सिलीगुड़ी: जलपाईगुड़ी जिले के माल महकमा स्थित सोनाली चाय बागान के मालिक राजेश झुनझुनवाला की श्रमिकों द्वारा पीट-पीटकर हत्या किये जाने के बाद पूरे उत्तर बंगाल के चाय उद्योग में तूफान मचा हुआ है.
श्रमिक असंतोष और अधिक न फैले और अन्य बागानों में इस तरह की घटना न हो, इसके लिए मालिक पक्ष के लोग भी श्रमिक संगठनों के साथ वेतन समझौते को अंतिम रूप देने के लिए तैयार हैं. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चाय बागान के मालिक चाय श्रमिकों को अब तीन साल में 40 रुपये बढ़ाने को तैयार हो गये हैं. इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार ने शीघ्र ही त्रिपक्षीय बैठक बुलाने का निर्देश सिलीगुड़ी के ज्वाइंट लेबर कमिश्नर को दिया है. उसके बाद 5 एवं 6 दिसंबर को यह बैठक होने वाली थी, लेकिन अब यह बैठक 8 दिसंबर को होगी. सूत्रों ने आगे बताया है कि सोनाली चाय बागान में जो घटना घटी है, उसको लेकर जांच का काम जारी है. बागान मालिकों ने सरकार से थोड़ा समय देने की मांग की थी. उसके बाद 5 और 6 तारीख की होने वाली बैठक को टाल कर 8 दिसंबर कर दिया गया है.
इस बैठक में 23 चाय श्रमिक संगठनों के संयुक्त फोरम के नेता श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करेंगे, जबकि राज्य सरकार की ओर से श्रम विभाग के आला अधिकारी तो उपस्थित रहेंगे ही, साथ ही राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक के भी उपस्थित रहने की संभावना है.
यह बैठक फूलबाड़ी स्थित मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में होगी. इस बीच, एक चाय बागान के मालिक ने बताया है कि बैठक में वह तथा तराई इंडिया टी प्लांटर्स एसोसिएशन (टीपा) के प्रतिनिधि शामिल होंगे. इस बीच, सूत्रों ने बताया है कि चाय बागान मालिक तीन साल में 40 रुपये बढ़ाने पर तो सहमत हो गये हैं, लेकिन न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने को लेकर अपनी सहमति नहीं दी है. इससे पहले चाय बागान मालिक तीन साल में 30 रुपये बढ़ाने को तैयार थे. चाय बागान श्रमिकों को अभी 90 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दी जा रही है. हर साल इसमें 10 रुपये की वृद्धि करने का प्रस्ताव बागान मालिकों ने चाय श्रमिक संगठनों के नेताओं को दिया था. इसके अनुसार तीन साल में श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाकर 120 रुपये प्रतिदिन करने का प्रस्ताव था. सूत्रों ने बताया कि चाय बागान मालिक अब तीन साल में 40 रुपये बढ़ाने के साथ ही तीन साल के लिए ही वेतन समझौता भी करना चाहते हैं. इससे पहले जो त्रिपक्षीय बैठक हुई थी, उसमें राज्य सरकार ने 30 रुपये को बढ़ाकर 40 रुपये करने का प्रस्ताव बागान मालिकों को दिया था. तब बागान मालिक इस बात पर सहमत नहीं हुए थे.