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Friday, March 29, 2024

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Chat GPT: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नया रूप है चैट जीपीटी, ऐसे कर सकते हैं खुद को रजिस्टर

तकनीक ने हमारे जीवन को बेहद आसान बना दिया है. इन्हीं की बदौलत आज न जाने कितने काम बेहद सरलता से हो जाते हैं, जो एक समय बेहद कठिन माने जाते थे. हाल ही में विशेषज्ञों ने एआई आधारित नयी तकनीक चैट जीपीटी लॉन्च किया है. इस तकनीक ने हाल ही में एमबीए की परीक्षा पास कर अपनी उपयोगिता साबित की है.

तकनीक के क्षेत्र में निरंतर हो रहे अनुसंधान का ही नतीजा है कि आज हमारे सामने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी अत्याधुनिक तकनीक मौजूद है. अनुसंधानकर्ता यहीं नहीं रुके हैं, वे एआई में भी नित नये प्रयोग कर उसे नये-नये स्वरूप में पेश कर रहे हैं. इसी क्रम में बीते वर्ष 30 नवंबर को एआई के एक नये स्वरूप ‘चैट जीपीटी’ को लॉन्च किया गया. हालांकि अभी यह तकनीक प्रोटोटाइप स्टेज में है और इस पर काम चल रहा है.

क्या है चैट जीपीटी

चैट जीपीटी एक एआई आधारित प्रोग्राम है, जिसका उपयोग वार्तालाप के लिए किया जाता है. इसे स्वाभाविक तरीके से बातचीत के जरिये मनुष्यों के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए तैयार किया गया है. ओपन एआई यानी ओपन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी ने इसे तैयार किया है. ओपन एआई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर रिसर्च करने वाली एक कंपनी है, जिसकी शुरुआत 2015 में एलन मस्क और सैम अल्टमैन ने की थी. वर्ष 2018 में एलन मस्क के कंपनी छोड़ने के बाद बिल गेट्स ने इसमें निवेश किया. बीते वर्ष 30 नवंबर को इस कंपनी ने एआई के एक नये स्वरूप चैट जीपीटी को लॉन्च किया. लॉन्च होने के पांच दिनों के अंदर ही इसके दस लाख यूजर हो गये. माना जा रहा है कि अब तक इसके एक करोड़ से अधिक यूजर हो चुके हैं.

किस तरह कार्य करती है यह तकनीक

चैट जीपीटी एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है. ओपन एआई की वेबसाइट पर जाकर चैट जीपीटी के आइकॉन पर क्लिक करने के बाद यूजर के सामने एक चैट बॉट का आइकॉन आ जाता है. इस पर यूजर चैट के माध्यम से प्रश्न पूछ सकता है. इसके बाद चैट जीपीटी उसका उत्तर देता है. इस मॉडल को ‘रेनफोर्स्ड लर्निंग फ्रॉम ह्यूमन फीडबैक’ तकनीक के आधार पर तैयार किया गया है. एआई का यह मॉडल मनुष्यों से प्राप्त इनपुट से लगातार अपने आप को अपडेट करता रहता है और समय के साथ चीजों को सीखता रहता है. इंसानों की तरह ही यह तकनीक लगातार सीखने की प्रक्रिया में जुटी रहती है और अपने आप को दिन-ब-दिन बेहतर बनाती जाती है.

अनेक विशेषताओं से लैस है तकनीक

चैट जेनरेटिव प्री ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर, यानी चैट जीपीटी की मुख्य विशेषता एक टेक्स्ट बॉक्स में ठीक उसी तरह की स्वाभाविक प्रतिक्रिया देना है जैसा एक आम व्यक्ति देता है. इसी कारण यह चैट बॉट, एआई सिस्टम कन्वर्सेशन और वर्चुअल असिस्टेंट के एकदम उपयुक्त है. जीपीटी जैसे चैट बॉट बड़ी मात्रा में डेटा और कंप्यूटिंग तकनीकों द्वारा संचालित होते हैं. ये न केवल शब्दावली और जानकारी का इस्तेमाल करते हैं, बल्कि शब्दों को उनके सही संदर्भ में समझकर उत्तर भी देते हैं.

  • चैट जीपीटी पूछे गये प्रश्न को समझकर बातचीत के लहजे में सहज उत्तर दे सकता है.

  • यह कहानियों और कविताओं के सृजन के साथ आलेख लिख सकता है और अनुवाद भी कर सकता है.

  • यह जटिल कोड लिख सकता है और कंप्यूटर प्रोग्राम में आये एरर्स यानी त्रुटियों की पहचान कर उसे हटा सकता है.

  • ग्राहक सेवा के लिए चौबीसो घंटे, सातों दिन इसका प्रयोग किया जा सकता है. यह कम खर्चीला साबित होता है.

  • प्राकृतिक भाषा का विश्लेषण (नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग) द्वारा उपयोगकर्ता के व्यवहार को समझ सकता है और उस आधार पर उसकी सहायता कर सकता है.

  • इसके जरिये बेसिक ईमेल, पार्टी प्लानिंग लिस्ट बनाने जैसे कार्य किये जा सकते है.

  • डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन सामग्री निर्माण, कोड डिबग करना जैसे कार्य करने में भी यह दक्ष है.

