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हिंदी हाइस्कूल : फीस वसूलने पर रोक से बढ़ी परेशानी

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी हिंदी हाइस्कूल में जारी विवाद किसी भी तरह से थमने का नाम नहीं ले रहा है. कभी भर्ती प्रक्रिया के दौरान बवाल तो कभी शिक्षकों के समय पर स्कूल नहीं आने आदि पर रोष जैसी स्थिति हरदम ही बनी रहती है. अब ताजा मामला फीस लेने पर रोक लगाने का है. दाजिर्लिंग […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी हिंदी हाइस्कूल में जारी विवाद किसी भी तरह से थमने का नाम नहीं ले रहा है. कभी भर्ती प्रक्रिया के दौरान बवाल तो कभी शिक्षकों के समय पर स्कूल नहीं आने आदि पर रोष जैसी स्थिति हरदम ही बनी रहती है. अब ताजा मामला फीस लेने पर रोक लगाने का है.
दाजिर्लिंग के जिला अधिकारी पुनीत यादव ने 22 जनवरी को स्कूल प्रबंधन कमेटी को एक पत्र लिखकर छात्रों से फीस लेने पर रोक लगा दी है. दाजिर्लिंग के डीएम ने मेमो संख्या 40/सी तिथि 22/1/2015 को एक आदेश जारी कर कहा है कि हिन्दी हाई स्कूल प्रबंधन सरकार द्वारा निर्धारित फीस से अधिक छात्रों से नहीं ले सकता. इसके बाद से ही सिलीगुड़ी हिन्दी हाई स्कूल प्रबंधन की परेशानी और बढ़ गई है. स्कूल प्रबंधन कमेटी के सचिव बीपी डालमिया ने जिला प्रशासन पर कलकत्ता हाईकोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया है.
उन्होंने इसको लेकर जिला अधिकारी के साथ-साथ स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को भी एक चिट्ठी लिखी है. श्री डालमिया ने अपने पत्र में कहा है कि इस स्कूल की स्थापना 1935 में हुई और इसे अल्पसंख्यक संस्थान की मान्यता मिली हुई है. कलकत्ता हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी इस पर मुहर लगायी है. स्कूल शिक्षकों तथा कर्मचारियों को वेतन देने के लिए स्कूल प्रबंधन कमेटी को हर महीने ही काफी रुपया खर्च करना पड़ता है.
इसके लिए छात्रों से अलग से शुल्क लिये जाते हैं. उन्होंने बताया है कि 2015 के सत्र में कक्षा 6 से 8 वीं तक के छात्रों से शेषन चार्ज के रूप में 16 सौ रुपये तथा नौवीं एवं दसवीं कक्षा के छात्रों से 2020 रुपये साल में लिये जाते हैं. इसके अलावा विकास शुल्क के रूप में तीन हजार रुपये अलग से लिया जाता है. श्री डालमिया ने आगे बताया है कि स्कूल में 25 टीचिंग तथा पांच नन टीचिंग स्टाफ हैं. इसमें से सरकार 11 टीचिंग तथा दो नन टीचिंग स्टाफों को ही वेतन देती है.
बाकी सभी कर्मचारियों को स्कूल प्रबंधन द्वारा वेतन की व्यवस्था की जाती है. इस मद में हर महीने एक लाख 60 हजार रुपये से अधिक के खर्च होते हैं. उन्होंने अपने पत्र में आगे कहा है कि वर्ष 2009 के शिक्षा के अधिकार कानून को सामने रखकर मात्र 240 रुपये स्कूल फीस लेने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि इस स्कूल के अल्पसंख्यक संस्थान होने के कारण यहां शिक्षा का अधिकार कानून लागू नहीं होता. इस संबंध में स्कूल प्रबंधन कमेटी द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट में एक रिट पिटिशन दाखिल की गई और हाईकोर्ट ने स्कूल के पक्ष में फैसला दिया.
हाईकोर्ट ने सभी संबंधित विभागों को इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिये. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी प्रशासन द्वारा स्कूल के कार्यो में हस्तक्षेप किया जाता है. उन्होंने शीघ्र ही इस समस्या के समाधान की मांग की है.

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