इसकी शुरूआत कालियागंज नगरपालिका से हुई थी. कालियागंज नगरपालिका पर अब तृणमूल का कब्जा है. कांग्रेस के अधिकांश पार्षद कार्तिक पाल के नेतृत्व में तृणमूल में शामिल हो गये. अभी कार्तिक पाल तृणमूल बोर्ड के चेयरमैन हैं. कमोबेश इसी प्रकार की स्थिति दालखोला नगरपालिका की रही. अब बारी इस्लामपुर नगरपालिका की है.
इस्लामपुर नगरपालिका के अध्यक्ष कन्हैयालाल अग्रवाल ने तृणमूल जाने की घोषणा पहले ही कर दी है. वह दुर्गा पूजा के बाद तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो जायेंगे. उनके नजदीकी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस्लामपुर नगरपालिका के कई अन्य कांग्र्रेसी पार्षद भी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. स्वाभाविक है कि इस्लामपुर नगरपालिका पर आने वाले दिनों में तृणमूल का कब्जा हो जायेगा. श्री अग्रवाल दो दिन पहले ही तृणमूल नेता तथा राज्य के परिवहन मंत्री शुभेन्दु अधिकारी से कानकी में मिले थे. माना जा रहा है कि श्री अग्रवाल के साथ कांग्रेस के नौ अन्य पार्षद भी तृणमूल में शामिल हो जायेंगे. एक तरह से यहां से कांग्रेस का खात्मा हो जायेगा. इस तरह से कहा जाये तो उत्तर दिनाजपुर जिले के तीन नगरपालिकाओं कालियागंज, दालखोला तथा इस्लामपुर में तृणमूल का कब्जा होगा. जबकि रायगंज नगरपालिका की मियाद पहले ही खत्म हो चुकी है. यहां प्रशासक की नियुक्ति पहले से ही है.
इस बीच, कांग्रेसी नेता कन्हैयालाल अग्रवाल तथा अपने अन्य पार्षदों को मनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. हालांकि कांग्रेसी नेताओं को इसमें सफलता नहीं मिली है. कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मोहित सेनगुप्ता ने इस बात को माना भी है. मोहित सेनगुप्ता ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में श्री अग्रवाल को कांग्रेस का टिकट दिलवाने के लिए काफी कोशिश की गई थी. तब कहीं जाकर वह कांग्रेस के उम्मीदवार बने और चुनाव जीतकर विधायक बनने में भी वह कामयाब रहे. लेकिन उन्होंने कांग्रेस की मान नहीं रखी. श्री सेनगुप्ता ने आगे कहा कि कन्हैयालाल अग्रवाल के तृणमूल में शामिल होने के फैसले से उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ है. पूरे राज्य में ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. विरोधी दलों के कब्जे में रहे नगरपालिकाओं तथा ग्राम पंचायतों पर तृणमूल कांग्रेस लगातार कब्जा कर रही है. विरोधी पार्षदों को डरा कर तथा लोभ देकर तृणमूल कांग्रेस में शामिल किया जा रहा है. ऐसे में कन्हैयालाल अग्रवाल भी तृणूल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं, तो इसमें कुछ भी आश्चर्य नहीं है. इधर, कन्हैयालाल अग्रवाल के फैसले से सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं , बल्कि माकपा नेताओं में भी रोष है. यहां उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में वाम मोरचा ने इस सीट से जेडयू उम्मीदवार मोहम्मद अरशद के समर्थन का फैसला किया था. उसके बाद वाम मोरचा तथा कांग्रेस गठबंधन के बीच काफी तना-तनी देखी गई थी. कांग्रेस ने वाम मोरचा के फैसले का विरोध करते हुए कन्हैयालाल अग्रवाल को मैदान में उतार दिया.
माना जाता है कि माकपा के स्थानीय नेता भी जेडयू उम्मीदवार के समर्थन के पक्ष में नहीं थे. माकपा के स्थानीय नेताओं ने अप्रत्यक्ष रूप से कन्हैयालाल अग्रवाल का समर्थन किया था और चुनाव प्रचार में जुटे हुए थे. स्थानीय माकपा नेता मोहम्मद अरशद का कहना है कि यदि कन्हैयालाल अग्रवाल तृणमूल में शामिल हो रहे हैं तो वह न सिर्फ कांग्रेस का, बल्कि माकपा का भी भरोसा तोड़ रहे हैं. इस बीच, कन्हैयालाल अग्रवाल अपने फैसले पर कायम हैं. उन्होंने साफ कह दिया है कि वह दुर्गा पूजा के बाद तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो जायेंगे. उन्होंने कहा है कि वह कांग्रेस में रह कर इस्लामपुर के विकास के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं. यदि उन्हें विकास का काम करना है तो इसके लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का सहयोग जरूरी है. इसी वजह से उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय लिया है.