, Mantra, Aarti, Shiv Chalisa in Hindi : आज 27 जुलाई है. यह महादेव का महीना है. आज सावान का चौथा सोमवार है. आज से महादेव का महीना सावन का आखरी सप्ताह शुरू हो गया है. अब सावन महीने में सिर्फ एक सप्ताह ही बचा हुआ है. 3 अगस्त को सावन मास का आखिरी सोमवार व्रत होगा. इस बार सावन महीने की शुरुवात ही सोमवार के दिन से हुआ है.

Sawan Somvar 2020, Vrat, Puja Vidhi, Muhurat, Katha, Niyam, Puja Time, Mantra, Aarti, Shiv Chalisa in Hindi : आज 27 जुलाई है. यह महादेव का महीना है. आज सावान का चौथा सोमवार है. आज से महादेव का महीना सावन का आखरी सप्ताह शुरू हो गया है. अब सावन महीने में सिर्फ एक सप्ताह ही बचा हुआ है. 3 अगस्त को सावन मास का आखिरी सोमवार व्रत होगा. इस बार सावन महीने की शुरुवात ही सोमवार के दिन से हुआ है. सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है. आज शिव भक्त चौथी सावन सोमवार का व्रत रख कर भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे. वहीं, सावन की समाप्ति भी सोमवार के दिन ही हो रही है. सावन महीने की शुरुआत और समाप्ति दोनों ही सोमवार के दिन हो रहा है.सावन भगवान शिव की उपासना का महीना माना जाता है. जो आज से शुरू हो गया है. श्रावण मास के सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली माने जाते हैं. मान्यता है कि सावन सोमवार की व्रत रखने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. आइए जानते हैं श्रावण सोमवार व्रत की पूजा विधि, कथा, मुहूर्त और मंत्र…

मां पार्वती ने किया था भोलेनाथ के लिए सावन माह में कठोर तप

महीने कांवड़ियों के द्वारा कांवड़ यात्रा की जाती है. शिव के भक्त कांवड़ में लाए गए गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ने भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए सावन माह में कठोर तप किया था.

भोले बाबा पूरी करते हैं हर मनोकामना

ऐसी मान्यता है जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामना भोले शंकर जरूर पूरी करते हैं. इस बार सावन की शुरूआत जहां सावन से हुई है वहीं माह का अंत भी सावन सोमवार (3 अगस्त 2020) से ही होगा.

शिवलिंग पर नारियल पानी चढ़ाने से करें परहेज

शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए. भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए.

सावन में क्यों होती है बारिश

श्रावण माह में चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। दरअसल, सावन का संबंध श्रावण नक्षत्र से है और इस नक्षत्र का मालिक चंद्रमा है. चंद्रमा शिव के शीश में शोभायमान है. श्रावण माह में सूर्य कर्क राशि में होता है जिसके कारण सूर्य पर चंद्रमा की ठंडक शीतलता प्रदान करती है। इस कारण वर्षा भी होती है.

सावन माह में करें सुबह-शाम शिव आराधना

सावन माह में रोजाना सुबह-शाम शिवजी की आराधना करनी चाहिए. इस पावन माह में शिव का जलाभिषेक करें। वहीं अगर विधिवत पूजा नहीं कर पाते हैं तो दीपक अवश्य जलाएं. इस दौरान ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप 108 बार करें. यह मंत्र रुद्राक्ष की माला के साथ करें.

सावन पूजा का महत्व

श्रावण माह में चंद्र देव की पूजा का भी विधान है. दरअसल, सावन का संबंध श्रावण नक्षत्र से है और इस नक्षत्र का मालिक चंद्रमा है. चंद्रमा शिव के शीश में शोभायमान है. श्रावण माह में सूर्य कर्क राशि में होता है जिसके कारण सूर्य पर चंद्रमा की ठंडक शीतलता प्रदान करती है. इस कारण वर्षा भी होती है. इन सब कारणों से सावन में चंद्रमा की पूजा करने से शिवजी भी प्रसन्न होते हैं.

केतकी के सफेद फूल का भूलकर भी ना करें इस्तेमाल

शिवजी को केतकी का सफेद फूल अप्रिय होता है इसलिए भूलकर भी पूजा में इस फूल का इस्तेमाल ना करें. केतकी के फूल को झूठ बोलने की वजह से शाप मिला है.

शिवलिंग पर इन चीजों प्रयोग है वर्जित

शिव पूजन करते समय कभी भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण को प्रिय है. नारियल का प्रयोग कभी भी शिव जी का पूजन करते समय इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. दरअसल नारियल का संबंध देवी लक्ष्मी से होता है और देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी है. शिवलिंग की पूजा में कभी भी कुमकुम का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कुमकुम सुहाग की निशानी है.

इन चीजों से करें भगवान शिव की पूजा

भोलेनाथ ऐसे देवता हैं जो मात्र एक लोटा जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं. उनकी पूजा में किसी भी तरह के स्वादिष्ट पकवान और प्रसाद को चढ़ाने की जरूरत नहीं होती है. शिव जी की पूजा में जल, दूध, दही, फूल,बिल्वपत्र, दूर्वा घास, धतूरा और भांग का प्रयोग किया जाता है.

भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न

भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से किया जाता है, इसके साथ दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचलित है. इस समाग्री से जलाभिषेक करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

जानिए बाबा महाकाल के दर्शन करने का समय

सवान महीना का आखिरी सप्ताह चल रहा है. सावन महीने में श्रद्धालु सुबह 5.30 बजे से रात 9 बजे तक 6 स्लॉट में श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे. सुबह 5.30 बजे से 8.00 बजे तक, सुबह 8 बजे से 10 बजे तक, सुबह 11 से 1.00 बजे इसके बाद दोपहर 2 से 4 बजे तक, शाम को 4.30 से 6 बजे और 6 बजे से रात 9 बजे तक श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे.

सावन के महीने में क्या नहीं खाना चाहिए

आज से सावन महीना शुरू हो गया. सावन महीने में कई चीजें नहीं खाई जाती है. ये तो हर कोई जानता है कि सावन में हरे रंग का बहुत ही महत्व होता है. सावन में हरे पत्तेदार सब्जियां खाने को मना किया गया है. आइये जानते है कि सावन महीने में किन चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए…

– सावन में दही नहीं खाना चाहिए

– सावन के महीने में कच्चा दूध नहीं पीना चाहिए

– सावन के इस पावन महीने में कढ़ी नहीं खानी चाहिए

– सावन में मांस मछली खाने से बचना चाहिए

– इसी तरह से लहसुन और प्‍याज का सेवन से परहेज करना चाहिए

आज पूजा के बाद पढे़ं ये मंत्र

भगवान शिव से क्षमा याचना मंत्र है. पूजा के बाद भगवान शिव के सामने ये मंत्र पढ़ कर क्षमा मांग लें यदि पूजा में कोई भूल हुई हो तो क्षमा कर देंगे.

‘आवाहनं न जानामि, न जानामि तवार्चनम।

पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर।।

इन सामग्री से करें भगवान शिव की पूजा

भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल का उपयोग जरूर करें. शिवजी की पूजा के समय शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए. शिवजी की पूजा में लगने वाली सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, भांग, धूप, दीप का इस्तेमाल करें.

इस विधि से करें पूरे सावन पूजा

– रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. पंचामृत से अभिषेक करें.

– मंत्र ऊँ नम: शिवाय, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ सांब सदाशिवाय नम:, ऊँ रुद्राय नम: आदि मंत्रों का जाप करें.

– चंदन, फूल, प्रसाद चढ़ाएं. धूप और दीप जलाएं. शिवजी को बिल्वपत्र, धतूरा, चावल अर्पित करें.

– भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें. धूप, दीप, कर्पूर जलाकर आरती करें.

– शिवजी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें. भक्तों को प्रसाद वितरित करें.

घर पर ही कर सकते हैं शिवजी का अभिषेक

कोरोना वायरस को लेकर भिड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से मनाही है, जो लोग शिवालय नहीं जा सकते हैं, वे अपने घर में ही शिवलिंग का अभिषेक और पूजन कर सकते हैं. जिसके घर पर शिवलिंग न हो, वह आंगन में लगे किसी पौधे को शिवलिंग मानकर या मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन कर सकते हैं. मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजन करने को ही पार्थिव शिवपूजन कहा जाता है. ये पूजा शुभ फल देने वाली मानी जाती है.

सावन में शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं दूध

सावन माह में लगातार बारिश होती है. इस कारण कई तरह के छोटे-छोटे जीवों की उत्पत्ति होती है. कई प्रकार की विषैली नई घास और वनस्पतियां उगती हैं. जब दूध देने वाले पशु इन घासों को और वनस्तपतियों को खाते हैं तो पशुओं का दूध ही विष के सामान हो जाता है. ऐसा कच्चा दूध पीने से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है. इसीलिए इस माह में कच्चे दूध के सेवन से बचना चाहिए. शिवजी ने विषपान किया था, इस कारण सावन माह में शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया जाता है.

भगवान शिव को चढ़ाएं दूध, धतूरा और बेलपत्र

सावन का महीना शुरू हो गया है. आज सावन का चौथा सोमवार है. आज शिव भक्त पूजा करने में जुटे है. सावन के महीने में भगवान शंकर का ध्यान लगाकर जो भक्त उनकी आराधना करता है, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और संकटों का सामना नहीं करना पड़ता है. आज शिवालयों में दूध, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं.

इन बातों का रखें ख्याल…

आज सावन का पहला दिन है. वहीं सावन महीने की पहली सोमवारी भी है. आज भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल का उपयोग जरूर करें. शिवजी की पूजा के समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए.

यहां जानिए कैसा रहेगा सावन का पहला सोमवार
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सावन सोमवार व्रत के फायदे…

सावन के सोमवार को व्रत रखने से दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाता है. सावन के महीने में पड़ने वाले सभी सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से घर की कलह का नाश होता है. रोगों से मुक्ति मिलती है और पति और पत्नी के संबंधों में मधुरता बढ़ती है.

