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त्रिहाना चाय बागान में राहत सामग्री का वितरण

सिलीगुड़ी. ढाई महीने से बंद त्रिहाना चाय बागान के श्रमिकों के पास खड़ा होने की कोशिश दार्जिलिंग जिला माकपा ने की है. श्रमिकों के बीच कुछ खाद्य वस्तुएं बांटी गयी. मंगलवार सुबह जिला माकपा की ओर से सिलीगुड़ी के निकट बागडोगरा स्थित त्रिहाना चाय बागान में कुल एक हजार चाय श्रमिकों के बीच खाद्य पदार्थ […]

सिलीगुड़ी. ढाई महीने से बंद त्रिहाना चाय बागान के श्रमिकों के पास खड़ा होने की कोशिश दार्जिलिंग जिला माकपा ने की है. श्रमिकों के बीच कुछ खाद्य वस्तुएं बांटी गयी. मंगलवार सुबह जिला माकपा की ओर से सिलीगुड़ी के निकट बागडोगरा स्थित त्रिहाना चाय बागान में कुल एक हजार चाय श्रमिकों के बीच खाद्य पदार्थ का वितरण किया गया. पिछले साल आठ नवंबर को बागान मालिक बिना किसी अग्रिम सूचना के बागान बंद कर चले गये हैं. बागान बंद होने के बाद असहाय श्रमिक नया रोजगार ढूंढ़ने का प्रयास कर रहे हैं. अधिकांश श्रमिकों के घर में खाने को लाले पड़ने लगे हैं.

बीते दिसंबर महीने में राज्य के पर्यटनमंत्री गौतम देव ने इस चाय बागान का दौरा कर जल्द से जल्द इसको खुलवाने का आश्वासन श्रमिकों को दिया था. माकपा द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार त्रिहाना चाय बागान के चार सौ, जाबर चाय बागान के तीन सौ और मोहनलाल चाय बागान के तीन सौ यानि कुल एक हजार चाय श्रमिकों की सहायता की गयी. इस मौके पर चाय श्रमिकों को संबोधित करते हुए माकपा के जिला सचिव जीवेश सरकार ने तृणमूल पर निशाना साधते हुए कहा कि बागान बंद होने के बाद माकपा सहित अन्य कइ राजनीतिक दलों के श्रमिक संगठनों ने एकजुट होकर आंदोलन किया था. तृणमूल समर्थित श्रमिक संगठन इसमें शामिल नहीं हुयी. श्री सरकार ने कहा कि राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने जल्द ही बागान खुलवाने का आश्वासन दिया था. मंत्री गौतम देव पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि वे श्रमिको की स्थिति सुधारने व बागान खुलवाने के लिये नहीं,बल्कि अपनी पार्टी में लोगों को शामिल करने आये थे. उन्होंने कहा था कि तृणमूल का समर्थन करो,पार्टी मदद करेगी.

उसके बाद भी यहां के चाय श्रमिक तृणमूल में शामिल नहीं हुए. इसी वजह से राज्य सरकार इस बंद बागान को नहीं खुलवाना चाहती है. मंत्री गौतम देव ने बागान नहीं खुलवा कर वादाखिलाफी की है. कार्यक्रम में उपस्थित माकपा श्रमिक संगठन के नेता गौतम घोष ने कहा कि उत्तर बंगाल के कइ चाय बागान तृणमूल के राज में बंद हो गये. उन चाय बागानों को खुलवाने के बजाय राज्य सरकार श्रमिकों को राहत सामग्री दे रही है. राज्य सरकार को समझना चाहिए की इस राहत सामग्री से श्रमिकों के परिवार का पेट भरना संभव नहीं है. सरकार को बागान खोलने की कोशिश करवानी चाहिए.

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