इन सभी नेताओं ने कैम्प में रह रहे छींटमहलवासियों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुना. बाद में भाजपा के राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि छींटमहलवासियों के लिए केन्द्र से मिले रुपये का सही उपयोग नहीं हो रहा है.
उन्होंने कहा कि छींटमहलवासी काफी वर्षोँ से कष्टकर जीवन जी रहे थे. केन्द्र में भाजपा नीत एनडीए सरकार बनने के बाद बांग्लादेश के साथ छींटमहल विनिमय समझौता हुआ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके लिए विशेष पहल की. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वजह से ही छींटमहलवासी जिंदगी का नया सबेरा देख रहे हैं. छींटमहलवासियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो तथा इनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था हो सके, इसके लिए केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को काफी रुपये दिये हैं. उसके बाद भी इन कैम्पों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. उन्होंने कहा कि वह इस बात की जानकारी केन्द्र सरकार को देंगे और साथ ही राज्य विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठायेंगे. छींटमहलवासियों ने भाजपा नेताओं को बताया कि ठीक से रहने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बड़े परिवार वालों को भी दो कमरे दिये गये हैं.
इन्हीं कमरों में परिवार के कई सदस्यों को रहना पड़ रहा है. इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से राशन के माध्यम से पांच किलो चावल, पांच लीटर किरासन तेल तथा पांच लीटर सोयाबीन तेल दिये जा रहे हैं. छोटे परिवारों के लिए तो यह ठीक है, लेकिन बड़े परिवारों के लिए इतने कम अनाज से काम नहीं चलता. हताशा में वह सभी जी रहे हैं. छींटमहल विनिमय के लिए आंदोलन कर रहे नेता दीप्तिमान सेनगुप्ता ने कहा कि छींटमहलवासियों के लिए तीन कैम्प बनाये गये हैं. पीडब्ल्यूडी विभाग ने इन तीन कैम्पों के निर्माण पर 17 करोड़ रुपये खर्च दिखाया है. कुल 250 टीन के घर बनाये गये हैं. उन्होंने इस मामले में घोटाले का भी आरोप लगाया है.
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि भला टीन के 250 घर बनाने में 17 करोड़ रुपये कैसे खर्च हो सकते हैं. उन्होंने इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग भाजपा नेताओं से की. यहां से भाजपा नेता दिनहाटा के लिए रवाना हो गये. यह सभी दिनहाटा में बने छींटमहल कैम्प का दौरा करेंगे.