KOO App News: भारत के माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म कू ऐप ने 10 मिलियन यानी एक करोड़ डाउनलोडिंग का आंकड़ा पार कर लिया है. कंपनी का दावा है कि कू प्लैटफॉर्म पर अब सभी क्षेत्रों के लोग मौजूद हैं. इनमें कुछ प्रमुख चेहरे भी हैं. इस ऐप को मार्च 2020 में एंटरप्रेन्योर अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने लॉन्च किया था. कू ऐप अब हिंदी, कन्नड़, मराठी, तमिल, तेलुगु, असमिया, बांग्ला और अंग्रेजी सहित 8 भाषाओं में उपलब्ध है. इसे जल्द ही पंजाबी और गुजराती में भी उपलब्ध कराया जाएगा.
घरेलू माइक्रोब्लॉगिंग मंच कू के उपयोगकर्ताओं की संख्या एक करोड़ से अधिक हो चुकी है और कंपनी ने अगले एक साल में 10 करोड़ उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है. कू के सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण का मानना है कि यूजरबेस में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के बावजूद बाजार में मौजूद वृद्धि क्षमताओं के मुकाबले उसकी उपलब्धि अभी बेहद शुरुआती है, क्योंकि इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में सिर्फ दो प्रतिशत से भी कम लोग अपनी बात कहने के लिए माइक्रोब्लॉगिंग मंच का इस्तेमाल करते हैं.
राधाकृष्ण ने बताया, अगर आप केवल अंग्रेजी को देखें, तो भारत में माइक्रोब्लॉगिंग दो प्रतिशत से कम लोगों तक सीमित है. देश में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाली आबादी के 98 प्रतिशत को इसके बारे में पता नहीं है. यह वह बाजार है, जिस पर कू की नजर है. ट्विटर की प्रतिस्पर्धी कू ने अपनी शुरुआत के 15-16 महीनों के भीतर एक करोड़ उपयोगकर्ताओं के आंकड़े को पार किया. इसमें करीब 85 लाख डाउनलोड इस साल फरवरी से अब तक हुए हैं.
उन्होंने कहा, लगभग 70 करोड़ लोग आज इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और उन सभी के पास (विभिन्न मुद्दों पर) एक विचार या राय है. उन्हें इस तथ्य से अवगत कराना कि कू मौजूद है और वे यहां कू पर आकर कह सकते हैं कि उनके मन में क्या है. आज हम बेहद शुरुआती अवस्था में हैं और हम कहीं अधिक बढ़ सकते हैं.
राधाकृष्ण और मयंक बिद्वतका द्वारा स्थापित कू की शुरुआत पिछले साल हुई थी. यह मंच हिंदी, तेलुगु और बंगाली सहित कई भारतीय भाषाओं काे सपोर्ट करता है. भारत में ट्विटर के साथ केंद्र सरकार के विवाद और घरेलू डिजिटल मंच की बढ़ती मांग के बीच कू की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी. भारत में केंद्रीय मंत्रियों और सरकारी विभागों द्वारा घरेलू माइक्रोब्लॉगिंग मंच का समर्थन करने के बाद पिछले कुछ महीनों में कू के उपयोगकर्ताओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई.
राधाकृष्ण ने कहा कि उन्हें न तो मांग में कमी आने की उम्मीद है और न ही घरेलू माइक्रोब्लॉगिंग समाधान के लिए उत्साह के खत्म होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि स्थानीय कानूनों और नियमों का पालन करना उनके बिजनेस मॉडल का अभिन्न अंग है. (इनपुट:भाषा)