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ज्ञान गंगा: शिक्षा क्षेत्र में बनाये रखनी होगी शांति व्यवस्था

मालदा: कॉलेजों को शिक्षा क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाकर रखनी होगी. गौड़बंग विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अपना वक्तव्य रखते हुए आचार्य (चांसलर) तथा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने इस बात पर जोर दिया. गुरुवार को गौड़बंग विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह का शुभारंभ राज्यपाल ने किया. कोलकाता विश्वविद्यालय के उपाचार्य (वाइस चांसलर) […]

मालदा: कॉलेजों को शिक्षा क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाकर रखनी होगी. गौड़बंग विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अपना वक्तव्य रखते हुए आचार्य (चांसलर) तथा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने इस बात पर जोर दिया. गुरुवार को गौड़बंग विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह का शुभारंभ राज्यपाल ने किया. कोलकाता विश्वविद्यालय के उपाचार्य (वाइस चांसलर) सुगत मारजित प्रधान अतिथि थे.

इनके अलावा कार्यक्रम में गौड़बंग विश्वविद्यालय के उपाचार्य गोपालचंद्र मिश्र, साहित्यकार शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय, कवि सुबोध सरकार और वैज्ञानिक संदीप चक्रवर्ती भी उपस्थित थे. इस दौरान चार लोगों को डीलिट और डीएससी की उपाधि से विभूषित किया गया. इनमें से वैज्ञानिक अरुण कुमार मिश्र आज कार्यक्रम में नहीं आ पाये. उनकी ओर से उनके एक छात्र ने डिग्री ग्रहण की.


राज्यपाल ने अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि मालदा और उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर जैसे पिछड़े जिलों के छात्रों को उच्च शिक्षा सहजता से उपलब्ध कराने के लिए साल 2008 में गौड़बंग विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया. कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप और विवादों के बावजूद विश्वविद्यालय प्रबंधन यह दीक्षांत समारोह करा पाया, इसकी मुझे खुशी है. इसके लिए मैं खासतौर पर उपाचार्य को धन्यवाद देता हूं. राज्यपाल ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में शिक्षा के प्रसार में और भी आगे जायेगा.

प्रधान अतिथि सुगत मारजित ने राज्य सरकार की काफी प्रशंसा करते हुए कहा कि इस सरकार ने दो अत्यंत महत्वपूर्ण काम किये हैं. पहला उसने उच्च शिक्षा की व्यवस्था की है और दूसरा उस उच्च शिक्षा पर आधारित रोजगार का सृजन किया है. सरकार के इन प्रयासों से मानव संसाधन का निर्माण हो रहा है. विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में अनेक छात्र-छात्राएं यह आशा लगाये हुए थे कि उन्हें राज्यपाल के हाथों प्रमाण-पत्र मिलेगा. लेकिन एक भी छात्र-छात्रा को राज्यपाल से प्रमाण-पत्र नहीं मिला. इसे लेकर छात्र-छात्राओं के बीच कुछ निराशा देखी गई. राज्यपाल ने सिर्फ डीलिट और डीएससी की डिग्री ही अपने हाथों से दी. राज्यपाल बीच कार्यक्रम में ही विश्वविद्यालय से चले गये. इसकी वजह से कुछ देर के लिए कार्यक्रम बाधित भी रहा. राज्यपाल के जाने के बाद उपाचार्य गोपाल मिश्र ने तैयार तालिका के अनुसार छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र देना शुरू किया.

मंच छोड़ते हुए राज्यपाल ने कहा कि उनके पास समय कम है, उन्हें जल्दी कोलकाता लौटना है. सिर्फ दो घंटे का समय उनके कार्यक्रम के लिए निर्धारित था. ऐसा कहते हुए राज्यपाल गाड़ी में सवार होकर निकल गये. दोपहर दो बजे राज्यपाल का हेलीकॉप्टर कोलकाता के लिए रवाना हुआ.

