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क्या दिमाग को सुस्त बना रहा है ChatGPT? MIT की नयी रिपोर्ट पढ़कर हिल जाएंगे आप

MIT ChatGPT brain study: MIT की नयी स्टडी में पाया गया कि लंबे समय तक ChatGPT इस्तेमाल करने से दिमाग की एक्टिविटी 47% तक घट जाती है. जानिए कैसे AI आपकी सोचने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है

MIT का खुलासा- ChatGPT यूज करने से घट रही है दिमाग की एक्टिविटी: Massachusetts Institute of Technology (MIT) ने हाल ही में ChatGPT यूजर्स पर पहला ब्रेन स्कैन स्टडी (MIT ChatGPT brain study) पूरा किया है और इसके नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं. रिपोर्ट में पाया गया कि जो लोग लंबे समय तक ChatGPT का इस्तेमाल करते हैं, उनका दिमाग धीरे-धीरे कम एक्टिव हो जाता है. यानी वे जल्दी काम तो कर लेते हैं, लेकिन उनका सोचने और याद रखने का स्तर घटने लगता है.

स्टडी में कैसे हुआ परीक्षण?

चार महीनों तक चली इस रिसर्च में, MIT के वैज्ञानिकों ने ChatGPT यूज करने वाले लोगों के ब्रेन स्कैन और कॉग्निटिव परफॉर्मेंस (यानी सोचने-समझने की क्षमता) को मापा. जब प्रतिभागी ChatGPT से मदद लेकर लिख रहे थे, तो उनके दिमाग में एक्टिविटी पॉइंट्स 79 से गिरकर सिर्फ 42 रह गए. यानी लगभग 47% की कमी आई, यह सबसे कम ब्रेन एंगेजमेंट था.

सबसे चौंकाने वाला हिस्सा

स्टडी में यह भी सामने आया कि ChatGPT यूज करने वाले 83.3% लोग कुछ ही मिनट बाद अपनी लिखी लाइनें याद नहीं रख पाए. जबकि जिन्होंने बिना AI के लिखा, उन्हें याददाश्त में कोई दिक्कत नहीं हुई. यह दिखाता है कि AI काम तो आसान करता है, पर याददाश्त और दिमाग की भागीदारी कम कर देता है.

AI छोड़ने के बाद भी असर जारी रहा

MIT की रिपोर्ट बताती है कि जिन लोगों ने बाद में ChatGPT यूज करना बंद किया, उनका ब्रेन एंगेजमेंट फिर भी पहले जैसा नहीं हुआ. उनका प्रदर्शन उन लोगों से कम रहा जिन्होंने कभी AI का उपयोग नहीं किया था. इससे साफ है कि यह सिर्फ आदत नहीं, बल्कि कॉग्निटिव (सोचने की) कमजोरी बन सकती है.

AI से लिखे कंटेंट पर टीचर्स शिक्षकों की राय

रिसर्च के दौरान विशेषज्ञों ने ChatGPT से लिखे निबंधों को पढ़ा. उन्होंने कहा कि ये टेक्स्ट तकनीकी रूप से सही थे, लेकिन उनमें जज्बात, गहराई और रचनात्मकता की कमी थी. यानी इंसानी टच गायब था, जो किसी भी असली लेखन की आत्मा होती है.

ChatGPT तेज तो बनाता है, पर सोच घटाता है

MIT की स्टडी के अनुसार, ChatGPT से काम 60% तेजी से होता है, लेकिन सीखने और सोचने की कोशिश 32% तक घट जाता है. सबसे अच्छा प्रदर्शन उन लोगों का था जिन्होंने पहले खुद लिखा और बाद में AI की मदद ली. उन्होंने बेहतर याददाश्त, एक्टिव दिमाग और ज्यादा स्कोर हासिल किया.

असली सबक क्या है?

AI को सोच का शॉर्टकट नहीं, बल्कि सहायक बनाकर इस्तेमाल करें. ChatGPT से मदद लें, लेकिन अपनी क्रिएटिव और एनालिटिकल सोच को बंद न करें. जितना आप खुद सोचेंगे, उतना आपका दिमाग मजबूत रहेगा.

क्या ChatGPT का इस्तेमाल करना नुकसानदायक है?

जरूरी नहीं, लेकिन अगर आप पूरी तरह उस पर निर्भर हो जाएं तो आपकी सोचने और याद रखने की क्षमता कमजोर हो सकती है.

क्या ChatGPT यूज करने से सीखने की क्षमता घटती है?

हां, MIT की रिपोर्ट के मुताबिक लगातार AI इस्तेमाल से दिमाग की एक्टिविटी कम होती है और सीखने का स्तर घट सकता है.

क्या ChatGPT का सीमित इस्तेमाल ठीक है?

बिलकुल. अगर आप इसे सहायक टूल की तरह इस्तेमाल करते हैं और खुद से सोचते हैं, तो यह उपयोगी साबित होगा.

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Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए [email protected] पर

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