सावन के 5 सोमवार और शिव के 5 मुख

श्रावण मास में सालों बाद ये अदभुत संयोग है जब सावन महीने में पांच सोमवार पड़ रहे हैं. ज्योतिष जानकारों के मुताबिक, इस बार पांच सोमवार इसलिये भी अहम है क्योंकि वेद पुराणों में भगवान शिव के भी पांच मुख का वर्णन है. मानव शरीर का निर्माण भी पंच महाभूतों से हुआ है, इसलिये सावन मास में इन पांचों सोमवार को शिव की आराधना करने से सभी के मनोरथ पूर्ण होते हैं.

सावन सोमवार का व्रत रखने वाले इस मुहूर्त में करें पूजा

सावन के महीने की शुरुआत कृष्ण पक्ष प्रतिपदा कल यानी 5 जुलाई दिन रविवार को ही सुबह 10.15 से प्रारंभ हो गई थी. लेकिन उदया तिथि के कारण 6 जुलाई, आज सोमवार को पहला दिन माना गया है और ऐसे में सोमवार का व्रत रखने वाले सुबह 9.25 तक अपनी पूजा प्रारम्भ कर दें.

सावन सोमवार का व्रत रखने वाले पढ़ें ये कथा (sawan somvar vrat Katha)

सावन माह के बारे में एक पौराणिक कथा है कि- “जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो भगवान भोलेनाथ ने बताया कि “जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था. अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया”

जानिए आज किन मंत्रों का करना चाहिए जाप

शिव पुराण के अनुसार शिव-शक्ति का संयोग ही परमात्मा है. शिव की जो पराशक्ति है उससे चित्‌ शक्ति प्रकट होती है. चित्‌ शक्ति से आनंद शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, आनंद शक्ति से इच्छाशक्ति का उद्भव हुआ है. ऐसे आनंद की अनुभूति दिलाने वाले भगवान भोलेनाथ का श्रावण मास में इन सभी मंत्रों का जाप करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है…

शिव के अन्य प्रभावशाली मंत्र

– ओम साधो जातये नम:।।

– ओम वाम देवाय नम:।।

– ओम अघोराय नम:।।

– ओम तत्पुरूषाय नम:।।

– ओम ईशानाय नम:।।

रूद्र गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।

महामृत्युंजय गायत्री मंत्र

– ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्‌।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्‌ ॐ स्वः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥

महामृत्युंजय मंत्र

– ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव जी का मूल मंत्र

– ऊँ नम: शिवाय।।

इस मंत्र का जाप करने से हर प्रकार की समस्या से छुटकारा मिलता है.

सावन है भगवान शिव का पसंदीदा महीना

आज से सावन का महीना शुरू हो गया है. सावन महीना महादेव का पसंदीदा महीना है. शास्त्रों में सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना करने पर वे जल्द ही प्रसन्न हो जाते है. सोमवार के दिन व्रत रखने से भोले शंकर अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं. ऐसे में अगर सावन के महीने में एक साथ कई सोमवार का दिन आए तो उस दिन भोले भंडारी की सबसे ज्यादा अपनी कृपा बरसाते हैं. सावन का पूरा महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए समर्पित होता है.

कब-कब पड़ रहे हैं सावन के सोमवार

– सावन का पहला सोमवार आज 06 जुलाई 2020

– सावन का दूसरा सोमवार 13 जुलाई 2020

– सावन का तीसरा सोमवार 20 जुलाई 2020

– सावन का चौथा सोमवार 27 जुलाई 2020

– सावन का पांचवा सोमवार 03 अगस्त 2020

सावन में 5 सोमवार

इस बार प्रथम और अंतिम दोनों सोमवार को सर्वार्थसिद्धि योग है. इसलिए इस साल सावन का महत्व बहुत ही बढ़ गया है. ऐसा बहुत कम होता है कि चंद्र मास और सौर मास दोनों के अनुसार किसी सावन के महीने में 5 सोमवार आते हों. इस बार सावन में पांच सोमवार है. यही वजह है कि इस बार भक्तों को बाबा भोलेनाथ की आराधना करनी चाहिए, उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी.

18 जुलाई को मनाई जाएगी सावन की शिवरात्रि

बता दें श्रावण मास में शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि मनायी जाती है. फाल्गुन और श्रावण मास की शिवरात्रि को विशेष फलदायी माना गया है. इस बार श्रावण मास की शिवरात्रि 18 जुलाई को मनायी जायेगी.

ऐसे करें पूजा

इस महीने में सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनकर भगवान शिव की पूजा करें.

– पूजा स्थान की अच्छी तरह साफ-सफाई करें, और वहां गंगाजल का छिड़काव करें.

– आसपास के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व दूध का अभिषेक भी करें.

– इसके बाद भगवान शिव और शिवलिंग को चंदन का तिलक लगाएं.

– इसके बाद भगवान शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल, बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि अर्पित करें.

– अब दीपक जलाएं और भगवान शिव का ध्यान लगाएं.

– इसके बाद शिव कथा व शिव चालीसा का पाठ कर, महादेव की आरती करें.

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