कई खामियां भी हैं इसमें

  • यह मॉडल कभी-कभी गलत जानकारी भी देता है, क्योंकि इसकी जानकारी 2021 से पहले तक की वैश्विक घटनाओं तक ही सीमित है.

  • यह यूजर के इनपुट को समझ पाने में अभी भी पूरी तरह सक्षम नहीं है, जिसकी वजह से कई बार यह बेमेल उत्तर भी दे देता है.

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में मानवीय भावनाओं को अभी तक पूरी तरह समाहित नहीं किया जा सका है, जिससे अनैतिक और हेट स्पीच के खतरे बने हुए हैं.

ऐसे कर सकते हैं चैट बॉट पर खुद को रजिस्टर

चैट जीपीटी पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए यूजर दो माध्यमों का प्रयोग कर सकता है. वह अपने ईमेल आईडी या फिर मोबाइल नंबर के माध्यम से इसकी वेबसाइट ओपनएआई डॉट कॉम पर रजिस्टर कर सकता है. ऐसा करने के लिए

  • ब्राउज करते हुए लॉग इन पेज पर जाएं.

  • उसके बाद अपने ईमेल आईडी के माध्यम से एआई अकाउंट बनायें.

  • अगले चरण में वेरिफिकेशन के लिए आपका मोबाइल नंबर मांगा जायेगा. उसके बाद एक ओटीपी के माध्यम से आप इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर हो जायेंगे.

एनएलपी पर आधारित है चैट जीपीटी

चैट जीपीटी एनएलपी (नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग) पर आधारित है. इसी कारण अनेक एनएलपी परियोजनाओं पर काम कर रहे रिसर्चर, डेवलपर के लिए यह एक उत्कृष्ट उपकरण है. एआई के इस स्वरूप के भीतर काम करने के लिए कई सारे विशिष्ट कार्य, डोमेन और एप्लिकेशन उपलब्ध हैं. इतना ही नहीं, इस प्रोग्राम में एक विकल्प होता है कि चैट जीपीटी द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी से आप संतुष्ट हैं या नहीं. यदि आप नहीं का चयन करते हैं, तो यह एआई अपने डेटा में बदलाव कर आपको नया डेटा देता है. यह तब तक अपने उत्तर को परिवर्तित करता रहता है, जब तक उपयोगकर्ता इसके द्वारा दी गयी जानकारी से संतुष्ट नहीं हो जाते.

जीपीटी-3 चैट बॉट क्या है

जीपीटी-3 चैट बॉट प्रोग्राम किये गये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एप्लिकेशंस हैं जिसे ओपन एपीआई ने तैयार किया है. ये बॉट, जीपीटी-3 लैंग्वेज मॉडल से संचालित होते हैं. इन्हें जेनेरेटिव प्री ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर-3 के नाम से भी जाना जाता है. ओपन एपीआई के जीपीटी-3 इंजन जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए जब जीपीटी-3 चैट बॉट का निर्माण होता है, उस समय कंपनियां प्रोग्राम को मनुष्य की तरह लिखने या बोलने के लिए प्रशिक्षित करती हैं. इसके उन्नत एप्लिकेशन डीप लर्निंग, एनएलपी, ऑपरेटर ट्यूटोरियल्स और ऑनलाइन ट्रेनिंग डेटा सेट से बड़े पैमाने पर प्राप्त जानकारियों पर निर्भर होते हैं और उन्हीं के आधार पर ये बॉट अपने उपभोक्ताओं के साथ स्वाभाविक सी लगने वाली बातचीत करते हैं. पाइथन और ट्विलियो के एसएमएस, सामान्य भाषाएं और प्लेटफॉर्म हैं जो जीपीटी-3 टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. अन्य सरल चैट बॉट से उलट, जीपीटी-3 मैसेजिंग सर्विस एक उपभोक्ता के प्रश्न के लिए कहीं अधिक सहायक उत्तर दे सकता है. जीपीटी-3 चैट बॉट मॉडल चैट जीपीटी का लोकप्रिय संस्करण है.

चैट जीपीटी और गूगल में अंतर

लंबे समय से गूगल ही हमारे अधिकांश प्रश्नों का उत्तर देता आ रहा है और मौजूदा वक्त में सर्च इंजन की दुनिया में इसका एकछत्र राज है. दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत सर्च इंजन बाजार पर गूगल का कब्जा है. पर ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में चैट जीपीटी से गूगल को जोरदार टक्कर मिलने वाली है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि यह गूगल से किस तरह अलग है. चैट जीपीटी और गूगल में सबसे बड़ा अंतर यही है कि जब भी हम चैट जीपीटी से कोई प्रश्न पूछते हैं, तो वह उसका उत्तर हमें टेक्स्ट बॉक्स में लिखकर देता है. ऐसा माना जा रहा है कि चैट जीपीटी के जवाब आम तौर पर सटीक होते हैं. जबकि गूगल हमारे प्रश्न के उत्तर से संबंधित इंटरनेट पर मौजूद कई सारे ब्लॉग या लिंक उपलब्ध कराता है. आपको अपने प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए उस लिंक या ब्लॉग पर जाना होता है. कई बार लिंक से सटीक उत्तर नहीं भी मिल पाता है.

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