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अलग-अलग बैनर के तहत आंदोलन, तीन धड़े में बंटी है पार्टी, अभी भी एक नहीं हुए हैं श्रमिक नेता

जलपाईगुड़ी. तृणमूल कांग्रेस के अधीन तीनों चाय श्रमिक यूनियनों को इकट्ठा कर एक नया श्रमिक यूनियन बनाने के बाद भी तीनों धड़े के नेता अभी भी अलग-अलग आंदोलन कर रहे हैं. केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद चाय श्रमिकों को वेतन तथा मजदूरी देने में परेशानी हो रही है. इसी […]

जलपाईगुड़ी. तृणमूल कांग्रेस के अधीन तीनों चाय श्रमिक यूनियनों को इकट्ठा कर एक नया श्रमिक यूनियन बनाने के बाद भी तीनों धड़े के नेता अभी भी अलग-अलग आंदोलन कर रहे हैं. केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद चाय श्रमिकों को वेतन तथा मजदूरी देने में परेशानी हो रही है. इसी को लेकर मंगलवार को डुवार्स के विभिन्न चाय बागानों में तृणमूल की ओर से आंदोलन किया जा रहा है.

इसी आंदोलन के दौरान तीनों धड़े अभी भी आपस में बंटे-बंटे दिखे. 30 अगस्त को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में पार्टी सुप्रीमो तथा राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीनों धड़े को मिलाकर तृणमूल चाय बागान मजदूर यूनियन नामक संगठन बनाने की घोषणा की थी. इस यूनियन में अलीपुरद्वार के पूर्व सांसद जोआकिम बाक्सला के अधीन तृणमूल टी प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन के साथ ही अलीपुरद्वार जिला परिषद के सभाधिपति मोहन शर्मा के अधीन डुवार्स वर्कर्स ऑफ टी प्लांटेशन तथा नागराकाटा के तृणमूल विधायक सुकरा मुंडा के अधीन तराई डुवार्स प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन का विलय करा दिया गया. इसके अलावा तृणमूल की आइएनटीटीयूसी तो पहले से ही है. चाय बागानों में एक ही पार्टी के कई श्रमिक यूनियनों की होने की वजह से इनके नेताओं में विभिन्न मुद्दों को लेकर मतभेद हमेशा ही रहा. कई बार इन्हीं मतभेदों की वजह से समस्या सुलझने के बगैर बिगड़ती गई.

यहां उल्लेखनीय है कि डुवार्स के माल, नागराकाटा, कालचीनी, फालाकाटा, कुमारग्राम, वीरपाड़ा, मदारीहाट, राजगंज आदि के चाय बागानों में तृणमूल की शक्ति काफी बढ़ी है. 2018 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भारी जीत हासिल करने के लिए ही ममता बनर्जी ने चाय बागानों पर विशेष फोकस किया है. यही वजह है कि उन्होंने तृणमूल के अधीन सभी चाय श्रमिक यूनियनों को एक कर दिया. अब ममता बनर्जी ने श्रमिक यूनियनों को तो मिला दिया, लेकिन लगता है कि तीनों श्रमिक संगठनों के नेताओं का दिल नहीं मिला. इन लोगों के बीच अभी भी दूरी बनी हुई है और सभी लोग अपने पुराने बैनर के तले ही ताकत दिखाना चाहते हैं. मंगलवार को तृणमूल के नये यूयियन का कोई पता ठिकाना इस आंदोलन में नहीं देखा गया. ऐसे ममता बनर्जी ने जो नया यूनियन बनाया है उसकी जिम्मेदारी सुकरा मुंडा तथा मोहन शर्मा को दी गई है. आज दोनों ही नेता अपने पुराने बैनर और झंडे के साथ आंदोलन करते देखे गये. तराई डुवार्स प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन के केन्द्रीय कमेटी के नेता अराधन दास ने बताया है कि तीनों यूनियनों को मिलाकर एक यूनियन तो बना दिया गया है, लेकिन अभी तक स्थायी कमेटी नहीं बनायी गई है.

किसी वजह से पुराने बैनर पर ही आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजगंज एवं जलपाईगुड़ी इलाके में स्थित चाय बागान के श्रमिकों को अब तक मजदूरी नहीं दी गई है. वेतन तथा मजदूरी की समस्या दूर करने की मांग को लेकर ही आज का आंदोलन सभी लोग मिलकर कर रहे हैं. चाय बागान प्रबंधन को सभी ने ज्ञापन भी दिया है. तृणमूल टी प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष जोवाकिम बाक्सला ने कहा है कि आइएनटीटीयूसी अनुमोदित उनके पुराने श्रमिक संगठन के अधीन ही वह आज का आंदोलन कर रहे हैं. धौलाझोड़ा, कोहिनूर आदि चाय बागानों में विरोध प्रदर्शन कर प्रबंधन को ज्ञापन दिया गया है. नये यूनियन की स्थायी कमेटी नहीं बनायी गई है.

इसलिए पुराने यूनियनों के नेताओं को लेकर ही आज का आंदोलन किया गया. दूसरी तरफ नवगठित तृणमूल चाय मजदूर यूनियन के एडहोक कमेटी के अध्यक्ष मोहन शर्मा का कहना है कि पार्टी ने ही नया यूनियन बनाकर एडहोक कमेटी गठित की है. हालांकि अभी तक स्थायी कमेटी का गठन नहीं किया गया है. इसीलिए पुराने बैनरों पर ही सभी नेता आंदोलन कर रहे हैं. हालांकि इस बात की जानकारी तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय शीर्ष नेतृत्व को दे दी गई है. जलपाईगुड़ी आइएनटीटीयूसी के अध्यक्ष मीठू महंत ने बताया कि नये यूनियन के स्थायी कमेटी नहीं होने की वजह से ही इस प्रकार की परेशानी हुई है. उन्होंने कहा कि सभी नेताओं ने आपस में बातचीत कर ही अलग-अलग आंदोलन करने का निर्णय लिया है.

क्या कहते हैं जिला अध्यक्ष
तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तथा अलीपुरद्वार के विधायक सौरभ चक्रवर्ती का कहना है कि तृणमूल के अधीन सभी चाय श्रमिक यूनियनों को एक कर तृणमूल चाय मजदूर यूनियन का गठन किया गया है. अभी इस संगठन का विस्तार नहीं हुआ है. सभी नेता अपने पुराने यूनियन के पद पर ही बने हुए हैं. एक बार स्थायी कमेटी का गठन हो जाने के बाद विभिन्न चाय बागानों में भी कमेटियां बनवा दी जायेंगी. उसके बाद इस प्रकार की समस्या नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि भले ही तृणमूल के नेता और समर्थक अलग-अलग बैनर तले आंदोलन कर रहे हों, लेकिन सभी का मकसद चाय श्रमिकों का कल्याण है. उन्होंने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि आम लोग काफी परेशान हो रहे हैं. चाय श्रमिकों को मजदूरी नहीं मिल रही है. वह लोग एक दिसंबर को कोलकाता के टी बोर्ड कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे. डुवार्स से 12 सौ चाय श्रमिक इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे.

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