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सीतारमन से मिल सिलीगुड़ी लौटे चाय श्रमिक नेता
बदहाली. बागान मालिकों के साथ मिलीभगत का लगाया आरोप तराई व डुवार्स के चाय बागानों की समस्या जगजाहिर है. बदहाली और भुखमरी से कई श्रमिकों की मौत भी हो चुकी है. इनके हालात बदलते नहीं दिख रहे. पर एक आस लेकर श्रमिक नेताओं का दल मंत्री से िमलने दिल्ली गया था. सिलीगुड़ी. तराई तथा डुवार्स […]
बदहाली. बागान मालिकों के साथ मिलीभगत का लगाया आरोप
तराई व डुवार्स के चाय बागानों की समस्या जगजाहिर है. बदहाली और भुखमरी से कई श्रमिकों की मौत भी हो चुकी है. इनके हालात बदलते नहीं दिख रहे. पर एक आस लेकर श्रमिक नेताओं का दल मंत्री से िमलने दिल्ली गया था.
सिलीगुड़ी. तराई तथा डुवार्स के बदहाल चाय बागानों की समस्या दूर करने की मांग को लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन से मिलने के बाद चाय श्रमिक नेताओं ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर करारा हमला बोला है.
करीब आधा दर्जन चाय श्रमिक नेता भाजपा के राज्य सचिव रथींद्र बोस को साथ लेकर सीतारमन से मिलने दिल्ली गये थे. बुधवार को सभी नेता वापस सिलीगुड़ी लौट आये हैं. यहां सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयेाजित एक संवाददाता सम्मलेन को संबोधित करते हुए एनयूपीडब्ल्यूयू नेता जॉन बरला ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर चाय बागान मालिकों खासकर डंकन्स के मालिकों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चाय श्रमिकों की समस्या दूर करने के लिए जरा भी गंभीर नहीं है. यहीं वजह है कि श्रम विभाग के तमाम अधिकारी पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं. हर सबडिवीजन तथा ब्लॉक में श्रम अधिकारियों की नियुक्ति है. लेकिन ये लोग किसी भी चाय बागान में श्रमिकों की दुर्दशा जानने के लिए नहीं जाते.
यदि ममता बनर्जी श्रमिकों की समस्या दूर करने के लिए इतनी ही गंभीर होतीं तो श्रम अधिकारी बागानों में जाते. पिछले कुछ महीने से हर दिन ही किसी न किसी चाय बागान में श्रमिक की मौत हो रही है. उसके बाद भी श्रम अधिकारियों की नींद नहीं टूटी है. शिकायत करने पर श्रमिकों के खिलाफ ही कार्रवाई की जाती है
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जब भी कोई चाय श्रमिक किसी समस्या को लेकर श्रम अधिकारी से मिलने जाता है तो उसे खदेड़ दिया जाता है. यदि ममता बनर्जी इतनी ही गंभीर होतीं तो श्रम विभाग के अधिकारियों की सक्रियता चाय बागानों में दिखायी पड़ती. श्री बरला ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाल ही में डुवार्स दौरे पर आयी थीं, तब भी चाय बागान मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी, लेकिन अब तक किसी भी बागान मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. मुख्यमंत्री की चाय बागान मालिकों खासकर डंकन्स ग्रुप के मालिकों के साथ मिलीभगत है.
इसी वजह से वह कार्रवाई की चेतावनी तो देती हैं, लेकिन करती कुछ नहीं हैं. डंकन्स मालिक 22 तारीख को चार करोड़ रुपये श्रमिकों के भुगतान के लिए देने वाले थे. यह तिथि बीत गयी, अब देखना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डंकन्स के खिलाफ क्या कार्रवाई करती हैं.
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री के साथ हुई मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा कि सीतारमन चाय बागानों एवं चाय श्रमिकों के लिए काम करना चाहती हैं. राज्य सरकार असहयोग की वजह से केंद्र सरकार द्वारा काम करना मुश्किल हो गया है. चाय बागान की जमीन राज्य सरकार के अधीन है. अधिग्रहण को लेकर कई तरह की समस्या आ रही है. अदालती अड़चन की वजह से सभी चाय बागानों का अधिग्रहण कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है. श्री बरला ने चाय बागान की जमीन केंद्र सरकार को सौंपने की मांग राज्य सरकार से की.
इसके साथ ही उन्होंने आनेवाले दिनों में समस्या का शीघ्र समाधान नहीं होने की स्थिति में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि हाल ही में वह तथा अन्य चाय श्रमिक डुवार्स के संकोश से घोषपुकुर के लिए पदयात्रा पर निकले थे. कुल 402 किलोमीटर की पदयात्रा उन्होंने की है. आनेवाले दिनों में वह राज्य सरकार के खिलाफ सिलीगुड़ी से कोलकाता तक की पदयात्रा करेंगे. संवाददाता सम्मेलन में भाजपा नेता रथींद्र बोस के अलावा किरण कालिंदी, मनोज तिग्गा आदि भी उपस्थित थे.
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