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Sawan 2022 LIVE Updates: शुरू हुआ श्रावण मास, ऐसे करें सावन में शिवजी की पूजा

Happy Sawan 2022 LIVE Updates: भोलेनाथ को प्रिय सावन का महीना आज यानी 14 जुलाई 2022 (Sawan 2022 start date) से 12 अगस्त 2022 (sawan 2022 End date) तक रहेगा. इस पूरे माह भक्त शिव जी की भक्ति में लीन रहते हैं. यहां जानिए वर्ष 2022 के सावन सोमवार व्रत की तिथियां, पूजा विधि, कथा और महत्व के बारे में..

लाइव अपडेट

विशेष फल के लिए ऐसे करें शिव आराधना

  • संतान सुख की प्राप्ति के लिए- दूध से अभिषेक

  • शिव भक्ति के लिए- गंगाजल से अभिषेक

  • उत्तम वर की प्राप्ति के लिए- सावन सोमव्रत

  • आरोग्य, सुख व व्याधियों से निवृत्ति के लिए -

  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप

  • आर्थिक समृद्धि के लिए- गन्ने के रस से अभिषेक

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:11 am से 04:52 am तक

अभिजित मुहूर्त- 11:59 am से 12:54 pm तक

विजय मुहूर्त- 02:45 pm से 03:40 pm तक

गोधूलि मुहूर्त- 07:07 pm से 07:31 pm तक

शिव पूजा सामग्री

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.

सावन माह के नियम जान लें

शास्त्रों के अनुसार, सावन महीने में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए. इस माह में प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए. सावन मास में मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए. इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए. सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें. सावन सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक करें.

सावन 2022 सोमवार तारीख

14 जुलाई, गुरुवार- सावन मास का आरंभ

18 जुलाई, सोमवार- सावन का पहला सोमवार व्रत

25 जुलाई, सोमवार- सावन का दूसरा सोमवार व्रत

01 अगस्त, सोमवार- सावन का तीसरा सोमवार व्रत

08 अगस्त, सोमवार- सावन का चौथा सोमवार व्रत

12 अगस्त, शुक्रवार, सावन की आखिरी तारीख

सावन माह के नियम

शास्त्रों के अनुसार, सावन महीने में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए. इस माह में प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए. सावन मास में मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए. इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए. सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें. सावन सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक करें.

भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.

सावन का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास हिंदी कैलेंडर में पांचवें स्थान पर आता है. मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए बेहद ही खास होता है. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन के हर सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सावन महीने में करें इस मंत्र का जाप

ॐ नमः शिवाय

प्रौं ह्रीं ठः

ऊर्ध्व भू फट्

इं क्षं मं औं अं

नमो नीलकण्ठाय

ॐ पार्वतीपतये नमः

ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय

ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा

ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ

ऐसे करें सावन में शिवजी की पूजा

सावन के महीने में रोजाना पूजा करना चाहिए. शिव जी को प्रसन्‍न करने के लिए यह महीना सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है. साथ ही शिवलिंग का अभिषेक करना बहुत लाभ देता है. सावन महीने में रोजाना सुबह जल्‍दी स्‍नान करके साफ कपड़े पहनें. इसके बाद घर के मंदिर में या शिव मंदिर जाकर भगवान शिव के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं. दूध और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें. भोलेनाथ को बेल पत्र, पंचामृत, फल, फूल अर्पित करें. आखिर में आरती करें. सावन सोमवार के व्रत करें और इस दिन पूरे विधि-विधान से रुद्राभिषेक करें.

भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.

2022 में सावन के सोमवार

14 जुलाई, गुरुवार- सावन मास का आरंभ

18 जुलाई, सोमवार- सावन का पहला सोमवार व्रत

25 जुलाई, सोमवार- सावन का दूसरा सोमवार व्रत

01 अगस्त, सोमवार- सावन का तीसरा सोमवार व्रत

08 अगस्त, सोमवार- सावन का चौथा सोमवार व्रत

12 अगस्त, शुक्रवार, सावन की आखिरी तारीख

सावन माह के नियम

शास्त्रों के अनुसार, सावन महीने में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए. इस माह में प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए. सावन मास में मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए. इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए. सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें. सावन सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक करें.

महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप

सावन सोमवार के दिन आपको महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए.

इस महीने नॉनवेज-अल्कोहल का सेवन न करें

सावन के महीने में गलती से भी नॉनवेज-अल्कोहल का सेवन न करें. ऐसा करने से शिव क्रोधित हो जाएंगे.

