24.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड की सरस्वती हैं आज की शबरी, 30 साल बाद रामलला के चरणों में तोड़ेंगी मौन व्रत

धनबाद की सरस्वती की आस्था शबरी से कम नहीं हैं, जिन्होंने 30 साल पहले अयोध्या में राम मंदिर बनने का संकल्प लेकर मौन व्रत शुरू किया. 22 जनवरी को अयोध्या में सरस्वती अपना मौन व्रत तोड़ेंगी. अयोध्या राम मंदिर से उन्हें निमंत्रण आया है.

धनबाद, सत्या राज : शबरी की आस्था प्रभु श्रीराम को उनकी कुटिया तक ले आयी. ऐसी ही आस्था धनबाद के करमटांड़ निवासी 85 वर्षीय सरस्वती अग्रवाल की है, जिन्होंने 30 साल पहले अयोध्या में राम मंदिर बनने का संकल्प लेकर मौन व्रत शुरू किया. 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के दिन ‘राम…, सीताराम…’ शब्द इनका मौन व्रत टूटेगा. प्रभु राम के चरणों में अपना जीवन समर्पित करनेवाली सरस्वती अग्रवाल का अधिकतर समय अयोध्या में ही बीतता है. वे बेहद खुश हैं और लिख कर बताती हैं, ‘मेरा जीवन धन्य हो गया. रामलला ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए बुलाया है. मेरी तपस्या, साधना सफल हुई. 30 साल के बाद मेरा मौन ‘राम नाम’ के साथ टूटेगा.’

बता दें कि दिसंबर 2021 के अंतिम सप्ताह में ही सरस्वती अग्रवाल को श्रीराम मंदिर, अयोध्या से प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण आया है. निमंत्रण मिलने से इनका पूरा परिवार खुश है. आठ जनवरी को इनके भाई इन्हें अयोध्या लेकर जायेंगे. परिवार के किसी अन्य सदस्य को समारोह में शामिल होने की अनुमति नहीं है. राम जन्मभूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास के शिष्य मनीष दास व शशि दास अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर सरस्वती अग्रवाल की अगवानी करेंगे. रेलवे स्टेशन से वे सीधे स्वामी जी के आश्रम पत्थर मंदिर छोटी छावनी जायेंगी. वहां इनके लिए कमरा बना हुआ है, जहां ये चार महीने रहेंगी.

छह दिसंबर 1992 से धारण कर रखा है मौन व्रत

सरस्वती अग्रवाल मई 1992 में अयोध्या गयी थीं. वहां ये राम जन्म भूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास से मिलीं. उन्होंने इन्हें कामतानाथ पहाड़ की परिक्रमा करने का आदेश दिया. आदेश मिलने के बाद ये चित्रकूट चली गयीं. साढ़े सात महीने कल्पवास में एक गिलास दूध पीकर रहीं. साथ ही रोजाना कामतानाथ पहाड़ की 14 किमी की परिक्रमा की. परिक्रमा के बाद अयोध्या लौटीं. छह दिसंबर 1992 को ये स्वामी नृत्य गोपाल दास से मिलीं. उनकी प्रेरणा से मौन धारण किया. संकल्प लिया कि जिस दिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी, उसी दिन मौन तोड़ेंगी.

कभी स्कूल नहीं गयीं, पति ने दिया था अक्षर ज्ञान

सरस्वती अग्रवाल 65 साल पहले भौंरा के देवकीनंदन अग्रवाल (अब स्वर्गीय) से विवाह बंधन में बंध राजस्थान से आयी थीं. सरस्वती देवी कभी स्कूल नहीं गयीं. उनके पति ने उन्हें अक्षर ज्ञान दिया था. उसके बाद किताबें देखकर पढ़ना लिखना-सीखा. राम चरित मानस व अन्य धार्मिक ग्रंथ रोज पढ़ती हैं. दिन में एक बार सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं. 35 साल पहले इनके पति का निधन हो गया था. इनके आठ बच्चे थे. चार बेटा, चार बेटी ( जिनमें तीन स्वर्गीय हो गये). जब परिवार को इनके मौन धारण करने की जानकारी मिली, तो परिवार वालों ने इनका स्वागत व सहयोग किया.

Also Read: 1000 तुलसी के पत्ते से होगा रामलला का शृंगार, जलेंगे 5000 दीये, जानें बिष्टुपुर श्रीराम मंदिर का इतिहास

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें