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सिंगूर में लिखी गयी थी वाम मोर्चा के सत्ता परिवर्तन की पटकथा, इसी आंदोलन से मिली थी ममता बनर्जी को पहचान

राज्य की तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना के लिए सिंगूर में ही जमीन अधिग्रहण करना शुरू किया था. कार कारखाना और उसकी अनुषंगी इकाइयों के लिए 997 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था.

हुगली: 34 वर्षों के वाममोर्चा के शासन में परिवर्तन का श्रेय अगर किसी एक घटना को दिया जाये, तो नि:संदेह वह सिंगूरकांड ही होगा. सिंगूर आंदोलन के बीच से उठी परिवर्तन की हवा ने राज्य की सत्ता में लगभग अपराजेय बन गये मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाममोर्चा गठबंधन को 2011 में जड़ से उखाड़ कर उड़ा दिया. तब से लेकर हाल तक वाम मोर्चा को नेतृत्व दे रही माकपा और उसके सहयोगी दल बंगाल की सियासत में लगातार कमजोर ही होते गये हैं.

हुगली लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है सिंगूर. 2006 के बाद से देश भर में एक जाना-पहचाना नाम. दरअसल राज्य की तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना के लिए सिंगूर में ही जमीन अधिग्रहण करना शुरू किया था. कार कारखाना और उसकी अनुषंगी इकाइयों के लिए 997 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था. हालांकि सिंगूर की जमीन बेहद उपजाऊ मानी होने के चलते कुछ किसान जमीन देने के प्रति अनिच्छुक थे. इसी मुद्दे पर वहां एक आंदोलन छिड़ गया, जिसका नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने किया था. इसमें उनका साथ बंगाल के नागरिक समाज के कई विशिष्ट व्यक्तियों के अलावा देश भर के पर्यावरणविदों ने भी दिया था.

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सिंगूर में जमीन अधिग्रहण के विरोध पर उतारू ममता बनर्जी को प्रशासन ने वहां जाने से रोक दिया था. इसके बाद हाथों में संविधान की किताब लिये ममता बनर्जी विधानसभा पहुंच गयी थीं और फिर विधानसभा मेंजबरदस्त तोड़फोड़ की घटना हो गयी.जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के तहत ममता बनर्जी ने तब 26 दिनों का लगातार अनशन कर देशभर के लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा था. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, ने टाटा से बात कर नैनो कार परियोजना को अपने राज्य में मंगा लिया. जो कारखाना सिंगूर में लगना था, गुजरात के सानंद में लग गया.

सिंगूर के इस आंदोलन के बाद से ममता बनर्जी की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा. रही-सही कमी केमिकल्स इंडस्ट्रीज के लिए नंदीग्राम में प्रस्तावित एक एसइजेड के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन ने पूरी कर दी थी. 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में 34 वर्षों से जारी वाममोर्चा के शासनकाल को खात्मे की आगोश में धकेल दिया.

उल्लेखनीय है कि सिंगूर मामले में 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अधिगृहीत 997 एकड़ जमीन 9117 जमीन मालिकों को लौटाने का आदेश दिया. इधर 2023 में 30 अक्तूबर को एक और फैसला आया. इसमें टाटा मोटर्स को सिंगूर कारखाने के मामले में 11 फीसदी ब्याज के साथ 766 करोड़ रुपये लौटाने का भी निर्देश दिया गया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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