ऐसे करें उपवास

अगर आपने सावन सोमवार का व्रत शुरू कर दिया है तो बीच-बीच में उसे न तोड़ें. भले ही आप एक बार फल खाकर उपवास करें, लेकिन करें.

व्रत में भूल से भी ना करें इन चीजों का सेवन

जो लोग सावन सोमवार का व्रत (Sawan Somvar Vrat) रखते हैं, वे अन्न का सेवन नहीं करते. सोमवार व्रत नियम (Somvar Vrat Niyam) के अनुसार, व्रत के दौरान, आटा, बेसन, मैदा, सत्तू अन्न और अनाज का सेवन नहीं किया जाता है. इसके अलावा मांस, मदीरा, लहसुन, प्याज इत्यादि का भी सेवन नहीं किया जाता है. वहीं धनिया पाउडर, मिर्च, सादा नमक का सेवन नहीं किया जाता है.

सावन सोमवार व्रत के दौरान क्या खाएं

सावन सोमवार व्रत-नियम के मुताबिक इस व्रत के दौरान सात्विक भोजन का ही सेवन करना उत्तम होता है. आमतौर पर सादे नमक की जगह सेंधा नमक का सेवन करना बेहतर होता है. सावन सोमवार व्रत के दौरान मौसम के अनुकूल फल का सेवन करना चाहिए. अगर व्रत में फालाहार करना चाहते हैं तो इसके लिए सेब, केला, अनार इत्यादि को शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा साबूदाना, दूध, दही, छाछ और पनीर का सेवन किया जा सकता है.

सावन महीने के पहले दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:11 am से 04:52 am तक

अभिजित मुहूर्त- 11:59 am से 12:54 pm तक

विजय मुहूर्त- 02:45 pm से 03:40 pm तक

गोधूलि मुहूर्त- 07:07 pm से 07:31 pm तक

प्रीति योग में सावन माह की शुरुआत

सावन के पहले दिन प्रीति योग का शुभ संयोग बन रहा है. प्रीति योग 15 जुलाई सुबह 04 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 16 जुलाई सुबह 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है.

खट्‌टी चीजों का सेवन न करें

सावन शिवरात्रि व्रत रखने वाले इस दिन खट्‌टी चीजों का सेवन न करें. इससे व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता.

शिव पूजा में ये वस्तुएं हैं निषेध

सावन शिवरात्रि की पूजा में महादेव को केतकी का फूल, सिंदूर, हल्दी, कुमकुम अर्पित न करें. शिव पूजा में ये वस्तुएं निषेध हैं.

पीतल के लोटे का करें इस्तेमाल

सावन में जलाभिषेक से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं लेकिन जल हमेशा ताबें के बर्तन में डालकर ही अर्पित करें. पूजा में शिव जी को दूध अर्पित करने के लिए पीतल के लोटे के इस्तेमाल करना चाहिए.

सावन शिवरात्रि व्रत में न करें ये काम

शिव जी की पूजा में तुलसी पत्र वर्जित माना जाता है. सावन की मासिक शिवरात्रि पर ध्यान रहे की पूजा में भोग लगाते वक्स उसमें तुलसी का पत्ता न डालें. तुलसी को भगवान विष्‍णु ने पत्नी रूप में स्वीकार क‌िया है. इसलिए भगवान भोलेनाथ को तुलसी नहीं चढ़ती है.

सावन शिवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त

सावन शिवरात्रि तिथि: 26 जुलाई 2022, मंगलवार

सावन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि आरंभ: 26 जुलाई 2022, मंगलवार शाम (06:46)

सावन का महत्व

सावन का महीना पूजा-पाठ और ध्यान करने के लिए विशेष माना गया है. ज्योतिष के नजरिए भी सावन महीने का विशेष महत्व होता है. श्रावण मास के प्रारंभ में सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है. सूर्य का यह गोचर सभी 12 राशियों को प्रभावित करता है.

सावन महीने की शुरुआत कल से

ज्योतिषियों के अनुसार महादेव का प्रिय माह सावन 14 जुलाई 2022 से शुरू होकर 12 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा पर समाप्त हो रहा है.

सावन माह का पहला दिन - 14 जुलाई 2022, दिन गुरुवार

शिव मंत्र

महामृत्युञ्जय मन्त्र
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के महामृत्युञ्जय मन्त्र का जाप करने से मृत्यु और भय से छुटकारा प्राप्त होता है. इसके साथ ही जातक दीर्घायु होता है.

