सिलीगुड़ी. कालिम्पोंग को जिला बनाने के निर्णय के बाद सिलीगुड़ी को भी अलग से जिला बनाने की मांग ने एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है. हालांकि इस मांग को लेकर आंदोलनरत संगठन वृहतर सिलीगुड़ी नागरिक मंच को झटका लगा है. मंच के सदस्यों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वर्तमान पहाड़ दौरे के दौरान उनसे सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाने की मांग को लेकर मिलने वाले थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने अब तक मिलने का वक्त नहीं दिया है. इसकी वजह से मंच के तमाम सदस्य निराश हैं.
ऐसे इन लोगों ने मुख्यमंत्री से मिलने की उम्मीद नहीं छोड़ी है. ममता बनर्जी आज सोमवार को कालिम्पोंग दौरे पर आ रही हैं और 15 तारीख तक वह कालिम्पोंग एवं सिलीगुड़ी में रहेंगी. इस दौरान भी उनसे मिलने की कोशिश मंच के सदस्य ही करेंगे.
सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए संगठन के अध्यक्ष सुनील कुमार सरकार ने बताया कि मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय लेने के लिए वह इस महीने की 9 तारीख को राज्य मिनी सचिवालय उत्तरकन्या गये थे और वहां के अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंप कर मुख्यमंत्री से कालिम्पोंग दौरे के दौरान मुलाकात का समय दिलाने की अपील की थी. उन्होंने आगे कहा कि उत्तरकन्या के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय के संयुक्त सचिव को इस आशय की एक चिट्ठी भी दे दी थी. उसके बाद आगे की कार्रवाई का पता नहीं चला है. मुख्यमंत्री आज से ही पर्वतीय क्षेत्र के दौरे पर हैं, लेकिन अभी तक उनसे मुलाकात का समय नहीं मिल पाया है. इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर से सिलीगुड़ी को दार्जिलिंग जिले से अलग कर नया जिला बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर कालिम्पोंग को मात्र दो थानों की वजह से जिला बनाया जा सकता है तो सिलीगुड़ी महकमा में कुल 9 थाने हैं. इस शहर की महत्ता का पता इसी से लगता है कि यहां मेट्रोपोलिटन पुलिस की स्थापना की गई है. उन्होंने राज्य सरकार के नये-नये जिले बनाने के निर्णय का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक सरलता के लिए नया जिला बनाया जाना जरूरी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस कदम की वह सभी सराहना करते हैं. कालिम्पोंग को अलग से जिला बनाये जाने का कोई विरोध नहीं है. वह सभी इसका स्वागत करते हैं. साथ ही सिलीगुड़ी को भी अलग से जिला बनाया जाना चाहिए. सिलीगुड़ी की आबादी कालिम्पोंग महकमा से काफी अधिक है. वर्ष 2011 के जनसंख्या के अनुसार ही यहां की आबादी 15 लाख थी. उन्होंने सिलीगुड़ी के चार विधानसभा क्षेत्रों सिलीगुड़ी, माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी, फांसीदेवा तथा डाबग्राम-फूलबाड़ी को मिलाकर अलग से जिला बनाने की मांग की. श्री सरकार ने कहा कि इस मांग को लेकर वह लोग पिछले एक दशक से आंदोलन कर रहे हैं. उनके संगठन का किसी भी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. एक गैर राजनीतिक संगठन के तहत लगातार आंदोलन करने के बाद भी राज्य की ममता बनर्जी सरकार उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं कर रही है.
विधानसभा में भी उठा मुद्दा ः श्री सरकार ने कहा कि सिलीगुड़ी को अलग से जिला बनाने की मांग को लेकर राज्य विधानसभा में भी मामले को उठाया गया है. उनकी इस मांग को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल है. वह लोग इस मुद्दे को लेकर डाबग्राम-फूलबाड़ी के विधायक तथा मंत्री गौतम देव, माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी के विधायक शंकर मालाकार, सिलीगुड़ी के विधायक अशोक भट्टाचार्य से भी मुलाकात कर चुके हैं. उनकी इस मांग को कांग्रेस विधायक शंकर मालाकार ने ही विधानसभा में उठाया था.
जिला बनाने में होगी आसानी
श्री सरकार ने आगे कहा कि राज्य सरकार को सिलीगुड़ी को अलग से जिला बनाने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. एक तरह से कहें तो कई मामलों में सिलीगुड़ी को एक तरह से अलग जिला बना दिया गया है. राज्य के ही स्वास्थ्य विभाग ने सिलीगुड़ी को अलग से स्वास्थ्य जिला घोषित किया है. यही वजह है कि सिलीगुड़ी के सदर अस्पताल को जिला अस्पताल के रूप में तब्दील किया गया है. इसी तरह से राज्य के शिक्षा विभाग ने भी सिलीगुड़ी को शिक्षा जिला घोषित किया है. इसके अलावा सिलीगुड़ी महकमा परिषद को तमाम वही अधिकार दिये गये हैं, जो एक जिला परिषद को मिलता है. इससे जाहिर है कि सिलीगुड़ी को अलग से जिला बनाने में राज्य सरकार को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा इस शहर की ढांचागत सुविधाएं भी कालिम्पोंग के मुकाबले काफी अधिक है.
किन इलाकों की मांग
वृहतर सिलीगुड़ी नागरिक मंच द्वारा सिलीगुड़ी महकमा के साथ-साथ सिलीगुड़ी नगर निगम के अधीन जलपाईगुड़ी जिले के अंतर्गत 14 वार्डों, डाबग्राम-फूलबाड़ी, सिलीगुड़ी, फांसीदेवा तथा माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र को लेकर अलग से जिला बनाने की मांग की जा रही है. संगठन की मांग सिलीगुड़ी में मेट्रोपोलिटन कोर्ट के स्थापना की भी मांग है. संगठन के सदस्यों का कहना है कि सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस का तो गठन कर दिया गया, लेकिन सिलीगुड़ी में मेट्रोपोलिटन कोर्ट की स्थापना नहीं की गई है.
क्या है मामला: उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी को दार्जिलिंग से अलग कर जिला बनाने की मांग पिछले 12 साल से की जा रही है. इसके लिए बीच-बीच में आंदोलन भी होते हैं. आंदोलनकारियों का कहना है कि सिलीगुड़ी नगर निगम के ही अधीन करीब 14 वार्डों को जलपाईगुड़ी जिले में रखा गया है. इन वार्डों के लोगों को विभिन्न सरकारी कार्योँ के लिए सिलीगुड़ी में आसानी होगी. लेकिन इनको करीब 40 किलोमीटर दूर जलपाईगुड़ी जाना पड़ता है. इसी तरह से सिलीगुड़ी के लोगों को विभिन्न प्रकार के सरकारी कार्यों के लिए करीब 75 किलोमीटर दूर दार्जिलिंग का चक्कर काटना पड़ता है. इससे समय और पैसे दोनों की बरबादी होती है.