इधर, राज्यपाल के हाथों से प्रमाण-पत्र न पाने से निराश छात्र-छात्राओं ने कहा कि यह दिन तो अब उनकी जिंदगी में दोबारा नहीं आयेगा. हमें उम्मीद थी कि हम राज्यपाल के हाथों से सर्टिफिकेट लेंगे और उनके साथ फोटो खिचवायेंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका. इस पर उपाचार्य गोपाल मिश्र ने कहा कि समय हो जाने के कारण राज्यपाल चले गये. फिर भी कुल मिलाकर इस समारोह से छात्र-छात्राएं खुश हैं.

डीलिट और डीएससी पाकर गदगद हुए साहित्यकार एवं वैज्ञानिक
गौड़बंग विश्वविद्यालय से डी-लिट की उपाधि पाकर साहित्यकार शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय और कवि सुबोध सरकार प्रफुल्लित हैं. अपनी ही माटी पर डीएससी की डिग्री पाकर वैज्ञानिक संदीप चक्रवर्ती भी खूब खुश हैं. दीक्षांत समारोह के दौरान इन तीनों ने अपनी खुशी का इजहार किया. साहित्यकार शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय ने कहा, पिछले साल विद्यासागर विश्वविद्यालय से मुझे डीलिट दिया गया था. इस साल गौड़बंग विश्वविद्यालय से डीलिट दिया गया है. अब मेरे पास डीलिट की दो डिग्रियां हो गई हैं. इतने सारे छात्र-छात्राओं के बीच में यह सम्मान पाकर मुझे बहुत अच्छा लगा.
पत्रकारों के सवाल के जवाब में श्री मुखोपाध्याय ने कहा कि बांग्ला साहित्य का प्रसार कम होने की जगह बढ़ा है. अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो लाखों-लाख रुपये की बांग्ला किताबें नहीं छप रही होतीं और प्रकाशक लाभ नहीं कमा पा रहे होते. अभी जहां भी पुस्तक मेला लग रहा है, वहां किताब खरीदने का उत्साह बिल्कुल कम नहीं दिखता. इधर, कवि सुबोध सरकार ने कहा कि पीएचडी करने से उन्हें जितनी खुशी नहीं हुई थी, उससे ज्यादा खुशी आज डी-लिट पाकर है. सबसे ज्यादा खुशी की बात यह है कि गौड़बंग विश्वविद्यालय ने अपने पहले दीक्षांत समारोह में मुझे यह डिग्री दी है. बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक–शिक्षिकाओं के बीच यह सम्मान पाकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है. मालदा में मैंने पहले सन् 2010 के पुस्तक मेले का उद्घाटन किया था. लेकिन आज का दिन मेरे लिये यादगार रहेगा.
डीएससी पाने वाले मालदा शहर के निवासी संदीप चक्रवर्ती ने कहा कि अपनी जमीन पर यह सम्मान पाना मेरे लिए गर्व की बात है. मैं अनेक देश घुमता रहता हूं, लेकिन मालदा शहर आने पर एक अलग ही अनुभूति होती है. ऊपर से गौड़बंग विश्वविद्यालय से सम्मान मिला है, तो मैं अपने भावों को प्रकट ही नहीं कर पा रहा हूं. मालदा जिला शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है. इस जिले के लिए अगर मैं कुछ कर पाता हू्ं, तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा. अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़े श्री चक्रवर्ती ने कहा कि गौड़बंग विश्वविद्यालय के प्रबंधन ने मुझे कुछ प्रस्ताव दिया है. मेरी तरफ से इसमें जो भी सहायता की जरूरत होगी, वह मैं करूंगा. मैं विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग में भी गया था. विश्वविद्यालय के प्रबंधन ने मुझसे अनुसंधान में उपयोगी यंत्र आदि खरीदे जाने की बात कही है.
गौड़बंग विश्वविद्यालय के उपाचार्य गोपाल मिश्र ने कहा कि साहित्यकारों और वैज्ञानिकों को सम्मान देकर हमें खुशी है. आज का दिन गौड़बंग विश्वविद्यालय के लिए स्मरणीय रहेगा. 65 हजार 368 छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र दिया गया. इस मौके पर उन्होंने विश्वविद्यालय के अतीत को भी याद किया. जल्द ही हमारा विश्वविद्यालय यूजीसी कमीशन के तहत आ जायेगा. इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. 21 से 29 दिसंबर तक विश्वविद्यालय में इतिहास कांग्रेस का आयोजन होगा.

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