सिलीगुड़ी: तृणमूल की अराजकता व ममता की कथित हिटलरशाही के खिलाफ मंगलवार को युवा भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पुतला फूंका, तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को जबरदस्ती जेल में ठूंस दिया.
पुलिस ने 27 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया, जिनमें छह महिलाएं भी हैं. हालांकि लगभग तीन घंटे बाद सभी को सिलीगुड़ी थाना से ही निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया. भारतीय जनता युवा मोरचा (भाजयुमो) की सिलीगुड़ी जिला इकाई के बैनर तले स्थानीय हाकिमपाड़ा स्थित विकास घोष मेमोरियल स्वीमिंग पुल के सामने से राज्य सरकार के खिलाफ विशाल रैली निकाली गयी. रैली प्रमुख मार्गो का परिभ्रमण करते हुए दोपहर हाशमी चौक पर पहुंच कर विरोध प्रदर्शन में तब्दील हो गयी. प्रदर्शनकारियों ने करीब 20 मिनट तक प्रदर्शन करते हुए हिलकार्ट रोड, विधान रोड व फ्लाईओवर को अचल कर दिया और ममता का पुतला भी फूंका.
इस दौरान सिलीगुड़ी थाना के इंस्पेक्टर विकास कांति दे व खालपाड़ा नगर पुलिस चौकी (टीओपी) के प्रभारी संजय घोष दलबल के साथ पहले से ही मौजूद थे. जैसे ही प्रदर्शनकारी हाशमी चौक पर पहुंचे, पुलिस भाजपा नेताओं को प्रदर्शन करने से रोकना चाहा, लेकिन प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की एक न चली और भाजयुमो के जिला अध्यक्ष बॉपी पाल के नेतृत्व में करीब 20 मिनट तक ममता की तृणमूल सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने जब ममता का पुतला फूंका, सिलीगुड़ी पुलिस ने हाथों-हाथ कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. बापी पाल ने जहां पुलिस प्रशासन को तृणमूल का कठपुतली करार दिया, वहीं ममता की तृणमूल सरकार की जमकर खिंचाई की.
श्री पाल ने कहा कि कहा कि दिल्ली में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी तृणमूल सांसद अब संसद में नौटंकी कर विकास योजनाओं में रोड़ा डालने की कोशिश कर रहे हैं, जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है. साथ ही उन्होंने ममता पर हमला करते हुए कहा कि ममता बंगाल में लोकतांत्रिक शासन नहीं, बल्कि हिटलरशाही शासन चला रही है. तृणमूल के खिलाफ प्रदर्शन करने से ही भाजपा व अन्य विपक्षी पार्टियों के प्रदर्शनकारियों को जेल जाना पड़ता है.
उन पर पुलिस को दबाव देकर झूठे मामले दर्ज कराये जाते हैं.
मीडिया को भी तृणमूल के नेता मंत्री नहीं बख्श रहे हैं. वही इंस्पेक्टर विकास कांति दे ने कहा कि आज के प्रदर्शन को लेकर भाजपा नेताओं ने कोई अनुमति नहीं ली थी और प्रदर्शन के नाम पर सड़क जाम कर दिया इसीलिए मजबूरन प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करना पड़ा.