उन्होंने कहा कि 14 मई 1995 को तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने 11वें पंचेन लामा के रूप में गेधून के नाम एलान किया था. एलान के ठीक तीन बाद ही चीन ने पंचेन को उनके परिजनों के साथ अपहरण कर लिया. अपहरण के 22 वर्ष हो गये उनका और उनके परिजनों का कुछ भी अता-पता नहीं है. इस बाबत एसोसिएशन ने हर स्तर से चीन सरकार से संपर्क साधा और जवाब तलब की गयी.लेकिन चीन सरकार ने अब-तक कोई जवाब नहीं दिया. जब पंचेन का अपहरण किया गया तब वे छह वर्ष के थे और 25 अप्रैल को वे 28 वर्ष के हो गये. अब वे देखने में कैसे हैं, उनकी कद-काठी कैसी है, वे जिंदा भी हैं या नहीं. किसी तरह की भी जानकारी चीन से नहीं मिल रही. इस मुद्दे पर वह राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई बार सहयोग करने के की गुहार लगा चुकी है.
लेकिन कहीं से भी किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा. तसेरिंग ने बताया कि 11वें पंचेन का जन्मदिन हर वर्ष तिब्बती उनकी छह वर्ष की मासूमियत चेहरेवाली तस्वीर सामने रखकर मनाते हैं. आज दिन में एसोसिएशन के बैनरतले सिलीगुड़ी के अलावा दार्जिलिंग, कार्सियांग, कालिंपोंग, सिक्किम व अन्य जगह पर रहनेवाले सैकड़ों तिब्बतियनों ने शहर में विशाल रैली निकाली. दार्जिलिंग मोड़ से कोर्ट मोड़ तक निकाली गयी रैली के दौरान पंचेन के अनुयायियों ने उनकी सलामती की फिरयाद की. साथ ही भारत सरकार से उनके धर्मगुरु को चीन से मुक्त कराने में सहयोग करने की एकबार फिर से गुजारिश की.