किशोरी को स्टेशन में उतारने से पहले ही ट्रेन एनजेपी की ओर रवाना हो गयी. हाथोंहाथ एनजेपी में एनजीओ से जुड़े अन्य सदस्यों को सूचित किया गया. एनजेपी में किशोरी को तो सुरक्षित बचा लिया गया लेकिन नारी तस्कर गिरोह से जुड़ी एक महिला व एक पुरूष किशोरी को ट्रेन में ही अकेला छोड़कर फरार हो गये. एनजीओ की ओर से एनजेपी जीआरपी थाना में एक शिकायत दर्ज करायी गयी है. फिलहाल किशोरी सिनी के हाकिमपाड़ा स्थित लड़कियों के होम में सुरक्षित है. वहीं, किशोरी के घरवालों को भी सूचित कर दिया गया है. किशोरी ने अपने बयान में बताया कि कल सुबह एक महिला सुको उरांव व एक युवक राम बहादुर कुबेर उसे दिल्ली में नौकरी का लालच देकर ले जा रहे थे.
वह अपने घर वालों को बगैर सूचित किये ही उन दोनों के साथ चालसा से ही महानंदा ट्रेन में दिल्ली के लिए रवाना हो गयी. किशोरी के अनुसार चाय बागान बंद होने की वजह से उनके घर की माली हालत बहुत खराब है.
वह घर की माली हालत सुधारने के उद्देश्य से दिल्ली नौकरी करने जा रही थी. एनजीओ टायनी हैंडस इंडिया ने दावा करते हुए कहा है कि मात्र अढ़ाई महीने में 148 किशोरियों और युवतियां तस्करी होने से बचायी जा चुकी है. रेश्मा के अनुसार बचायी गयी किशोरियों और युवतियों में केवल डुवार्स इलाके की किशोरी या युवतियां ही नहीं है बल्कि दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र पड़ोसी राज्य सिक्किम, असम के अलावा पड़ोसी देश नेपाल की भी किशोरी व युवतियां हैं. इन सभी को सिलीगुड़ी के रास्ते दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में तस्करी की योजना थी.