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Screen Time ALERT: ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों के स्वास्थ्य को ऐसे करता है प्रभावित, स्टडी में हुआ खुलासा

Screen Time ALERT: अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के लिए है खतरनाक. शरीर और दिमाग पर इसके क्या-क्या असर दिखते हैं? जानिए -

Screen Time ALERT: आजकल पैरेंट्स हो या बच्चे, अपना ज्यादा समय स्मार्टफोन, टैबलेट और कंप्यूटर पर बिताते हैं. वहीं, इसका सीधा असर बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर होता है. अत्यधिक स्क्रीन टाइम का बच्चों के विकास और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इससे उनमें ओवर-ईटिंग की आदत लग सकती है और उनकी नींद भी प्रभावित हो सकती है. एक ऑस्ट्रेलियाई रिसर्च में यह बात सामने आयी है. ऑस्ट्रेलियाई दिशानिर्देश के मुताबिक, 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम 0 जबकि 2-5 साल के बच्चों का स्क्रीन टाइम 1 घंटा/दिन से अधिक नहीं होना चाहिए.

स्क्रीन टाइम और बच्चे – आप यदि बच्चे के माता-पिता हैं, तो यह आपके लिए सबसे अधिक चर्चित पेरेंटिंग विषयों में से एक होगा और आप इससे अच्छी तरह परिचित होंगे. स्क्रीन टाइम एक ओर ताे बच्चों को सीखने और रचनात्मकता विकसित करने में मदद करता है. वहीं, दूसरी तरफ बहुत अधिक स्क्रीन टाइम आपके बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. यह उनके विकास पर ही नहीं, बल्कि उनके शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है.

स्क्रीन टाइम आपके बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालता है और आप स्क्रीन के साथ सकारात्मक संबंध विकसित करने में उनकी मदद कैसे कर सकते हैं? आइए जानने की कोशिश करते हैं.

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स्क्रीन टाइम कितना होना ठीक है?

स्क्रीन टाइम के लिए ऑस्ट्रेलियाई दिशानिर्देश बताते हैं कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और खुशहाली को बनाये रखने के लिए हमें हर दिन के 24 घंटे में शारीरिक गतिविधि, नींद और स्क्रीन पर कितना समय बिताना चाहिए. स्क्रीन टाइम दिशानिर्देश की अनुशंसा के अनुसार- 2 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोई स्क्रीन टाइम नहीं हो. 2 से 5 साल के बच्चों के लिए 1 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं होना चाहिए. 5 से 17 वर्ष की आयु तक स्कूल के काम के अलावा दो घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम नहीं हो. हैरानी की बात यह है कि केवल 17% से 23% ऑस्ट्रेलियाई प्री-स्कूलर और 5 से 12 साल के 15% बच्चे स्क्रीन टाइम से संबंधित दिशानिर्देशों को पूरा करते हैं.

बच्चों के आहार और स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है स्क्रीन टाइम?

अधिक स्क्रीन टाइम वाले बच्चों में बिना सोचे-समझे खाने और अधिक खाने की संभावना अधिक होती है. जब बच्चे स्क्रीन पर होते हैं, तो वे अपने मस्तिष्क से पेट भर जाने के बारे में मिलने वाले महत्वपूर्ण संकेतों को ग्रहण करने से चूक सकते हैं. उनमें अस्वास्थ्यकर भोजन खाने की इच्छा और खाने की भी अधिक संभावना होती है. यह कुछ हद तक स्क्रीन पर बच्चों की सामग्री के साथ जंक फूड के विज्ञापन द्वारा भी प्रेरित होता है. जिस तरह से बहुत अधिक स्क्रीन समय बच्चे के आहार को प्रभावित करता है, वह उनकी नींद को भी प्रभावित करता है.

आपके बच्चे के लिए क्या दिक्कत खड़ी कर सकती है डिवाइस की स्क्रीन?

स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी, नींद के हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन को बाधित करती है, जिससे बच्चों को सोने में मुश्किल आती है. वहीं, स्क्रीन पर विज्ञापनों और मनोरंजन के कारण बच्चों को जंक फूड और शुगर ड्रिंक्स की लालसा होती है. स्क्रीन पर समय बिताने से बच्चे शारीरिक एक्टिविटी से दूर रहते हैं, जिससे उनमें मोटापे का खतरा बढ़ जाता है. इसके साथ ही, अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. उन्हें ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होगी और उन्हें चिंता और उदासी वाली फीलिंग हो सकती हैं.

बच्चों और किशोरों के लिए कतनी नींद पर्याप्त है?

द कन्वर्सेशन के हवाले से पीटीआई भाषा में छपी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, छोटे बच्चों के लिए झपकी सहित 11 से 14 घंटे की नींद पर्याप्त है. वहीं, 3 से 5 साल के बच्चों के लिए झपकी सहित 10 से 13 घंटे की नींद पर्याप्त है. पांच से 13 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए नौ से 11 घंटे की नींद अच्छी है. तो वहीं, किशोरों के लिए आठ से दस घंटे की नींद आवश्यक होती है.

Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए rajeev.kumar@prabhatkhabar.in पर

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