Digital Arrest: आए दिन साइबर हमलों की घटनाएं सुनने को मिल रही हैं. इसी से जुड़ा जयपुर के मानसरोवर इलाके से साइबर क्राइम का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां संतोष कुमार नाम के 75 वर्षीय व्यक्ति से 23.56 लाख रुपये ठगे गए हैं. साइबर अपराधियों ने उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का झूठा आरोप लगाया और उन्हें तीन दिनों तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया.
Digital Arrest: क्या था पूरा मामला
इस घटना की शुरुआत 23 मई को सुबह 9:44 बजे हुई, जब संतोष को अज्ञात नंबरों से दो फोन कॉल आए. उन्होंने कॉल रिसीव की, जिसमें से एक ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन से संजय कुमार बताया. उसने दावा किया कि संतोष का मोबाइल नंबर मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी आपराधिक जांच से जुड़ा है, जिसकी कीमत 2.8 करोड़ रुपये है. इसके साथ ही साइबर अपराधियों ने उनसे यह भी कहा कि उनके नाम पर गैर-जमानती वारंट जारी हो चुका है.
नकली CBI अधिकारी और कोर्ट ने बढ़ाई टेंशन
इस झूठी केस को असलियत में बदलने के लिए कॉल करने वाले (घोटालेबाज) ने संतोष के साथ एक अन्य व्यक्ति से संपर्क करवाया, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी रोहित कुमार गुप्ता बताया. साथ मिलकर, संतोष को यह विश्वास दिलाया कि आरोप सच थे. इसके अलावा, और अधिक दहशत पैदा करने के लिए, घोटालेबाजों ने एक चौंकाने वाला कदम उठाया, जिसमें उन्होंने एक वीडियो कॉल के माध्यम से एक फर्जी कोर्ट रूम दिखाया, जिसमें एक न्यायाधीश अपने सभी बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेश पढ़ रहा था.
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डर और भ्रम की वजह से कर दिए पैसे ट्रांसफर
गंभीर बीमारी से जूझ रहे संतोष ये सब देख के डर और भ्रम में आ गए और मानसिक दवाब में आके उन्होंने विभिन्न बैंक खातों में कई लेनदेन के माध्यम से 23.56 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. जब उसने जालसाजों को बताया कि उसके पास और पैसे नहीं हैं, तो उन्होंने उसे 20 लाख रुपये की FD तोड़ने के लिए राजी कर लिया.
ऐसे हुआ खुलासा
जब संतोष FD तोड़ने के लिए बैंक गए, तो मैनेजर को लगा कि कुछ गड़बड़ है. पूरी कहानी सुनने के बाद, बैंक ने तुरंत अधिकारियों को सूचित किया. 26 मई को शिप्रापथ पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई, और साइबर क्राइम यूनिट ने जांच शुरू कर दी है.
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