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पुनर्वास की मांग को लेकर नदी कटाव पीड़ितों का भड़का गुस्सा, सड़क जाम कर प्रदर्शन

मालदा. राहत एवं पुनर्वास की मांग को लेकर नदी कटाव पीड़ितों का गुस्सा सातवें आसमान पर है और सोमवार को सैकड़ों पीड़ितों ने इसको लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. सुबह 10 बजे से कालियाचक-3 ब्लॉक स्थित 18 माइल इलाके में पीड़ित जमा हो गये और राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया. यह लोग कई घंटों […]

मालदा. राहत एवं पुनर्वास की मांग को लेकर नदी कटाव पीड़ितों का गुस्सा सातवें आसमान पर है और सोमवार को सैकड़ों पीड़ितों ने इसको लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. सुबह 10 बजे से कालियाचक-3 ब्लॉक स्थित 18 माइल इलाके में पीड़ित जमा हो गये और राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया. यह लोग कई घंटों तक विरोध प्रदर्शन करते रहे.

इसी में से काफी पीड़ित पास ही स्थित चमाग्राम रेलवे स्टेशन चले गये और वहां रेल रोको आंदोलन की घोषणा कर दी. रेल पटरियों पर सैकड़ों लोगों के जमा हो जाने की वजह से ट्रेनों की आवाजाही भी काफी देर तक बंद रही. इन लोगों का आरोप है कि नदी कटाव की वजह से सैकड़ों लोग अपना घर-बार गंवा चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से पीड़ितों की कोई मदद नहीं की जा रही है. सिर्फ कालियाचक-3 ब्लॉक के बिन नगर-1 ग्राम पंचायत के अधीन सरकारपाड़ा के 155 परिवारों का घर-बार गंगानदी में समा गया है. जो कुछ घर बच गये हैं वह भी गंगा में समाने के कगार पर है. एक तरह से कहें तो आने वाले दिनों में सरकारपाड़ा गांव का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा.

इस बीच, 17 माइल इलाके में 34 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क जाम से ट्रैफिक की स्थिति चरमरा गयी. दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गयीं. इसके साथ ही रेल रोको की वजह से ट्रेन सेवा पर असर पड़ा. अप तथा डाउन कंचनजंगा एक्सप्रेस को मालदा टाउन स्टेशन तथा फरक्का स्टेशन पर रोक दिया गया. कई मालगाड़ियों की आवाजाही भी बंद हो गई. कई घंटे तक अवरोध के बाद पुलिस प्रशासन तथा रेलवे के हस्तक्षेप से स्थिति सामान्य हुई. बिन नगर-1 ग्राम पंचायत की माकपा प्रधान डौली मंडल ने कहा है कि कटाव से इलाके की स्थिति काफी खराब है. यहां तक कि विधायक स्वाधीन सरकार का घर भी गंगा नदी के गर्भ में समा गया है. प्रशासन से कई बार मदद की गुहार लगायी गयी, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ. एक बार फिर से कटाव की स्थिति बनी हुई है. राहत सामग्री देने के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है.

प्रशासन के इसी रवैये से आम लोग नाराज होकर आंदोलन कर रहे हैं. पंचायत के हाथ में कुछ भी नहीं है. सरकार टोला से लेकर चाइना बाजार तक दो किलोमीटर इलाके में कटाव से स्थिति गंभीर है. घर-बार गंवाने के बाद आम लोग खुले आसमान के नीचे जिंदगी जीने पर मजबूर हैं. देवव्रत सरकार, सुशांत सरकार, सुकुमार मंडल आदि परिवारों ने बताया है कि घर-बार गंवाने के बाद जीना दूभर हो गया है. कहां शरण लेंगे, कुछ नहीं समझ पा रहे हैं. इधर, मालदा सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता रमेश कुमार सिंह ने बताया है कि गंगा नदी का पानी फिलहाल खतरे के निशान से नीचे है. दो-तीन दिन बाद जल स्तर बढ़ने की संभावना है. उत्तर प्रदेश तथा बिहार में भारी बारिश की वजह से ही गंगा के जल स्तर में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि कटाव को लेकर राज्य सरकार के हाथ में कुछ भी नहीं है. राज्य सरकार कुछ भी नहीं कर सकती. यह केंद्र सरकार तथा फरक्का बैराज प्रबंधन का काम है. उन्हीं लोगों को कटाव प्रभावित इलाके में बांध बनाना है. सुनने में आया है कि फरक्का बैराज प्रबंधन ने काम की शुरुआत की है.

क्या कहते हैं विधायक: स्थानीय भाजपा विधायक स्वाधीन सरकार का आरोप है कि कटाव रोकने की पहल नहीं की जा रही है. बरसात शुरू होने से पहले ही यदि काम शुरू होता, तो कटाव रोक पाना संभव था. वह भी भला क्या कर सकते हैं. उनका खुद का घर गंगा के पानी में समा गया है. किसी तरह से घर का सामान बचा सके हैं. प्रशासन पूरी तरह से सुस्त है. किसी ने भी कटाव पीड़ितों की खोज-खबर नहीं ली है. वह केंद्र सरकार को कटाव की जानकारी दे रहे हैं.
क्या कहते हैं डीएम: मालदा के डीएम शरद द्विवेदी का कहना है कि कटाव पर प्रशासन की नजर है. अधिकारी घटनास्थल पर गये हैं. पहले से ही राहत सामग्री वितरण का काम किया जा रहा है. जरूरत पड़ने पर कटाव पीड़ितों के बीच और भी राहत भेजी जायेगी. कटाव पीड़ितों के पुनर्वास के लिए जमीन की तलाश की जा रही है.

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