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सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव विश्लेषण, बागियों की नहीं हुई बल्ले-बल्ले

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के जीतने भी बागी अपनी किस्मत आजमाने चुनाव मैदान में उतरे थे, उन सभी की हार हुई है. हालांकि यह लोग खुद तो चुनाव नहीं जीत सके, साथ ही तृणमूल कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार को भी चुनाव हरवा दिया. इस बार के चुनाव में वार्ड नंबर 6 […]

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के जीतने भी बागी अपनी किस्मत आजमाने चुनाव मैदान में उतरे थे, उन सभी की हार हुई है. हालांकि यह लोग खुद तो चुनाव नहीं जीत सके, साथ ही तृणमूल कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार को भी चुनाव हरवा दिया.

इस बार के चुनाव में वार्ड नंबर 6 का चुनावी मुकाबला सभी के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ था. इस वार्ड से वाम मोरचा सरकार में 20 वर्षो तक मंत्री रहे अशोक भट्टाचार्य पार्षद पद का चुनाव लड़ रहे थे. वाम मोरचा ने अशोक भट्टाचार्य को पहले ही मेयर पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया. इस चुनाव में अशोक भट्टाचार्य को हराने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तथा उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव किसी भी कीमत पर नहीं चाहते थे कि अशोक भट्टाचार्य चुनाव जीते. इस वार्ड से तृणमूल उम्मीदवार अरुप रतन घोष के प्रचार में गौतम देव ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी.

तृणमूल के तमाम बड़े आला नेता तथा बंगला फिल्मों के स्टार इस वार्ड में चुनाव प्रचार करने के लिए आये. मंत्री गौतम देव ने भले ही चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन वह तृणमूल कांग्रेस के बागी उम्मीदवार आलम खान को काबू में नहीं रख सके. चुनाव से पहले इस वार्ड से आलम खान ही तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले थे. यह एक अल्पसंख्यक बहुल वार्ड है और यहां आलम खान की अच्छी पकड़ रही है. टिकट न मिलने से नाराज आलम खान निर्दलीय रूप से मैदान में उतर गये. चुनाव परिणाम सामने आने के बाद वह खुद तो चुनाव हारे ही, साथ ही तृणमूल कांग्रेस के अरुप रतन घोष को भी ले डूबे. इस वार्ड से अशोक भट्टाचार्य की जीत हुई है. अशोक भट्टाचार्य को 1603 मत मिले, जबकि तृणमूल उम्मीदवार अरुप रतन घोष 1030 मत ही लेने में कामयाब रहे. आलम खान 816 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे. जाहिर है, आलम खान ने बड़े पैमाने पर तृणमूल का वोट काटा और इसी का खामियाजा तृणमूल उम्मीदवार अरुप रतन घोष को भुगतना पड़ा और अशोक भट्टाचार्य आसानी से चुनाव जीत गये.

वार्ड नंबर 5 में तृणमूल के एक अन्य बागी नेता राजेश कुमार राय को भी सफलता नहीं मिली. राजेश कुमार राय अपनी पत्नी प्रतिमा राय के लिए टिकट चाह रहे थे. टिकट नहीं मिलने से नाराज उन्होंने अपनी पत्नी को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतार दिया. प्रतिमा राय की चुनाव में बुरी तरह हार हुई. वह मात्र 420 वोट लेकर छह उम्मीदवारों में पांचवें स्थान पर रहीं. इस वार्ड से वाम मोरचा उम्मीदवार दुर्गा सिंह की जीत हुई है.

तृणमूल ने हालांकि पहले ही राजेश यादव के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निकाल दिया है. तृणमूल के एक अन्य बागी उम्मीदवार दिलीप वर्मन की भी कुछ ऐसी ही दुर्गति हुई. वार्ड नंबर 46 से टिकट न मिलने से नाराज दिलीप वर्मन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे. तृणमूल कांग्रेस ने इस वार्ड से जयप्रकाश चौहान उर्फ हिम्मत सिंह को मैदान में उतारा. दिलीप वर्मन तो चुनाव हारे ही साथ ही हिम्मत सिंह को भी ले डूबे. वार्ड नंबर 46 में वाम मोरचा उम्मीदवार मुकुल सेनगुप्ता की जीत हुई है. मुकुल सेनगुप्ता को 5859 तथा हिम्मत सिंह को 4576 मत मिले हैं. दिलीप वर्मन 970 मत पाने में कामयाब रहे. भाजपा उम्मीदवार हरेन्द्र यादव 1901 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस ने हालांकि दिलीप वर्मन को भी पार्टी से निकाल दिया है.

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