वर्ष 2014 में फेरीघाटों के लिए टेंडर जारी किये गये थे. उसके बाद बगैर टेंडर के ही फेरीघाट पसंदीदा लोगों को दे दिया गया. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पहले के मुकाबले इस वर्ष काफी कम रुपये में टेंडर दिये गये हैं. सरकारी नियमानुसार टेंडर जारी नहीं करने की स्थिति में लीज के पूर्व मूल्य पर कम से कम दस प्रतिशत बढ़ाकर टेंडर देने का प्रावधान है.
इस नियम की पूरी तरह से अनदेखी की गई है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 वित्तीय वर्ष के दौरान मानिकचक के शंकर टोला तथा कालीटोला फेरीघाट को क्रमश: 23 तथा 17 लाख रुपये की लीज पर दिया गया था. इस वर्ष शंकरटोला फेरीघाट 13 लाख में तथा कालीटोला घाट 11 लाख रुपये में दे दिया गया. लीज राशि में इतनी कमी के बारे में पंचायत समिति की ओर से कुछ भी नहीं कहा जा रहा है. दूसरी तरफ पंचायत समिति की अध्यक्ष माकपा की राखि मंडल ने तृणमूल के आरोपों को नकार दिया है. उन्होंने कहा है कि सरकारी नियमों को मानकर ही फेरीघाटों के लीज दिये गये हैं.