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सिलीगुड़ीः पढ़ाई के लिए रितु ने उठायी चाय की केतली

सिलीगुड़ी : कभी चाय बेचने वाले नरेन्द्र मोदी वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री हैं. शायद उन्हीं से प्रेरणा लेकर सिलीगुड़ी के निकट घुघुमाली की रहने वाली आठवीं की एक छात्रा चाय बेचकर शिक्षिका बनने का ख्वाब देख रही है. घर की आर्थिक स्थिति बदहाल देखकर शिक्षिका बनने का सपना देखने वाली रितु ने चाय की […]

सिलीगुड़ी : कभी चाय बेचने वाले नरेन्द्र मोदी वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री हैं. शायद उन्हीं से प्रेरणा लेकर सिलीगुड़ी के निकट घुघुमाली की रहने वाली आठवीं की एक छात्रा चाय बेचकर शिक्षिका बनने का ख्वाब देख रही है.
घर की आर्थिक स्थिति बदहाल देखकर शिक्षिका बनने का सपना देखने वाली रितु ने चाय की केतली उठा ली है. अब चाय की केतली रितु के सपने को कहां तक साकार करेगी, यह देखने वाली बात है. यह कहानी सिलीगुड़ी के निकट स्थित घुघुमाली निवासी परेश अधिकारी की दूसरी बेटी रितु की है. परेश अधिकारी पेशे से एक चाय बिक्रेता है. वह स्थानीय बाजार, सरकारी कार्यालय, थाना, अस्पताल, अदालत परिसर आदि में घूम कर चाय बेचता है. छह सदस्यों के उसके परिवार में पत्नी कृष्णा अधिकारी, बड़ी बेटी प्रिती, दूसरी रितु व छोटी बेटी नेहा के अलावा एक साल का बेटा प्रितम शामिल है. बेटी प्रिती, रितु व नेहा स्थानीय स्कूल में पढ़ाइ करती है.
परेश अधिकारी ने बताया कि वह एक दिन में अधिकतम तीन सौ रूपये की चाय बेचता है. इस कमाइ से परिवार का भरण-पोषण व बच्चों की पढ़ाइ संभव नहीं है. प्रतिदिन की कमाइ का कुछ हिस्सा चाय बनाने के सामानों को खरीदने में लग जाता है. इसके बाद भोजन, कपड़ा, दवाई आदि बुनियादी आवश्यकता को पूरा करना ही मुश्किल हो जाता है. इसके बाद भी वह अपनी तीनों बेटियों को पढ़ा रहा हैं. उनकी बेटियां स्थानीय एक सरकारी स्कूल में पढ़ रही है. उनकी दूसरी बेटी मेधावी छात्रा है. आठवीं की छात्रा रितु अपनी पढ़ाइ का खर्च स्वयं ही निकालती है. वह घर पर ही चार बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है. वह भविष्य में एक शिक्षिका बनना चाहती है. इसके लिये वह काफी मेहनत भी कर रही है. आर्थिक तंगी को दूर करने के लिये वह कभी-कभी मेरे साथ चाय की केतली लेकर घूमती है. मेले आदि में वह साथ रहकर चाय बेचने में काफी मदद करती है.
रितु ने बताया कि बचपन से ही शिक्षिका बनने का सपना है. किसी स्कूल शिक्षिका को देखकर वह काफी प्रभावित होती है.पढ़ाइ करके उसने भी शिक्षिका बनने की ठानी है. उसका कहना है कि समाज के विकास में एक शिक्षक या शिक्षिका की महत्वपूर्ण भूमिका है. पिता की आय से उसकी जरुरतें पूरी नहीं होती है. इसके लिये स्कूल से आने के बाद शाम को वह कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है.पिता के साथ चाय की केतली लेकर भी घूमती है. उसका मानना है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता. ट्रेन में चाय बेचने वाला यदि देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो शिक्षिका बनने का उसका सपना भी साकार होगा.

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