पूर्ववर्ती वाम मोरचा सरकार के सत्ता में रहने के दौरान ही हॉकरों की सामाजिक सुरक्षा संबंधित कई योजनाएं बनायी गयी थीं. हॉकरों के पहचान पत्र के लिए उनकी सूची बनाये जाने की प्रक्रिया चालू की गयी थी. आरोप के मुताबिक तृणमूल के सत्ता में आने के बाद ही कुछ योजनाओं को बंद कर दिया जबकि पूर्ववर्ती वाममोरचा सरकार के सत्ता में शुरू किये गये योजनाओं संबंधित तथ्यों को छिपाया जा रहा है.
इधर सीटू नेता श्यामल चक्रवर्ती ने कहा कि हॉकरों के लिए वामपंथियों ने देशव्यापी आंदोलन किया था. विगत वर्ष यानी 2014 के मार्च महीने में केंद्रीय रूप से हॉकरों की सामाजिक सुरक्षा संबंधित एक्ट पर मुहर लगी थी. सभी राज्यों में उक्त कानून को लागू करने के लिए एक वर्ष का समय तय किया गया था. आरोप के मुताबिक एक वर्ष होने के बावजूद बंगाल में इस कानून को लागू करने की पहल नहीं की गयी. उन्होंने कहा कि केवल घोषणाओं से नहीं बल्कि कानूनी रूप से हॉकरों के हितों की रक्षा करनी पड़ेगी.