पत्रकारों को संबोधित करते हुए मंत्री श्री अहलुवालिया ने बताया कि संविधान के मुताबिक प्रत्येक जिले में जिला प्लानिंग कमिटी का होना आवश्यक है. यह कमिटी केंद्र व राज्य सरकार की परियोजनाओं की निगरानी तथा उसको लागू करने में सहायता प्रदान करती है. केंद्रीय परियोजनाओं में राज्य सरकार की भी आर्थिक भागीदारी होती है.
केंद्र से रूपये आवंटित होने के बाद भी परियोजनाओं में रूकावट तथा अन्य सभी बाधाओं की निगरानी जिला प्लानिंग कमिटी ही करती है. इस कमिटी से पहले विजीलेंस कमिटी हुआ करती थी, लेकिन उस कमिटी की बैठक नहीं होती थी. जबकि संविधान के अनुसार प्रत्येक वर्ष फरवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के तीसरे शनिवार को इस कमिटी की बैठक होना अनिवार्य है.जिला प्लानिंग कमिटी की बैठक में बुलाये जाने और सदस्य बनाये जाने से सिलीगुड़ी के मेयर व विधायक अशोक भट्टाचार्य काफी खुश हैं. इसके लिये उन्होंने मंत्री व दार्जिलिंग के सांसद का आभार प्रकट किया है. संवाददाता सम्मेलन में श्री अहलुवालिया के साथ अशोक भट्टाचार्य और महकमा परिषद के सभाधिपति तापस सरकार भी उपस्थित थे. उल्लेखनीय है कि अशोक भट्टाचार्य बार-बार राज्य सरकार पर अपमान करने का आरोप लगाते रहे हैं. उन्हें किसी भी सरकारी बैठक या कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाता है. इस संबंध में मंत्री श्री अहलुवालिया से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मेयर व विधायक को इस बैठक में बुलाकर इन पर कोई कृपा नहीं की है.
बल्कि इनका संवैधानिक दरजा उन्हें दिया गया है. ये राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य होने के साथ सिलीगुड़ी के मेयर भी हैं. संविधान के मुताबिक जिला प्लानिंग कमिटी में उन्हें और सिलीगुड़ी महकमा परिषद के सभाधिपति को शामिल किया गया है. पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्लानिंग कमिटी केंद्र व राज्य सरकार की परियोजनाओं की निगरानी करती है. वर्ष 2011 से पहले तक यह कमिटी थी लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद दार्जिलिंग जिले में इस कमिटी का गठन नहीं किया गया. इस बार फिर से इस कमिटी का गठन उन्होंने किया है, यह एक अच्छी दिशा है. बैठक में केंद्र व राज्य सरकार की कइ परियोजनाओं को लेकर चरचा की गयी.