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वन विभाग ने भी बाजार में उतारे उत्पाद

सिलीगुड़ी: अब लोगों में स्वास्थय को लेकर जागरुकता बढ़ रही है इसका नजारा होली में देखने को मिल रहा है. होली रंग-गुलालों का त्योहार है. अब होली के बाजार में रासायनिक गुलालों पर भारी पड़ रहे हैं हर्बल व सुगंधित रंग-गुलाल. मार्के ट में हर्बल रंग-गुलालों की भारी मांग है. इस मार्केट को भुनाने में […]

सिलीगुड़ी: अब लोगों में स्वास्थय को लेकर जागरुकता बढ़ रही है इसका नजारा होली में देखने को मिल रहा है. होली रंग-गुलालों का त्योहार है. अब होली के बाजार में रासायनिक गुलालों पर भारी पड़ रहे हैं हर्बल व सुगंधित रंग-गुलाल. मार्के ट में हर्बल रंग-गुलालों की भारी मांग है. इस मार्केट को भुनाने में वन विभाग ने भी तैयारी कर ली है.

बीते चार वर्षो से वन विभाग द्वारा गेंदा फूल की पंखुरियों से नारंगी रंग व बेल पत्ताें से हरे रंग की सुगंधित हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. कई परिवारों के लोग इससे जुड़कर कमाइ कर रहे हैं. वहीं सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल के विभागीय आउटलेट व प्राइवेट डिलरों के मार्फत बिक्री कर रासायनिक रंग-गुलाल निर्माता व विक्रेताओं की नींद उड़ा दी है. वन विभाग का नॉन टिंबर फॉरेस्ट प्रोड्यूस डिवीजन यह हर्बल गुलाल सिलीगुड़ी के निकट बागडोगरा के बेंगडुबी संलग्न घने जंगलों के बीच स्थित अपने टाइपू बीट केंद्र में निर्माण करता है और सिलीगुड़ी के कॉलेज पाड़ा संलग्न चिल्ड्रेन पार्क स्थित विद्युत कार्यालय के सामने वन विभाग के ‘वनज’ आउटलेट में बिक्री की जा रही है.

यहां इन गुलालों को एक सौ रुपये प्रति किलो की दर पर बिक्री की जा रही है जो 500 ग्राम के पैकेट में उपलब्ध हैं. वन विभाग के एनटीएफपी डिवीजन अंतर्गत सिलीगुड़ी रेंज के डिप्टी रेंजर फॉरेस्टर ऑफिसर देवनारायण साहा का कहना है कि लोगों में हर्बल व प्रकृति के प्रति जागरुकता काफी बढ़ रही है. प्रत्येक साल ही हर्बल गुलालों की मांग में काफी इजाफा हो रहा है. 2012 में विभाग ने मात्र एक क्वींटल गुलाल तैयार किया था, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया. 2013 में तीन क्वींटल गुलाल तैयार किया गया था. लोगों में बढ़ती चाह को देखते हुए 2014 में इसे बढ़ाकर पांच क्वींटल कर दिया गया, जो होली से कई रोज पहले ही पूरा खत्म हो गया. इस साल साढ़े पांच क्वींटल से अधिक गुलाल तैयार किया गया है.

श्री साहा ने बताया कि विभाग द्वारा निर्मित इन गुलालों को केवल सिलीगुड़ी ही नहीं, बल्कि पूरे बंगाल में पसंद किया जा रहा है और जगहों से इन गुलालों की मांग की जा रही है. उन्होंने बताया कि इन गुलालों की बिक्री कर जो आय होता है उससे गुलाल निर्माण करनेवाले 30 मजदूरों व वन कर्मचारियों के परिवारों का भरण-पोषण होता है. दूसरी ओर होली का बाजार भी इस बार हर्बल गुलाल व रंगों से पटा पड़ा है.

शहर का महावीरस्थान, पानहट्टी, सिलीगुड़ी थाना के सामने केला हट्टी, विधान मार्केट, चंपासारी बाजार, गुरुंगबस्ती बाजार, हैदरपाड़ा बाजारों में सजे रंग-पिचकारियों की दुकानों में लोग हर्बल रंग-गुलाल की ही अधिक खरीदारी कर रहे हैं. नया बाजार के पान हट्टी संलग्न मिर्जा बिल्डिंग में गुलालों के थोक विक्रेता पंकज जायसवाल ने कहा कि लोग हर्बल के प्रति काफी जागरुकता हुए है और प्रत्येक साल ही हर्बल गुलालों की मांग में काफी इजाफा हुआ है. इसी के मद्देनजर इस साल उन्होंने खुद सिलीगुड़ी में ही उच्च गुणवत्तावाले हर्बल गुलालों का निर्माण करवाया है. ये गुलाल सुगंधित व स्कीन फ्रैंडली हर्बल गुलाल हैं. इन गुलालों में किसी तरह के भी रासायनिक पदार्थो का मिश्रण नहीं किया गया है.

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