शहर के सेवक रोड स्थित उत्तर बंग मारवाड़ी भवन में आयोजित इस सम्मेलन को संबोaधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो बात पिछले चार-पांच सालों से एवीबीपी करती आ रही थी उसे आखिरकार बंगाल की मुख्यमंत्री ने मान ली. देर से ही सही लेकिन ममता ने कबूल किया कि बंगाल के कॉलेजों में हिंसक राजनीति बढ़ी है और इसे आगे बढ़ने नहीं दी जायेगी. मंगलवार को उत्तर दिनाजपुर के चोपड़ा में एक जनसभा के दौरान ममता ने यह बात कबूल की थी और भरी जनसभा में इस मुद्दे पर लंबा भाषण भी दिया था. अहलूवालिया ने छात्र संगठन तणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) को चेतावनी देते हुए कहा कि शिक्षा के मंदिर में हिंसक राजनीति और बर्दाश्त नहीं की जायेगी. उन्होंने कहा की बीते छात्र संघ चुनाव के दौरान टीएमसीपी के कथित दबंगों ने कॉलेजों में जिस तरह खून-खराबा मचाया था आगामी छात्र संघ चुनाव में टीएमसीपी की यह गुंडागर्दी एवीबीपी नहीं चलने देगी. संगठन के समर्थक कड़ा मुकाबला करेंगे. अहलूवालिया ने कहा कि बंगाल में भी अब एवीबीपी की ताकत में काफी इजाफा हुआ है.
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बरसे:सांसद अहलूवालिया ने कहा आखिर ममता ने कबूली एबीवीपी की बात, कहा शिक्षा का मंदिर हो रहा रक्तरंजित
सिलीगुड़ी: आखिर ममता बनर्जी ने कबूली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एवीबीपी) की बात ‘शिक्षा का मंदिर हो रहा रक्तरंजित.’ यह कहना है दार्जिलिंग से लोकसभा के भाजपा सांसद एसएस अहलूवालिया का. वह बुधवार को सिलीगुड़ी में आयोजित एवीबीपी के 33वें राज्य सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. शहर के सेवक रोड स्थित उत्तर बंग मारवाड़ी […]
सिलीगुड़ी: आखिर ममता बनर्जी ने कबूली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एवीबीपी) की बात ‘शिक्षा का मंदिर हो रहा रक्तरंजित.’ यह कहना है दार्जिलिंग से लोकसभा के भाजपा सांसद एसएस अहलूवालिया का. वह बुधवार को सिलीगुड़ी में आयोजित एवीबीपी के 33वें राज्य सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
छात्र-छात्राओं को सिखाया राजनीति का पाठ
अहलूवालिया ने एवीबीपी के सम्मेलन में मौजूद हजारों छात्र-छात्राओं को राजनीति का पाठ पढ़ाया. उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति से ही राजनीति की तालिम मिलती है. इसके लिए कॉलेज को प्राथमिक स्कूल माना जाता है. कॉलेज लाइफ की राजनीति का अनुभव ही जीवन भर काम आता है. उन्होंने मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रियों नीतिन गडकरी, अरूण जेटली से लेकर कई मंत्रियों के नामों का उदाहरण देते हुए कहा कि अधिकांश केंद्रीय मंत्री छात्र राजनीति के दौरान कई अहम दायित्व संभालते हुए संगठन को मजबूत बनाया. उन्होंने कहा कि वह खुद कॉलेज लाइफ से ही सक्रिय राजनीति से जुड़े हैं. अहलूवालिया ने छात्र-छात्राओं के साथ अपने राजनैतिक जीवन का अनुभव साझा करने के साथ ही एबीवीपी के इतिहास से भी रूबरू कराया.
चाय श्रमिकों की बदहाली पर गरजे अहलूवालिया
एवीबीपी के राज्य सम्मेलन के दौरान चाय बागानों की बदहाली और श्रमिकों की बेहाली को मुद्दा बनाते हुए ममता की तणमूल सरकार पर खूब गरजे. उन्होंने कहा कि 2002 से अब-तक उत्तर बंगाल के विभिन्न चाय बागानों में दो हजार से भी अधिक श्रमिकों की मौत अनाहार और बीमारी से हो चुकी है. उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट में मैंने इन मुद्दों को पूरे तथ्यों के साथ उठाया था. तब मंत्री गौतम देव ने कहा था कि एक भी चाय श्रमिकों की मौत भूखमरी से नहीं हुई है. वहीं ममता कह रही हैं कि चाय बागानों में श्रमिकों की नहीं बल्कि उनके रिश्तेदारों की मौत हो रही है. बागान मालिकों की मनमानी का खामियाजा बेबस श्रमिकों को उठाना पड़ रहा है. लगातार बंद हो रहे बागानों के लिए भी अहलूवालिया ने पूरा ठिकरा राज्य सरकार पर फोड़ा.
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