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शिक्षक भर्ती घोटाला : पार्थ ने लगाया गंभीर आरोप, कहा : मैं प्रभावशाली नहीं हूं, मेरे खिलाफ रची गयी है साजिश

मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत काम करते हैं. नियुक्ति से संबंधित रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेज दी गयी है. एसएससी एक अलग बोर्ड है. मंत्री का एसएससी पर नियंत्रण नहीं होता है.

कोलकाता, विकास कुमार गुप्ता : पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले में लगभग एक वर्षों से न्यायिक हिरासत में रह रहे राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने अलीपुर में स्थित विशेष सीबीआइ अदालत में सुनवाई कक्ष में जाने के पहले काफी गंभीर आरोप लगाये. अदालत सूत्रों के मुताबिक पार्थ खुद के प्रभावशाली होने के आरोप को बेबुनियाद बताया. पार्थ ने कहा- मैं प्रभावशाली नहीं हूं, बल्कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने मिलकर मेरे खिलाफ साजिश रची है. पार्थ ने कहा, वे प्रभावशाली दुश्मन भी उनके साथ ही काम करते थे.

शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कभी मौक नहीं मिला

पार्थ ने कहा, मुझसे पांच मिनट तक पूछताछ करने के बाद जांच अधिकारियों को भी यह समझ में आ गया कि मेरे कई दुश्मन हैं. वे मेरे साथ ही काम करते थे. इनमें से कई प्रभावशाली हैं. लेकिन पार्थ ने यह नहीं बताया कि वे प्रभावशाली दुश्मन कौन हैं. उन्होंने कोर्ट में खुद को बेगुनाह बताते हुए किसी भी शर्त पर जमानत मांगी. उन्होंने यहां तक कहा कि उन्हें शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई मौका नहीं मिला. वह निर्दोष हैं.

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मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत करते हैं काम

पार्थ ने अदालत में ममता बनर्जी का नाम न लेकर एक गौर करने लायक टिप्पणी की. उन्होंने कहा, भर्ती में मेरी कोई भूमिका नहीं होती थी. एक वर्ग नीतियां बनाता है और अन्य वर्ग नियुक्तियां करते हैं. सचिव, मुख्य सचिव के अधीन काम करते हैं. मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत काम करते हैं. नियुक्ति से संबंधित रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेज दी गयी है. एसएससी एक अलग बोर्ड है. मंत्री का एसएससी पर नियंत्रण नहीं होता है. मुझे नहीं पता कि नौकरी किसे मिली. पार्थ की इस टिप्पणी से सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं?

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पार्थ ने अदालत में अपनी तुलना पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से की

अदालत सूत्रों के मुताबिक पार्थ ने पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की बीमारी की तुलना उनके कारावास से की है. जब उन्हें कोर्ट में पेश किया गया तो वकील ने जमानत के लिए अर्जी दी. इसके बाद पार्थ ने खुद को निर्दोष बताया और खुद की तुलना बुद्धदेव भट्टाचार्य से की. पार्थ ने कहा, ””एक साल हो गया है, पर जांच एजेंसी मेरे खिलाफ अब तक कोई सबूत पेश नहीं कर पायी है. मुझे बिना किसी कारण के जेल में रखा गया है. दुर्गापूजा आनेवाली है. इसके पहले मुझे रिहा कर दिया जाये. मैं 25 वर्षों से सार्वजनिक समाज सेवा में हूं. मेरा परिवार है, जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य बीमारी से पीड़ित हैं, उसी तरह मैं भी कारावास से पीड़ित हूं. भ्रष्टाचार में मेरी कोई भूमिका नहीं है. मुझे किसी भी कीमत पर जमानत दी जाये.

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पार्थ चटर्जी समेत अन्य आरोपियों की न्यायिक हिरासत बढ़ी

शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चट्टोपाध्याय, शांति प्रसाद सिन्हा, सुबीरेश भट्टाचार्य, कल्याणमय गांगुली समेत अन्य आरोपियों को सोमवार को अलीपुर कोर्ट स्थित विशेष सीबीआइ अदालत में पेश किया गया. आरोपियों ने सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधी 17 अगस्त तक बढ़ाने का निर्देश दिया. अदालत सूत्रों के मुताबिक, मामले की सुनवाई के दौरान पार्थ के वकील के आवेदन पर अदालत ने सीबीआइ के जांच अधिकारी से जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी.

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सीबीआइ के जांच अधिकारी से जांच की प्रगति की मांगी रिपोर्ट

शांति प्रसाद सिन्हा के वकील संजय दासगुप्ता ने कहा कि इस मामले की जांच आगे नहीं बढ़ रही है. इसलिए अदालत से आवेदन है कि उनके मुवक्किल को जमानत पर रिहा किया जाए. सुबीरेश के वकील शेखर कुमार दे ने भी अपने मुवक्किल के लिए जमानत मांगी. कल्याणमय गांगुली के वकील ने कोर्ट से कहा कि सीबीआइ ने अब तक नहीं बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ क्या आरोप हैं. इस कारण उनके मुवक्किल को जमानत दी जाये. अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाये जाने का फैसला सुनाया.

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