इसके तहत कर्मचारियों ने मालीगांव में विराट जुलूस निकाला और एक लिखित ज्ञापन महाप्रबंधक एचके जग्गी को सौंपकर केंद्र सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी. हड़ताल की अग्रिम सूचना देने से पहले रेलवे इंस्टीट्यूट में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे कर्मचारी संगठन के महाप्रबंधक मुनिंद्र सैकिया ने कर्मचारियों की विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार श्रम कानून में फेर-बदल कर जो नयी नीति लागू कर रही है यह केवल रेलवे कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए खतरनाक है.
केंद्रीय कमेटी के संयोजक सचिव परविंदर सिंह ढिल्लों ने कहा कि केंद्र सरकार ने सातवां वेतन आयोग लागू कर कर्मचारियों व देश को एक बड़े संकट में डालने की रणनीति बनायी है. यूनियन के कटिहार मंडल के सचिव रूपेश कुमार ने कहा कि रेलवे का निजीकरण, ठेके पर कर्मचारी, आउटसोर्सिंग, विदेशी निवेश (एफडीआइ) खतरे की घंटी है. सिलीगुड़ी जंक्शन यूनिट के सचिव प्रदीप गजमेर ने कहा कि 36 सूत्री मांगों को लेकर रेलवे कर्मचारियों के इस आंदोलन को देश के सभी विभिन्न केंद्रीय श्रमिक संगठनों का समर्थन मिल रहा है.
इसके तहत नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे (एनएफआइआर) संयुक्त रूप से देशव्यापी यह आंदोलन करने जा रही है. सिलीगुड़ी जंक्शन यूनिट के संयोजक व प्रचार-प्रसार विभाग के सचिव तनुज दे ने कहा कि भारतीय रेलवे के इतिहास में ऐसा आंदोलन 1974 में तत्कालीन रेल मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के शासन में हुआ था. दोबारा यह आंदोलन 11 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. इसके तहत ट्रेनों को रोका जायेगा और कर्मचारी कोई काम नहीं करेंगे. श्री दे ने कहा कि जब-तक केंद्र सरकार कर्मचारियों के हित में बात नहीं करेगी, सातवां वेतन आयोग वापस नहीं लेती है और हमारी सभी मांगों पर अमल करने का आश्वासन नहीं देती है तब-तक केंद्र सरकार के विरूद्ध कर्मचारियों का आंदोलन लगातार जारी रहेगा.