ऐसे विरले महापुरुष हैं आचार्यश्री महाश्रमण जिनका जन्म राजस्थान के कस्बे सरदार शहर में 4 मई 1962 को हुआ. पिता झूमरमल व माता नेमा देवी के संपोषण व संस्कार सिंचन से दुगड़ कुल के दीपक मोहन ने ग्यारह वर्ष की आयु में संयम स्वीकार कर मुनि जीवन शुरू किया. वे जन्म से ही गंभीर व संयमी थे. आचार्य तुलसी के निर्देशानुसार मुनिश्री सुमेरमलजी लांडनू द्वारा सरदार शहर में उनकी दीक्षा हुई.
आचार्य महाप्रज्ञजी ने उनकी विलक्षणता को पहचाना और तेरापंथ धर्मशासन के युवाचार्य के रूप में उन्हें नियुक्त किया. इस वर्ष उनका जन्म उत्सव झारखंड की धरा पर मनाया जायेगा. इस अवसर पर आचार्यश्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कमल दुगड़ ने बताया कि आगामी चातुर्मास कोलकाता में है और 29 अप्रैल को कोलकाता चातुर्मास व्यवस्था समिति गुरुकुलवास से संबंधित व्यवस्थायें संभालेगी. अत: कोलकातावासियों का परम सौभाग्य है कि यह जन्मोत्सव कोलकातावासियों के लिए गुरुभक्ति का सुनहरा अवसर होगा. समस्त कोलकाता के श्रावक समाज का दायित्व बनता है कि इस जन्मोत्सव व पट्टोत्सव पर अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर पूज्य प्रवर को अभिवंदना ज्ञापित करें. यह जानकारी समिति की महामंत्री सूरज बरड़िया ने दी.