सावन में न करें इन चीजों का सेवन

फल: सावन मास के दौरान मौसमी फल का सेवन सबसे अच्छा माना जाता है. अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए अपने आहार में पोटेशियम और फाइबर युक्त फलों को शामिल करना न भूलें. अपने फलाहार में सेब, अंगूर, आड़ू को एड कर सकते हैं.

सेंदा नमक (गुलाबी नमक): यदि आप श्रावण के दौरान 'सात्विक' खाना बनाना चाहते हैं, तो अपने भोजन में नियमित नमक के बजाय सेंदा नमक का उपयोग करें.

साबूदाना : सोमवार व्रत में खाने के लिए साबूदाना सही विकल्प हो सकता है. ये बनाने में आसान होते हैं और इन्हें कभी भी खाया जा सकता है.

डेयरी उत्पाद: सावन के महीने में दही, पनीर, दही, दूध और छाछ का सेवन किया जा सकता है जिससे आपके डाइट में कैल्शियम की पूर्ति हो सके.

इस महीने को क्यों कहते हैं सावन

इस महीने का श्रावण नाम श्रवण नक्षत्र से पड़ा है क्योंकि इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होता है. ये 27 में से 22वां नक्षत्र है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार श्रवण नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति ग्रह है. श्रावण का अर्थ है सुनना. यानी इस महीने में भगवान के स्वरूप का श्रवण करना चाहिए ताकि मन के विकार दूर हो सकें और हम ईश्वर के निराकार स्वरूप को समझ सकें। इसलिए श्रावण मास में धार्मिक कथाओं का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है.

सावन का महत्व

सावन का महीना पूजा-पाठ और ध्यान करने के लिए विशेष माना गया है. ज्योतिष के नजरिए भी सावन महीने का विशेष महत्व होता है. श्रावण मास के प्रारंभ में सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है. सूर्य का यह गोचर सभी 12 राशियों को प्रभावित करता है.

जानिए भगवान शंकर की स्तुति और आरती

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

दांपत्य जीवन की समस्याओं के लिए करें ये उपाय

दांपत्य जीवन में अगर कोई समस्या उत्पन्न हो रही है तो श्रावण मास बहुत लाभकारी है. सावन मास में पति-पत्नी को पूरे सावन के महीने में पवित्र शिवलिंग का जलाभिषेक करना चाहिए. अगर ऐसा संभव नहीं हो पाता है तो केवल पति भी दोनों की तरफ से जल अर्पित कर सकता है.

भगवान शिव को अर्पित करें ये वस्तु

श्रावण मास में भगवान शिव की प्रेम भाव से अगर पूजा जाए तो वो आपकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं. सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा, बेल पत्र, भांग के पत्ते या भांग, दूध, काले तिल, गुड़ आदि चढ़ाना शुभ माना जाता है.

सावन का पहला सोमवार

18 जुलाई को सावन का पहला सोमवार रहेगा.इस दिन मौना पंचमी का पर्व मनाया जाएगा. ज्योतिषियों के अनुसार, इस सोमवार को शोभन और रवियोग रहेंगे, जिससे इस इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाएगा.

क्यों है इस महीने का नाम श्रावण और क्या है इसका महत्व?

इस महीने का श्रावण नाम श्रवण नक्षत्र से पड़ा है क्योंकि इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होता है. ये 27 में से 22वां नक्षत्र है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार श्रवण नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति ग्रह है. श्रावण का अर्थ है सुनना. यानी इस महीने में भगवान के स्वरूप का श्रवण करना चाहिए ताकि मन के विकार दूर हो सकें और हम ईश्वर के निराकार स्वरूप को समझ सकें। इसलिए श्रावण मास में धार्मिक कथाओं का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है.

सावन सोमवार 2022 की तिथियां

सावन का पहला दिन- 14 जुलाई 2022

सावन का पहला सोमवार- 18 जुलाई

सावन का दूसरा सोमवार- 25 जुलाई

सावन का तीसरा सोमवार- 01 अगस्त

सावन का चौथा सोमवार- 08 अगस्त

सावन का आखिरी दिन- 12 अगस्त

सावन महीने का ज्योतिष महत्व?

सावन का महीना पूजा-पाठ और ध्यान करने के लिए विशेष माना गया है. ज्योतिष के नजरिए भी सावन महीने का विशेष महत्व होता है. श्रावण मास के प्रारंभ में सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है. सूर्य का यह गोचर सभी 12 राशियों को प्रभावित करता है.

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