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Vehicle Scrappage Policy: नयी कबाड़ नीति भी आपकी 20 साल पुरानी गाड़ी का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी, जानें कैसे

India Vehicle Scrappage Policy update 2021: केंद्र सरकार की नयी कबाड़ वाहन नीति के तहत 15 साल पुराने व्यावसायिक और 20 साल पुराने निजी वाहनों के लिए पहली अक्तूबर 2021 से देश में नयी व्यवस्था लागू हो जाएगी. ऐसे में सड़क पर तय समय से पुरानी गाड़ियां चलाना मुश्किल हो जाएगा. हालांकि सरकार ने यह साफ कर दिया है कि पुराने वाहनों को फिटनेस की कड़ी जांच प्रक्रिया पर खरा उतरने के बाद फिटनेस प्रमाण-पत्र दिया जाएगा. इसके बाद ही वाहन सड़क पर चल सकेंगे.

India Vehicle Scrappage Policy update 2021: केंद्र सरकार की नयी कबाड़ वाहन नीति के तहत 15 साल पुराने व्यावसायिक और 20 साल पुराने निजी वाहनों के लिए पहली अक्तूबर 2021 से देश में नयी व्यवस्था लागू हो जाएगी. ऐसे में सड़क पर तय समय से पुरानी गाड़ियां चलाना मुश्किल हो जाएगा. हालांकि सरकार ने यह साफ कर दिया है कि पुराने वाहनों को फिटनेस की कड़ी जांच प्रक्रिया पर खरा उतरने के बाद फिटनेस प्रमाण-पत्र दिया जाएगा. इसके बाद ही वाहन सड़क पर चल सकेंगे.

जी हां, फिटनेस टेस्ट की लंबी-चौड़ी बाधाएं पार करने के बाद ही पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ पाएंगे. सरकार ने ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटर खोलने और उनके संचालन संबंधी दिशा-निर्देश जारी कर दिये हैं. इसमें उक्त सेंटरों से फिटनेस प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही पुराने वाहनों को चलाया जा सकेगा. अनिफिट होने पर उनको एंड आफ लाइफ व्हीकल्स (ELV) यानी कबाड़ की श्रेणी में डाल दिया जाएगा.

फिटनेस टेस्ट पास करना जरूरी

सड़क परिवहन मंत्रालय ने हितधारकों के सुझाव और आपत्ति के लिए 8 अप्रैल को ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटरों की मान्यता, विनियमन और नियंत्रण संबंधित मसौदा अधिसूचना जारी कर दी है. इसके मुताबिक, आगामी 1 अक्तूबर 2021 से फिटनेस सेंटरों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा. यहां वाहन को हर स्तर के टेस्ट को पास करना जरूरी होगा, ऐसा नहीं होने पर उसे कबाड़ घोषित कर दिया जाएगा.

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43 तरह की जांच से गुजरना होगा

मंत्रालय के अंदरूनी सूत्रों की मानें, तो पुराने वाहनों को उक्त सेंटरों से फिटनेस की कड़ी जांच प्रक्रिया पर खरा उतरने के बाद फिटनेस प्रमाण-पत्र दिया जाएगा. इसके बाद ही वाहन सड़क पर चल सकेंगे. उन्होंने बताया कि पुराने वाहनों को ब्रेक सिस्टम, स्टीयरिंग, हेडलाइट, सस्पेंशन, बैटरी, साइलेंसर, उत्सर्जक स्तर, हॉर्न, स्पीडोमीटर, स्पीड गवर्नर, टायर, इलेक्ट्रिकल वायरिंग, व्हीकल ट्रैकिंग डिवाइस आदि 43 तरह की जांच से गुजरना होगा.

वाहन पोर्टल पर दर्ज होगा डेटाबेस

यहां ध्यान देनेवाली बात यह है कि उक्त मानक में से किसी एक में भी फेल होने पर वाहन को अनफिट कर दिया जाएगा. हालांकि वाहन मालिक दोबारा फिटनेस टेस्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे. वाहन को हर स्तर के टेस्ट को पास करना जरूरी होगा, ऐसा नहीं होने पर उसे कबाड़ घोषित कर दिया जाएगा. आधुनिक मशीनों की मदद से टेस्ट की समूची प्रक्रिया ऑटोमैटिक सिस्टम में दर्ज होगी, जिससे मानवीय हस्तक्षेप के जरिये गड़बड़ी की संभावना पर विराम लगाया जा सके. ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटर को सभी वाहनों की जांच की रिपोर्ट को सेंटर के केंद्रीकृत डेटाबेस में दर्ज करना होगा. इसके साथ ही सड़क परिवहन मंत्रालय के वाहन पोर्टल पर फेल-पास वाहनों की जानकरी अपलोड करनी होगी.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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