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बैंकों में वेतनभोगियों की लगी कतार

सिलीगुड़ी: केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा 1000 तथा 500 के नोट बंद किये जाने की घोषणा के बाद जिस तरह से विभिन्न बैंकों तथा एटीएम में कई दिनों तक लोगों की भीड़ लगी रही, कमोबेश वैसे ही स्थिति आज गुरूवार को भी देखने को मिली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने 8 तारीख को […]

सिलीगुड़ी: केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा 1000 तथा 500 के नोट बंद किये जाने की घोषणा के बाद जिस तरह से विभिन्न बैंकों तथा एटीएम में कई दिनों तक लोगों की भीड़ लगी रही, कमोबेश वैसे ही स्थिति आज गुरूवार को भी देखने को मिली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने 8 तारीख को नोटबंदी की घोषणा की थी. तब से लेकर अब तक पैसे जमा करने तथा पैसे निकालने के लिए विभिन्न बैंकों में लोगों की मारा-मारी लगी हुई थी. हालांकि पिछले चार-पांच दिनों में स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही थी. बैंकों में लोगों की कतार कम हो रही थी. गुरूवार को एक दिसंबर के दिन फिर से पुरानी स्थिति देखने को मिलने लगी है. सिलीगुड़ी के अधिकांश बैंकों में तनख्वाह के रुपये निकालने के लिए वेतनभोगियों की भीड़ देखी गई. नोटबंदी के बाद पहली बार तनख्वाह की तिथि आयी है.
आम तौर पर सरकारी विभागों के साथ-साथ निजी कंपनियों द्वारा भी अपने कर्मचारियों को बैंकों के माध्यम से ही तनख्वाह दी जाती है. स्वाभाविक तौर पर एक तारीख होने की वजह से अपने सैलरी एकाउंट से तनख्वाह निकालने वाले लोगों की भीड़ लग गई. इसके अलावा भारी संख्या में वरिष्ठ नागरिक भी पेंशन लेने के लिए बैंकों में पहुंचे थे. नोटबंदी की घोषणा के कुछ दिनों तक तो विभिन्न सरकारी बैंकों में पुलिस की व्यवस्था की गई थी, लेकिन अब अधिकांश बैंकों से पुलिस की व्यवस्था हटा ली गई है. जिसकी वजह से लाइन में लगने वाले लोगों को नियंत्रित करने में परेशानी हो रही है. बैंक वाले भी कम परेशान नहीं हैं.

कई स्थानों पर आम लोगों तथा बैंक कर्मचारियों के बीच कहा-सुनी होने की भी खबर है. सबसे अधिक परेशानी उन बैंकों में है जहां भारी संख्या में सैलरी एकाउंट के साथ-साथ पेंशनभोगी खातेदारों की संख्या भी काफी अधिक है. सिलीगुड़ी में स्टेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक तथा यूनाइटेड बैंक में पेंशनधारकों की संख्या काफी अधिक है. इन बैंकों में कहीं भी वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से लाइन की कोई व्यवस्था नहीं है. सीनियर सिटीजन को भी आम लोगों के साथ ही सामान्य लाइन में कई घंटों तक खड़ा रहना पड़ रहा है. उसके बाद भी पैसे मिलने की कोई गारंटी नहीं है. सिलीगुड़ी के एक शिक्षक संजीव ठाकुर का कहना है कि अपनी तनख्वाह निकालने में इतनी परेशानी झेलनी पड़ रही है. नोटबंदी की घोषणा होने के बाद से वह अभी तक कई बार बैंकों की लाइन में लगकर पैसे निकालने की कोशिश कर चुके हैं. कई दिनों तक लाइन में लगने के बाद कभी दो हजार तो कभी तीन हजार रुपये दिये जाते हैं.


एटीएम भी बंद पड़ा हुआ है. एक तारीख को तनख्वाह मिलने के बाद राशन दुकान आदि से लेकर सभी बकायदारों को पैसा देना है. इसके अलावा बच्चों की स्कूल की भी फीस भरनी है. समझ में नहीं आता है कि क्या करें. यदि पैसे ही नहीं मिलेंगे तो घर का खर्चा कैसे चलेगा. काम-धाम छोड़कर रोज-रोज लाइन में लगना भी संभव नहीं है. इस बीच, आम लोगों की इस परेशानी को देखते हुए तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर से आंदोलन की धमकी दी है. तृणमूल नेता मदन भट्टाचार्य ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस तुगलकी फरमान से आम लोग परेशान हैं. अब बैंकों से तनख्वाह निकालने का समय है. कर्मचारी नौकरी पर जायेंगे या तनख्वाह लेने के लिए लाइन में लगेंगे. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर वह लोग फिर से बड़ा आंदोलन करेंगे.
क्या कहते हैं मदन भट्टाचार्य
तृणमूल कांग्रेस के नेता तथा राज्य परिवहन बोर्ड के सदस्य मदन भट्टाचार्य ने कहा कि बैंकों के कर्मचारी भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नक्शेकदम पर ही चल रहे हैं. उन्होंने बैंक कर्मचारियों पर आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने का भी आरोप लगाया. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि भारी संख्या में पेंशनभोगी, वरिष्ठ नागरिक बैंकों की कतार में लगे हुए हैं. कई घंटों तक कतार में खड़े रहने के बाद भी पैसे नहीं मिलते. जब यह लोग इस बात पर विरोध प्रकट करते हैं तो बैंक कर्मचारी इनके साथ अभद्रता करते हैं. उन्होंने बैंकों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से काउंटर बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि यदि वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से काउंटर नहीं बनाये गये, तो वह आम लोगों को साथ लेकर बैंकों के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे.
कारोबार पूरी तरह से चौपट- खोरिया
सिलीगुड़ी मर्चेन्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल खोरिया का कहना है कि नोटबंदी की वजह से कारोबार पूरी तरह से चौपट है. यदि आम लोग बैंकों से अपनी तनख्वाह ही नहीं निकाल सकेंगे तो खरीददारी कहां से करेंगे. व्यापारियों से लेकर आम लोग तक परेशान हैं. कारोबार में 75 प्रतिशत तक की कमी आयी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जब नोटबंदी की घोषणा की थी तो 10 से 15 दिनों में स्थिति सामान्य होने का दावा किया था. वास्तविकता यह है कि स्थिति सुधरने के बगैर बिगड़ती जा रही है.
क्या कहते हैं पेंशनधारी शिक्षक
सिलीगुड़ी के एक पेंशनधारी शिक्षक ओम प्रकाश पांडेय ने कहा है कि मोदी सरकार के इस निर्णय के बाद पेंशनधारियों के साथ ही आम लोगों को भी दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. पहले लोग महंगाई की मार से परेशान थे. अब नोटबंदी की मार झेलनी पड़ रही है. घर का पूरा बजट गड़बड़ हो गया है. सबसे दुखद बात यह है कि पेंशन लेने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंकों ने अलग से कोई व्यवस्था नहीं की है. अधिक उम्र के बुजुर्गों को भी घंटों लाइन में खड़ा रहकर पैसे लेने के लिए अपनी बारी की इंतजार करना पड़ता है. अगर किसी तरह से बैंक के काउंटर के सामने पहुंच भी गये, तो पूरे पैसे नहीं दिये जाते हैं. कभी दो हजार तो कभी तीन हजार रुपये पकड़ाया जाता है. श्री पांडेय ने कहा कि केन्द्र सरकार को यह निर्णय लेने से पहले सिस्टम को दुरुस्त करना चाहिए था.

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